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आज ही के दिन साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे नेल्सन मंडेला

मंडेला ने बचपन से ही रंगभेद का सामना किया और उसके खिलाफ एक बड़ा जनाआंदोलन खड़ा कर दिया. लंबे समय तक सांस की बीमारी से जूझने के बाद 95 वर्ष की उम्र में 5 दिसंबर, 2013 को उनका निधन हो गया.

नेल्सन मंडेला नेल्सन मंडेला
वंदना भारती
  • नई दिल्ली,
  • 10 मई 2017,
  • अपडेटेड 6:42 PM IST

रंगभेद के खिलाफ लड़ाई के सबसे बड़े योद्धाओं में शुमार दक्षिण अफ्रीका के महान लीडर नेल्सन मंडेला को ‘चैंपियन ऑफ फ्रीडम’ के नाम से भी  जाना जाता है. खास बात ये है कि 23 साल पहले आज ही के दिन यानी 10 मई को मंडेला साउथ अफ्रीका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति बने थे.

27 साल की लंबी छुट्टी

मंडेला ने अपनी जिंदगी के 27 साल रॉबेन द्वीप पर जेल में रंगभेद की नीति के खिलाफ लड़ते हुए बिताए थे. वो दक्षिण अफ्रीका एवं समूचे विश्व में रंगभेद का विरोध करने के प्रतीक बन गए थे. जब वो जेल से बाहर आए तो उन्होंने कहा था, “मैं 27 साल लंबी छुट्टी पर चला गया था”.

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नेल्सन मंडेला को कहा जाता था दूसरा गांधी

नेल्सन मंडेला को दूसरा महात्मा गांधी कहा जाता था क्योंकि गांधी जी की तरह वो भी अहिंसा पर  विश्वास करते थे. उन्होंने गांधी जी को अपनी प्रेरणा का स्रोत माना था और उनसे अहिंसा का पाठ भी सीखा था. मंडेला को ‘भारत रत्न’ और ‘नोबल पीस प्राइज’ से भी नवाजा गया था.

नेल्सन मंडेला से जुड़ी कुछ खास बातें...
1.मंडेला का बचपन का नाम ‘रोलीह्लला’ था, जिसका मतलब होता है उपद्रवी.

2.नेल्सन मंडेला के पहले बेटे की मौत एक कार दुर्घटना में हो गई थी जबकि दूसरे बेटे की मौत एड्स की वजह से हुई.

3.अरेंज मैरिज से बचने के लिये मंडेला और उनकी कजिन 1941 में घर से भाग गए थे.

4.मंडेला के हाथ का नक्शा अफ्रीका महाद्वीप के जैसा था.

5.मंडेला को 695 से अधिक अवार्ड मिले, जिनमें 1993 में मिला नोबल प्राइज भी शामिल है. उन्हें 50 से अधिक यूनिवर्सिटियों से मानद डिग्री भी मिली.

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2013 में चला गया वो नायक

मंडेला ने बचपन से ही रंगभेद का सामना किया और उसके खिलाफ एक बड़ा जनाआंदोलन खड़ा कर दिया. लंबे समय तक सांस की बीमारी से जूझने के बाद 95 वर्ष की उम्र में 5 दिसंबर, 2013 को उनका निधन हो गया.

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