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शहादत को सलाम- देश के लिए जो चढ़ गए फांसी

आज दुनिया देखेगी कि भारत के लोग बेजुबां नहीं है उनका खून अभी भी ठंडा नहीं हुआ है,वो अपने देश के लिए प्राणों की आहुति के लिए तैयार हैं. 

Shaheed Bhagat Singh Shaheed Bhagat Singh
मेधा चावला
  • नई दिल्ली,
  • 23 मार्च 2017,
  • अपडेटेड 11:32 AM IST

क्रांतिकारी शहीद-आज़म भगत सिंह, शिवराम राजगुरु और सुखदेव ने आज ही के दिन साल 1931 में 23 मार्च को देश की खातिर हंसते-हंसते फांसी का फंदा चूम लिया था. 

1. 17 दिसंबर 1928 को लाला लाजपत राय का मौत का बदला लेने के लिए भगत, सुखदेव और राजगुरु ने अंग्रेज पुलिस अधिकारी जेपी सांडर्स की हत्या की थी.

2. फांसी के वक्त भगत सिंह की उम्र 24, राजगुरु 23 और सुखदेव की 24 साल थी.

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3. जेल में अपने अधिकारियों की लड़ाई के लिए भगत सिंह ने अपने साथियों के साथ 64 दिन की भूख हड़ताल की थी.

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4. कहा जाता है कि फांसी का समय 24 मार्च की सुबह तय की गई थी लेकिन किसी बड़े जनाक्रोश की आशंका से डरी हुई अंग्रेज़ सरकार ने 23 मार्च की रात को ही इन क्रांति-वीरों की जीवनलीला समाप्त कर दी.

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