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Lala Lajpat Rai Birth Anniversary: जिनकी मौत बनी अंग्रेजी हुकूमत की ताबूत की आखिरी कील

Lala Lajpat Rai: लाला लाजपत राय ने देश में व्याप्त छूआछूत के खिलाफ भी लंबा संघर्ष किया. उन्होंने हिंदू अनाथ राहत आंदोलन की नींव रखी, ताकि ब्रिटिश मिशन अनाथ बच्चों को अपने साथ न ले जा सकें.

Lala Lajpat Rai Birth Anniversary: Lala Lajpat Rai Birth Anniversary:
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 28 जनवरी 2022,
  • अपडेटेड 12:44 PM IST

Lala Lajpat Rai Birth Anniversary: देश को आजादी मिलने से कुछ समय पूर्व पूरा भारत अंग्रेजों की गुलामी से आजाद होने की लड़ाई लड़ रहा था. क्रांतिकारियों के दल अपने अलग-अलग तरीकों से अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर रहे थे. यही वो समय था जब लाला लाजपत राय साइमन कमीशन का विरोधी कर रहे थे. इसी प्रदर्शन के दौरान लाठीचार्च हुआ और उनके सिर पर पड़ी एक लाठी की चोट से 17 नवंबर 1928 को उन्‍होंने दम तोड़ दिया.

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लाजपत राय का जन्‍म 28 जनवरी 1865 को हुआ था. उनकी शुरुआती पढ़ाई हरियाणा के रेवाड़ी से हुई जिसके बाद वह लाहौर के राजकीय कॉलेज से लॉ की करने गए. उन्होंने लाहौर और हिसार में वकालत की प्रैक्टिस भी की. आजादी की लड़ाई में अपनी जान देने वाले लाला लाजपत राय ने देश में व्याप्त छूआछूत के खिलाफ भी लंबी जंग लड़ी थी. उन्होंने ब्रिटिश मिशन से अनाथ बच्‍चों को बचाने के हिंदू अनाथ राहत आंदोलन की भी शुरुआत की. 

लाला लाजपत राय को पंजाब केसरी के नाम से भी जाना जाता था. उन्होंने पंजाब नेशनल बैंक और लक्ष्मी बीमा कंपनी की स्थापना की थी. वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में गरम दल के तीन प्रमुख नेताओं लाल-बाल-पाल में से एक थे. उनकी याद में दिल्ली गेट पर उनके नाम से मार्केट भी है, जहां उनकी प्रतिभा भी स्थापित है.

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साइमन कमीशन के विरोध में प्रर्दशन के दौरान शरीर पर चोट लगने के बाद उन्होंने कहा था कि उनके शरीर पर मारी गई लाठियां हिन्दुस्तान में ब्रिटिश राज के लिए ताबूत की आखिरी कील साबित होंगी. लाठी की गंभीर चोट से ही उनकी मौत हो गई. इसके एक महीने बाद 17 दिसंबर 1928 को उनकी मौत का बदला लेने के लिए भगत सिंह और राजगुरू ने लाठीचार्ज का आदेश देने वाले ब्रिटिश पुलिस के अफसर सांडर्स को गोली से उड़ा दिया. 

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