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... जब गजनवी ने किया था सोमनाथ मंदिर पर हमला, ये है पूरी कहानी

सोमनाथ का मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में सर्वप्रथम ज्योतिर्लिंग के रूप में जाना जाता है. अत्यंत वैभवशाली होने के कारण इतिहास में कई बार यह मंदिर तोड़ा और पुनर्निर्मित किया गया.

सोमनाथ मंदिर सोमनाथ मंदिर
मोहित पारीक/aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 08 जनवरी 2019,
  • अपडेटेड 9:33 AM IST

इतिहास के पन्नों में आज का दिन बेहद खास है. आज ही के दिन भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक सोमनाथ मंदिर पर हमला हुआ था और उसे ध्वस्त कर दिया गया था. साल 1026 में महमूद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर को नष्ट कर दिया था. कहा जाता है कि अरब यात्री अल-बरुनी के अपने यात्रा वृतान्त में मंदिर का उल्लेख देख गजनवी ने करीब 5 हजार साथियों के साथ इस मंदिर पर हमला कर दिया था.

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इस हमले में गजनवी ने मंदिर की संपत्ति लूटी और हमले में हजारों लोग भी मारे गए थे. इसके बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका पुनर्निर्माण कराया. हालांकि गजनवी से पहले भी सोमनाथ मंदिर पर कई हमले हो चुके थे और उसके बाद भी मंदिर पर हमले किए गए. अत्यंत वैभवशाली होने के कारण कई बार यह मंदिर तोड़ा तथा पुनर्निर्मित किया गया.

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कई बार हुए थे सोमनाथ मंदिर पर हमले

कहा जाता है कि सबसे पहले एक मंदिर ईसा के पूर्व में अस्तित्व में था जिस जगह पर दूसरी बार मंदिर का पुनर्निर्माण सातवीं सदी में वल्लभी के मैत्रक राजाओं ने किया. आठवीं सदी में सिन्ध के अरबी गवर्नर जुनायद ने इसे नष्ट करने के लिए अपनी सेना भेजी. प्रतिहार राजा नागभट्ट ने 815 ईस्वी में इसका तीसरी बार पुनर्निर्माण किया. मंदिर का बार-बार खंडन और जीर्णोद्धार होता रहा.

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गजनवी के हमले के बाद गुजरात के राजा भीम और मालवा के राजा भोज ने इसका र्निर्माण कराया. साल 1297 में जब दिल्ली सल्तनत ने गुजरात पर कब्जा किया तो इसे फिर गिराया गया. मुगल बादशाह औरंगजेब ने इसे पुनः 1706 में गिरा दिया. बता दें कि इस समय जो मंदिर खड़ा है उसे भारत के पूर्व गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बनवाया.

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कौन था महमूद गजनवी?

महमूद गजनवी यमीनी वंश के तुर्क सरदार और गजनी के शासक सबुक्तगीन का बेटा था. सुल्तान महमूद का जन्म 971 में हुआ था. उसने 27 साल की उम्र में ही गद्दी संभाली थी. वह बचपन से भारती की दौलत के बारे में सुनता आया था. उसने 17 बार भारत पर आक्रमण किया. वह भारत की संपत्ति लूटकर गलती ले जाना चाहता था. आक्रमणों का यह सिलसिला 1001 से शुरु हुआ था.

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