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दुनिया में 25 नवंबर को 'इंटरनेशनल डे फॉर दे एलिमिनेशन ऑफ वायलेंस अगेंस्ट वुमन' मनाया जाता है. ताकि महिलाओं के खिलाफ अपराधों को रोका जा सके. इस दिन को मनाने की शुरुआत साल 1999 से की गई थी. साल 1960 में डोमोनिक गणराज्य के तानाशाह रफे त्रुजिलो का विरोध करने पर मिराबल बहनों का कत्ल कर दिया गया था. उनकी याद पर ही 'इंटरनेशनल डे फॉर दे एलिमिनेशन ऑफ वायलेंस अगेंस्ट वुमन' मनाया जाता है.
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साल 2011 में Tomson-Reuters Trust Law Foundation की शोध-रिपोर्ट में पता चला कि भारत भी महिलाओं के लिए सबसे असुरिक्षत देशों में से एक है. शोध रिपोर्ट में भारत को दुनिया में चौथा स्थान मिला. फाउंण्डेशन की इस सर्वे रिपोर्ट पर भारत की काफी आलोचना हुई.
जानें हर दिन कितनी महिलाएं होती हैं शोषण की शिकार
- Newsflicks की रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में तीन में से हर एक महिला शारिरिक या यौन शोषण का शिकार होती है. ज्यादातर अपराधी उनके जीवनसाथी होते हैं.
- देश में हर घंटे महिलाओं के खिलाफ 26 अपराध होते हैं.
- भारत में 2015 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 3.27 लाख मामले दर्ज किए गए थे.
- साल 2005 से 2016 के बीच 87 देशों में 15 से 49 साल की 19 प्रतिशत महिलाएं अपने साथी की हिंसा की शिकार बनी हैं.
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जानें क्या कहती हैं रिपोर्ट और आंकड़े..
साल 2016 में National crime records bureau (एनसीआरबी) की रिपोर्ट में बताया गया कि महिलाओं को सुरक्षा उपलब्ध कराने के बावजूद 2014 में प्रतिदिन 100 महिलाओं का बलात्कार हुआ और 364 महिलाएं यौनशोषण का शिकार हुई. रिपोर्ट के मुताबिक 2014 में केंद्रशासित और राज्यों को मिलाकर कुल 36735 मामले दर्ज हुए. यह भी तथ्य उजागर हुआ है कि हर साल बलात्कार के मामलों में वृद्धि हुई है. एक तरह से देखा जाए तो महिला अत्याचार विरोधी कानून का देश में कोई खौफ नहीं है.
यूनिसेफ की रिपोर्ट ‘Hidden in Plain Sight’ में सामने आया कि भारत में 15 साल से 19 साल की उम्र वाली 34 फीसदी विवाहित महिलाएं ऐसी हैं, जिन्होंने अपने पति या साथी के हाथों शारीरिक या यौन हिंसा झेली हैं. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि 15 साल से 19 साल तक की उम्र वाली 77 फीसदी महिलाएं कम से कम एक बार अपने पति या साथी के द्वारा यौन संबंध बनाने या अन्य किसी यौन क्रिया में जबरदस्ती का शिकार हुई हैं. इसी तरह 15 साल से 19 साल की उम्र वाली लगभग 21 फीसदी महिलाएं 15 साल की उम्र से ही हिंसा झेली हैं. 15 साल से 19 साल के उम्र समूह की 41 फीसद लड़कियों ने 15 साल की उम्र से अपनी मां या सौतेली मां के हाथों शारीरिक हिंसा झेली हैं जबकि 18 फीसदी ने अपने पिता या सौतेले पिता के हाथों शारीरिक हिंसा झेली है.
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि जिन लड़कियों की शादी नहीं हुई, उनके साथ शारीरिक हिंसा करने वालों में पारिवारिक सदस्य, मित्र, जान-पहचान के व्यक्ति और शिक्षक थे. संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष तथा वाशिंगटन स्थित संस्था 'International Center Research on Women '(ICRW) की रिपोर्ट से सामने आया कि भारत में 10 में से 6 पुरुषों ने कभी न कभी अपनी पत्नी अथवा प्रेमिका के साथ हिंसक व्यवहार किया है. रिपोर्ट में कहा गया कि यह प्रवृत्ति उनलोगों में ज्यादा है जो आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं.
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महिलाओं ने स्वीकार की ये बात...
रिपोर्ट के अनुसार 52 फीसदी महिलाओं ने स्वीकारा है कि उन्हें किसी न किसी तरह हिंसा का सामना करना पड़ा है. इसी तरह 38 फीसदी महिलाओं ने घसीटे जाने, पिटाई, थप्पड़ मारे जाने और जलाने जैसे शारीरिक उत्पीड़नों का सामना करने की बात स्वीकारी है.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार देश में तकरीबन 95000 से अधिक बलात्कार के मुकदमें अदालतों में लंबित हैं. इनका निपटरा कब होगा भगवान जाने. भारत में हर एक घंटे में 22 बलात्कार के मामले दर्ज होते हैं.
महिलाओं को लेकर ये दुनिया ना कल सुरक्षित थी, ना आज है, और भविष्य का पता नहीं. लेकिन फिर भी हम और आप मिलकर महिलाओं लेकर दिवस मनाते रहेंगे. ताकि हम सब को समय-समय पर याद आता रहे है कि 'नारी का सम्मान' जरूरी है...