
अमेरिका का यूटा शहर उन दिनों पुलिस के लिए रहस्य का अड्डा बनता जा रहा था. पिछले दो हफ्तों में तीन लड़कियों की गुमशुदगी ने सबकी नींद उड़ा दी थी. वो कहां गई, किसी को कुछ ख़बर नहीं.
ये 1978 का अगस्त था. इन घटनाओं से बेपरवाह 18 साल की कैरोल डा रोंच की कार एक मॉल की तरफ बढ़ रही थी. गाड़ी पार्क कर वो बुक स्टोर में दाखिल होने जा रही थी कि तभी किसी ने उसे पीछे से टोका..
-क्या आपकी गाड़ी पार्किंग में लगी है?
-जी, क्यों, कुछ हुआ है क्या?
दरअसल, शायद मैंने आपकी गाड़ी में से किसी को कुछ चुराते देखा था, तो अगर आप एक बार चल कर कंफर्म कर लें तो ये आपके लिए बेहतर होगा.
दोनों पार्किंग में चले गए. कैरोल ने गाड़ी के अंदर झांका. सब कुछ सही दिख रहा था.
-एक्चुअली, मेरी गाड़ी से कुछ मिसिंग नहीं है. आपने शायद किसी और की गाड़ी देखी होगी.
-नहीं, मैं श्योर हूँ, यही गाड़ी थी. एक्चुअली मैं एक पुलिस अफसर हूँ, मेरे कुछ साथियों ने शक की बिनाह पर एक आदमी को पकड़ा है. आप चाहें तो चल कर पुलिस स्टेशन में कंप्लेन कर सकती हैं.
-ठीक है, पर मैं आपको जानती नहीं हूँ, क्या मैं आपका कार्ड देख सकती हूँ
- ओह.. यस अफकोर्स. ये देखिए
-ओके. थैंक्यू. हम चल सकते हैं.
दोनों लोग कैरोल की कार में पुलिस स्टेशन की तरफ रवाना हुए. मेन रोड से होते हुए वो हाईवे की तरफ बढ़ रहे थे, लेकिन तभी गाड़ी की दिशा बदल गई..
-सर आप ये गाड़ी किधर ले जा रहे हैं..... सर.... मैं आपसे पूछ रही हूँ. आप प्लीज़ मुझे उतार दें, मुझे कंप्लेन नहीं लिखवानी..
-चुप रहो
एक सुनसान स्कूल के सामने गाड़ी रुकी. उस अफसर की आंखें लाल हो गई थीं. कैरोल को घूरता वो उसकी ओर झपटा. उसका हाथ पकड़ा और जबरदस्ती कलाई में हथकड़ी बांध दी. फिर बंदूक निकाल कर कैरोल के ऊपर तान दी.
-मैं तुम्हारी जान ले लूंगा. बिल्कुल चुप. मैं जो कह रहा हूँ वो करो.
-मार दो मुझे लेकिन मैं तुम्हारी एक भी बात नहीं मानने वाली
ये सुनना था कि अफसर ने कैरोल के गाल पर चांटे मारने शुरु कर दिए. कैरोल इस पागलपन को बर्दाश्त नहीं कर पा रही थी. लेकिन तभी उसकी नज़र गाड़ी के दरवाज़े पर पड़ी, वो अनलॉक्ड था. उसने बिना देर किए अफसर को धक्का दिया और बाहर कूद गई. वो सड़क पर हेल्प-हेल्प चिल्लाती हुई भाग रही थी. अफसर ने भी स्टियरिंग संभाला और उसका पीछा करने लगा. अभी वो कैरोल तक पहुंच पाता उससे पहले ही कैरोल एक गाड़ी में बैठी और वहां से निकल गई.
कैरोल तो बच गई थी लेकिन अफसर की भेष में वो बहरूपिया अब नए शिकार की तलाश में था. एक बहरूपिया जिसकी ख़ोज में अमेरिकी पुलिस महीनों से भटक रही थी...
द मोस्ट वांटेड सायको सिरियल किलर... टेड बंडी.
हमने कई बार ये बात कही या सुनी है- पैशन फॉलो करो, लेकिन एक ज़रूरी चीज़ जो हम अक्सर भूल जाते हैं वो ये कि ज़रूरी नहीं पैशन हमेशा पॉजिटिव हो, कई बार ये निगेटिव भी हो सकता है और किसी की ज़िन्दगी तबाह कर सकता है. टेड बंडी की कहानी इसका ही एक उदाहरण है जिसे औरतों के बलात्कार और हत्या में मज़ा आता था, धीरे-धीरे ये उसका पैशन बनता चला गया. लेकिन इस वहशियत के बीज़ उसके बचपन की कहानी में छिपे थे. ‘नामी गिरामी’ में सुनने के लिए क्लिक करें.
1969 में रिचर्ड निक्सन अमेरिका के राष्ट्रपति बन गए. इन्हीं दिनों में टेड बंडी वाशिंगटन के एक कॉलेज में पढ़ाई कर रहा था. यहां उसकी मुलाकात डायनी एडवर्स से हुई. धीरे-धीरे वो करीब आए लेकिन टेड को डर लगता था कि डायनी उसे गरीब होने के कारण छोड़ देगी. अपना रुतबा बढ़ाने के लिए टेड ने राजनीति को चुना और रिपब्लिकन पार्टी का हिस्सा बन गया. सत्ताधारी पार्टी का मेंबर होने के बाद टेड का उठना बैठना बड़े-बड़े नेताओं के साथ होने लगा. सब कुछ ठीक था मगर एक दिन टेड को अपने दोस्त मार्लिन की देखादेखी वकालत करने की सूझी. इम्तिहान भी दिया लेकिन मन मुताबिक कॉलेज नहीं मिला. आखिर उसे यूनिवर्सिटी ऑफ पगेट साउंड में दाखिला लेना पड़ा. डायनी को एक स्थिर भविष्य चाहिए था मगर टेड की बदलती दिलचस्पियों ने उसे परेशान कर दिया था. फाइनली उनका रिश्ता ब्रेक अप तक पहुंच गया जिसका डर टेड को हमेशा से था. रिश्ता टूटा तो टेड भी टूट गया. उसे लड़कियों से घिन्न होने लगी. वो नफरत की हद तक पागल हो रहा था. यहां से अब बहुत कुछ बदलने वाला था. ‘नामी गिरामी’ में सुनने के लिए क्लिक करें
जुलाई, 1974. वॉशिंगटन में ये छुट्टी का दिन था. शाम ढलने की तरफ थी. तभी एक जर्नलिस्ट का फोन बजा..
-हेलो, Sammamish लेक के पास से दो लड़कियां गायब हो गई हैं. तुरंत रिपोर्टिंग के लिए पहुंचो.
कॉल सुनते ही रिपोर्टर निकल पड़ा. दूर से ही उसे पुलिस की गाड़ियों के सायरन सुनाई दे रहे थे. लोगों से पूछताछ हो रही थी. रिपोर्टर ने भी अपनी तफ्तीश शुरू कर दी.
-मैं जर्नलिस्ट हूँ. क्या आप में से किसी ने भी उन दो लड़कियों को गुम होने से पहले देखा था.
- हां.. मैंने एक लड़की को तो देखा था.. वो एक लड़के से बात कर रही थी. लाइट ब्राउन कलर की फॉक्सवैगन कार थी. लड़का काफी हैंडसम था.. और हां उसने अपना नाम टेड बताया था.
जर्नलिस्ट ने इस बारे में तुरंत पुलिस को सूचित किया. स्केच आर्टिस्ट को बुलाया गया और लड़की के कहे मुताबिक आरोपी का स्केच बन कर तैयार हुआ.
पुलिस के पास अब तीन सुराग थे. पहला- लाइट ब्राउन की फॉक्सवैगन कार. दूसरा स्केच और तीसरा आरोपी का नाम- टेड. मगर 70 के दशक में डेटा स्टोरेज की दिक्कत थी. वाशिंगटन से अबतक आठ लड़कियां लापता हो चुकी थीं लेकिन ये काम किसी एक शख्स का ही था या किसी गैंग का... पुलिस के पास इसका कोई जवाब नहीं था. उसे सिर्फ एक रास्ता नज़र आ रहा था. तस्वीर को सार्वजनिक कर देना. तस्वीर सार्वजनिक हुई तो पुलिस स्टेशन में कॉल की भरमार लग गई. पुलिस के लिए ये सब सिरदर्द बन रहा था मगर ढेरों कॉल में से एक ने उनका ध्यान खींचा.
- हेलो... मैं लिज़ बोल रही हूँ. मेरे बॉयफ्रेंड का नाम टेड बंडी है. कई दिनों से उसकी हरकतें मुझे सही नहीं लग रही. उसने मुझसे कहा कि वो लोगों को फॉलो करता हैं. वो ऐसा करना नहीं चाहता बावजूद इसके वो खुद को रोक नहीं पाता. मुझे लड़कियों के कपड़े मिले हैं उसके बैग से. चाभियों का गुच्छा भी है. प्लीज़ आप उसे चेक कर लें.
पुलिस ने तहकीकात की तो पता चला लिज़ का बॉयफ्रेंड घटना से एक हफ्ते पहले Sammamish लेक गया था. तभी पता चला कि एक डिटेक्टिव ने फॉक्सवेगन कार को पकड़ा है. उसमें से लड़कियों के कपड़े, हथकड़ी और हथियार मिले हैं. संदिग्ध को गाड़ी समेत पुलिस स्टेशन लाया गया. कुछ देर बाद Sammamish लेक के पास मौज़ूद आठ चश्मदीद पुलिस स्टेशन पहुंचे लेकिन उनमें से सात लोगों ने टेड बंडी को पहचानने से इंकार कर दिया. ये वाकई अजीब था. पुलिस के पास टेड को छोड़ने के अलावा कोई चारा बाकी नहीं रह गया. टेड आज़ाद था. कुछ हफ्ते तक सब शांत रहा मगर एक नरकंकाल ने ये खामोशी तोड़ी. हाईवे से सटे एक इलाके में इसे बरामद किया गया था. ‘नामी गिरामी’ में सुनने के लिए क्लिक करें
टेड को अब अपने पकड़े जाने का डर सता रहा था, लिहाज़ा उसने यूनिवर्सिटी ऑफ पगेट साउंड छोड़ यूटा के लॉ कॉलेज में दाखिला ले लिया. कुछ ही हफ्ते बीते थे कि अब यूटा में वही शुरू हो गया जो वॉशिंगटन में चल रहा था. यूटा के पुलिस चीफ की बेटी मेलिसा लापता हो गई. वो अपने एक दोस्त से मिलने के बाद घर के लिए रवाना हुई थी लेकिन पहुंच ना सकी. 9 दिन बाद पुलिस को मेलिसा की लाश मिली. पोस्टमार्टम में पता चला कि उसे मारने के बाद उसका रेप भी किया गया. पुलिस ने शहर की लड़कियों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी. औरतों को घर से अकेले न निकलने की सलाह दी गई और घर के पिछले दरवाज़े के बजाय मेन दरवाज़ा इस्तेमाल करने के लिए कहा गया. शहर में एक पागल, खूंखार हत्यारा आज़ाद घूम रहा था जो अपने अगले शिकार की तलाश में था. लेकिन उससे एक चूक हो गई.
कैरोल डा रॉच के साथ हुई घटना ने टेड बंडी को फंसा दिया. यूटा में टेड के खिलाफ पुलिस को चश्मदीद मिल गई थी लेकिन अभी भी मौत के आंकड़े अफनी रफ्तार से बढ़ रहे थे. हर हफ्ते किसी न किसी लड़की की लाश मिल रही थी. पुलिस इतना समझ चुकी थी कि ये काम साइको किलर का है जो पॉर्नोग्राफी एडिक्टेड है.
वाशिंगटन और यूटा के बाद कोलोराडो में भी ऐसी वारदातें होने लगीं. 21-22 साल की लड़कियों के कंकाल मिलने लगे. पुलिस, लोग, सरकारें सब अपना धैर्य खो रहे थे. तभी यूटा में ट्रैफिक पुलिस ने एक फॉक्सवैगन गाड़ी को पकड़ा. ड्राइविंग सीट पर टेड बंडी था. कार से वही चीज़ बरामद हुई जो वाशिंगटन मे हुई थी- लड़कियों के कपड़े, हथकड़ी और हथियार. टेड को फिर से गिरफ्तार किया गया. शिनाख्त के लिए कैरोल डा रोंच को बुलाया गया. टेड को देखते ही कैरोल के दिमाग में उस रोज़ घटा हर एक पल ताज़ा हो गया. उसने ज़ोर से चीखते हुए टेड की तरफ उंगली उठा दी. फाइनली जिस आरोपी की तलाश पुलिस चार साल से कर रही थी वो उसके सामने था. वाशिंगटन पुलिस को भी इस गिरफ्तारी की ख़बर दी गई. उनका केस यूटा के केस से मेल खा रहा था. ये बात अब पक्की हो गई थी कि वाशिंगटन और यूटा में हुई सीरियल किलिंग्स एक ही शख्स के हाथों हुई थीं.. लेकिन टेड भला क्यों स्वीकारता. ‘नामी गिरामी’ में सुनने के लिए क्लिक करें.
टेड खुद पर लगे इल्ज़ामों को खारिज करता रहा. उधर वॉशिंगटन और यूटा की पुलिस केस मज़बूत करने के लिए मिलजुलकर सबूत जुटा रही थी. केस की हियरिंग डेट नज़दीक आते आते टेड के मन में बचने की खुराफातें जागने लगीं. वो जेल में उछल-कूद करने लगा. जेल की दीवारों को छलांग मार के छूने की कोशिश करता. कभी कसरत करने लगता, कभी कुछ और.
हियरिंग वाले दिन टेड पुलिस के साथ कोर्ट में था. सुनवाई शुरु होने में अभी वक्त था. टेड अपना केस खुद ही लड़ रहा था तो तैयारी के लिए उसने कोर्ट रूम की लाइब्रेरी जाने की इजाजत मांगी. कमरे में उसके अलावा कोई नहीं था. पुलिस बाहर खड़ी थी. कुछ मिनट बाद ही नीचे से किसी के चिल्लाने की आवाज़ आई....
सर... सर... टेड भाग गया. वो दूसरी मंज़िल से कूद कर पहाड़ियों की तरफ भागा है.
हड़बड़ाते हुए हर कोई लाइब्रेरी के अंदर पहुंचा. टेड गायब था. पुलिस की गाड़ियां उसकी तलाश में भटकने लगीं. हर चौक पर नाकाबंदी थी. लोगों को आगाह किया जाने लगा. सायको किलर एक बार फिर से सबके बीच खुला घूम रहा था. डर था कि मुश्किल से रोका गया हत्याओं का सिलसिला फिर ना शुरू हो जाए. पांचवें दिन पुलिस को एक ब्लू रंग की गाड़ी दिखाई दी जिसमें टेड मौजूद था. पुलिस को देखकर वो भागा भी लेकिन नाकामयाब रहा. घेर घारकर पुलिस स्टेशन लाया गया लेकिन कमाल देखिए कुछ ही हफ्तों बाद जेल की छत तोड़कर वो फिर से फरार था. इस बार टेड बंडी पहले से ज़्यादा खतरनाक और आक्रामक था. ‘नामी गिरामी’ में सुनने के लिए क्लिक करें.
टेड पर केस चलते हुए कई साल बीत गए. खुद को बेगुनाह साबित करने के लिए और अपनी बात लोगों तक पहुंचाने के लिए उसने दो पत्रकारों का इस्तेमाल किया लेकिन हर बार आप जो चाहें वही नहीं होता. प्रेस का इस्तेमाल टेड बंडी के लिए सबसे बड़ी चूक साबित होने जा रहा था. बेगुनाही का सबूत देने के चक्कर में टेड बंडी उलझता गया. अपने दिए गए इंटरव्यूज़ में वो कब अपने बारे में ही बताता चला गया उसे बहुत बाद में रियलाइज़ हुआ. पुलिस के सामने जो गुनाह उसने कभी नहीं कबूले अपने इंटरव्यूज़ में मंज़ूर कर लिए. फिर तो उसने एक एक कर हर उस जगह के बारे में बताना शुरू किया जहां उसने लड़कियों को मार कर गाड़ा था. साल भर पुलिस उसकी बताई जगहों को खंगालती रही और 36 लड़कियों के बचे खुचे अवशेष बरामद किए. टेड का अपना दावा था कि उसने सौ से ज्यादा लड़कियों को शिकार बनाया है मगर पुलिस जल्द से जल्द केस खत्म करना चाहती थी. वो नहीं चाहती थी कि तहकीकात और लंबी खिंचे. अमेरिकी पत्रकार दावा करते हैं कि पुलिस ने बाकी केसेस को दबा दिया और 36 हत्या और बलात्कार के चार्जेज टेड बंडी पर लगाए.
इसी बिनाह पर अदालत ने उसे दोषी करार देते हुए मौत की सज़ा सुना दी. 24 जनवरी 1989 वो तारीख थी जब इलेक्ट्रिक चेयर पर बिजली का झटका देकर दुनिया के सबसे कुख्यात साइको किलर टेड बंडी को हमेशा के लिए खामोश कर दिया गया. ‘नामी गिरामी’ में सुनने के लिए क्लिक करें.
हैरत होती है कि कोई इतना हिंसक, इतना वहशी, इतना असंवेदनशील कैसे हो सकता है कि लाश के सड़ जाने तक उसका रेप करता रहे. टेड बंडी की कहानी खत्म हुए आज पचास साल से ज़्यादा का वक्त बीच चुका है मगर उसने जो कुछ किया उसे याद करके अब भी रीढ़ में सिहरन दौड़ जाती है.