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Sandhya Mukherjee: महान बंगाली गायिका संध्या मुखर्जी (संध्या मुखोपाध्याय) ने मंगलवार, 15 फरवरी को 90 साल की उम्र में अंतिम सांस ली. वह पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ थीं. अस्पताल के सूत्रों के अनुसार, उन्हें एक बड़ा कार्डियक अरेस्ट हुआ और उनका निधन हो गया. उन्हें जनवरी के अंतिम सप्ताह में Covid-19 संक्रमण से संबंधित जटिलताओं के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
दिग्गज प्लेबैक सिंगर संध्या मुखर्जी हाल ही में 'पद्मश्री' को ठुकराने के बाद चर्चा में थीं. 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर पुरस्कार प्रदान किए जाने थे मगर उन्होंने पद्मश्री लेने से इंकार कर दिया. उनकी बेटी सौमी सेनगुप्ता ने कहा कि उनकी मां ने सम्मान लेने से इनकार कर दिया क्योंकि उनका मानना था कि 90 साल की उम्र में उनके जैसे एक दिग्गज को पद्मश्री प्रदान करना बेहद अपमानजनक है. यह पुरस्कार अब किसी नए कलाकार को दिया जाना चाहिए.
उनके निधन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ट्वीट कर दुख व्यक्त किया और इसे संगीत की दुनिया के लिए एक बड़ी क्षति बताया.
The passing away of Gitashree Sandhya Mukhopadhyay Ji leaves us all extremely saddened. Our cultural world is a lot poorer. Her melodious renditions will continue to enthral the coming generations. My thoughts are with her family and admirers in this sad hour. Om Shanti.
60 और 70 के दशक में प्लेबैक सिंगिंग की सबसे मधुर आवाज़ों में से एक मानी जाने वाली संध्या मुखर्जी ने बंगाली में हजारों गाने हैं और लगभग एक दर्जन अन्य भाषाओं में गाए गाने उनके नाम दर्ज हैं. महान गायिका हेमंत मुखर्जी के साथ उनके गाने संगीत प्रेमियों द्वारा बेहद पसंद किए जाते हैं.
संध्या मुखर्जी को 2011 में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'बंग विभूषण' मिला. उन्हें 1970 में जय जयंती के लिए सर्वश्रेष्ठ महिला पार्श्व गायिका के राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार से सम्मानित किया गया, जो हॉलीवुड क्लासिक साउंड ऑफ म्यूजिक का बंगाली रीमेक है.