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...जब आजादी पर नेहरू ने दिया पहला भाषण, नहीं सुना गांधी ने,जानें क्या थी वजह

आज हमारा देश अपना 71वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. लेकिन जब देश आजाद हुआ था तब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने आजादी पर पहला भाषण दिया था. जिसे महात्मा गांधी ने सुना. जानें क्या थी वजह.

Jawaharlal Nehru and  Mahatma gandhi Jawaharlal Nehru and Mahatma gandhi
वंदना भारती
  • नई दिल्ली ,
  • 15 अगस्त 2017,
  • अपडेटेड 9:49 AM IST

आज ही का वो दिन है जब भारत को अंग्रेजों की गुलामी से आजादी मिली थी. देश के जवानों ने जान की बाजी लगाई, गोलियां खाई जब जाकर कहीं सदियों की गुलामी के बाद 15 अगस्त साल 1947 के दिन भारत देश आजाद हुआ. ना जाने भारत देश को अग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए कितने भारतीयों ने अपनी जान की कुर्बानी दी. सरदार वल्लभभाई पटेल, गांधीजी, नेहरूजी ने सत्य, अहिंसा और बिना हथियारों की लड़ाई लड़ी. सत्याग्रह आंदोलन किए, लाठियां खाईं, कई बार जेल गए और अंग्रेजों को हमारा देश छोड़कर जाने पर मजबूर कर दिया .

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आज हमारा देश अपना 71वां स्वतंत्रता दिवस मना रहा है. इस दिन सभी विद्यालयों, सरकारी कार्यालयों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है, राष्ट्रगीत गाया जाता है और इन सभी महापुरुषों, शहीदों को श्रद्धांजलि दी जाती है. भारत के प्रधानमंत्री राजधानी दिल्ली में लालकिल पर राष्ट्रीय ध्वज फहरातें हैं और देश को संबोधित करते हैं. 71वें स्वतंत्रता दिवस पर इस बार देश के 14वें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्रीय ध्वज फहराया.

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भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 14 अगस्त 1947 की आधी रात को जो भाषण दिया था उसे 'ट्रिस्ट विद डेस्टिनी' के नाम से ही जाना जाता है.

जब नेहरू भाषण दे रहे है थे उनका भाषण सबने सुना, लेकिन महात्मा गांधी ने भाषण नहीं सुना क्योंकि वह उस दिन 9 बजे सोने चले गए थे. 

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देश के प्रति सम्मान सारा देश स्वत्रंत दिवस पर राष्ट्रगान गाकर करता है लेकिन साल 1947 में जब देश आजाद हुआ था तब कोई राष्ट्रगान नहीं था. भले ही रवींद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रगीत जन-गण-मन की रचना साल 1911 में कर दी थी लेकिन ये गीत पहले बंगाली भाषा में लिखा गया था, जिसका हिंदी संस्करण संविधान द्ववारा साल 24 जनवरी 1950 को स्वीकार किया गया.

हर स्वतंत्रता दिवस पर माननीय प्रधानमंत्री लाल किले से झंडा फहराते हैं, लेकिन 1947 में ऐसा नहीं हुआ था. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने 16 अगस्त को लाल किले से झंडा फहराया. दरअसल इसकी वजह ये था कि आजाद भारत के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में तिरंगा पहली बार काउंसिल हाउस (संसद भवन) पर 10:30 बजे 15 अगस्त, 1947 को फहराया गया. क्योंकि 15 अगस्त को नेहरू जी और अन्य नेता राज-काज के कामों में व्यस्त थे. व्यस्तता के चलते ही लालकिले पर जवाहर लाल नेहरू ने पहली बार 16 अगस्त को सुबह 8.30 बजे तिरंगा फहराया.

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भारत और पाकिस्तान को आजादी 15 की मध्यरात्री मिली थी लेकिन एक दिन आजाद होने के बावजूद पाकिस्तान आजादी का जश्न 14 अगस्त को मनाता है. पाकिस्तान के संस्थापक मुहम्मद अली जिन्नाह ने पहले स्वतंत्रता दिवस पर अपने संदेश में 15 अगस्त को ही पाकिस्तान का भी आज़ादी दिवस कहा था. लेकिन इसके बाद पाकिस्तान ने अपना स्वतंत्रता दिवस एक दिन पहले 14 अगस्त को मनाना शुरू कर दिया. वहीं तब से जिन्नाह का स्वतंत्रता दिवस संदेश भी 14 अगस्त को ही सुनाया जाता है.

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भले ही दोनों मुल्क आजादी का जश्न एक ही दिन मनाते हैं लेकिन इंडियन इंडिपेंडेंस एक्ट के मुताबिक भारत और पाकिस्तान एक ही दिन आजाद हुए थे.

15 अगस्त तक भारत और पाकिस्तान के बीच सीमा रेखा का निर्धारण नहीं हुआ था. इसका फैसला 17 अगस्त को रेडक्लिफ लाइन की घोषणा से हुआ.

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रिपोर्ट्स के मुताबिक जब तय हो गया कि भारत 15 अगस्त को आजा होगा तब जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने महात्मा गांधी को खत भेजा. इस ख़त में लिखा था, '15 अगस्त हमारा पहला स्वाधीनता दिवस होगा. आप राष्ट्रपिता हैं. इसमें शामिल हो अपना आशीर्वाद दें.

जब गाधी ने खत का जवाब देते हुए लिखा , जब कलकत्ता में हिंदु-मुस्लिम एक दूसरे की जान ले रहे हैं, ऐसे में मैं जश्न मनाने के लिए कैसे आ सकता हूं. मैं दंगा रोकने के लिए अपनी जान दे दूंगा.

 

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