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जब साउथ अमेरिका में एक साथ 900 से ज्यादा लोगों ने दे दी थी जान, मास सुसाइड की हैरान करने वाली वजह

आज का दिन एक ऐसी घटना का गवाह बना जिसके बारे में काफी कम ही लोगों को पता है. ये घटना थी एक मास सुसाइड की. इसमें एक-दो लोगों ने नहीं बल्कि 900 से ज्यादा लोगों ने जान दे दी थी. जानते हैं आखिर इस मास सुसाइड की वजह क्या थी.

जोन्सटाउन नरसंहार (Getty) जोन्सटाउन नरसंहार (Getty)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 9:40 AM IST

आज के दिन 18 नवंबर को साउथ अमेरिका के जंगलों के बीच एक दिल दहलाने वाली घटना हुई थी.  46 साल पहले 1978 में गुयाना के जंगलों के बीच एक जगह करीब एक हजार लोगों ने सामूहिक आत्महत्या कर ली थी. ये सब एक चर्चमैन और खुद को करिश्माई मसीहा बताने वाले शख्स के उकसावे पर हुआ था. 

18 नवंबर, 1978 को, पीपल्स टेम्पल के संस्थापक जिम जोन्स  सैकड़ों अनुयायियों के साथ दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना के एक सुदूर इलाके में अपने कृषि प्रोजेक्ट बनाया था. इस जगह का नाम उसने रखा था जोन्स टाउन. इसी जोन्स टाउन में 900 से ज्यादा लोगों ने सामूहिक रूप से खुदकुशी कर ली थी. 

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हजारों लोगों को जहर पीने के लिए किया गया था मजबूर
जोन्स के कई अनुयायियों ने स्वेच्छा से जहर मिला हुआ कोई पेय पदार्थ पी लिया था. इनमें से कईयों को बंदूक की नोक पर ऐसा करने के लिए मजबूर भी किया गया था. उस दिन जोन्सटाउन में मरने वालों की अंतिम संख्या 909 थी.इसमें एक तिहाई बच्चे थे.

खुद को करिश्माई मसीह बताता था आरोपी
जिम जोन्स एक करिश्माई चर्चमैन थे. जिन्होंने 1950 के दशक में इंडियानापोलिस में एक ईसाई संप्रदाय, पीपल्स टेम्पल की स्थापना की थी. उन्होंने नस्लवाद के खिलाफ प्रचार शुरू किया. इस वजह से उनके साथ कई अफ्रीकी अमेरिकी जुड़ने लगे. इस तरह उनके हजारों अनुयायी बन गए. 1965 में जिम जोन्स अपने अनुयायियों के साथ उत्तरी कैलिफोर्निया चले गए. 

करिश्माई चर्चमैन पर लगे थे कई सारे आरोप
1971 के बाद वेलोग कैलिफोर्निया से भी चले गए और सैन फ्रांसिस्को में बस गए. 1970 के दशक में जोन्स पर मीडिया ने वित्तीय धोखाधड़ी, अपने अनुयायियों  के शारीरिक शोषण और बच्चों के साथ दुर्व्यवहार का आरोप लगाया था. बढ़ती आलोचना के बीच जोन्स ने अपने मण्डली को अपने साथ गुयाना चलने के लिए आमंत्रित किया. उसने वहां एक अलग दुनिया बसाने की बात कही, जो कृषि पर आधारित थी. उसने अपने अनुयायियों से कहा कि वहां दुनिया की भागमभाग हटकर एक सुकून मिलेगा. 

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हजारों अनुयायियों के साथ गुयाना में बसाया एक नया शहर
जोन्स  ने अपने अनुयायियों से वादा किया कि वे एक समाजवादी यूटोपिया का निर्माण करेंगे. उसने बताया कि तीन साल पहले उनके अनुयायियों का एक छोटा समूह ने जंगल के उस हिस्से में  गया था और वेलोग जोन्सटाउन बनने के लिए वहां काम कर रहे हैं. इसके बाद सैकड़ों लोगों को लेकर जिम जोन्स गुयाना के जंगलों के बीच बने एक जगह पर चला गया, जिसका नाम उसने जोन्सटाउन रखा.  
 
जोन्सटाउन के बारे में जैसा जिम जोन्स ने लोगों को बताया था, वो जगह बिलकुल भी वैसी नहीं थी.  वहां के लोगों को खेतों में पूरे दिन काम करना पड़ता था और अगर वे जोन्स के कहे पर सवाल उठाते तो उन्हें कठोर दंड दिया जाता था. उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए, उनके घर भेजे गए पत्रों को सेंसर कर दिया गया. 

मानसिक रूप से कमजोर और नशे का आदी थी जोन्स
जोन्स, जो उस समय मानसिक रूप से कमजोर हो चुका था और नशे का आदी हो चुका था. उसे यकीन हो गया था कि अमेरिकी सरकार और अन्य लोग उसे खत्म करना चाहते हैं. उसने अपने ग्रुप पीपुल्स टेंपल के सदस्यों को आधी रात में नकली आत्महत्या अभ्यास में भाग लेने के लिए कहा.

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1978 में जोंस के अनुयायियों के रिश्तेदार और पीपुल्स टेंपल के पूर्व सदस्यों  के एक समूह ने कैलिफोर्निया के डेमोक्रेट अमेरिकी कांग्रेसी लियो रयान को जोन्सटाउन जाकर वहां होने वाली जोंस की करतूतों की जानकारी लेने और जांच करने के लिए राजी कर लिया.

जांच करने आए प्रतिनिधिमंडल के सदस्यों की कर दी हत्या
17 नवंबर 1978 को रयान पत्रकारों और अन्य पर्यवेक्षकों के एक समूह के साथ जोन्सटाउन पहुंचे. पहले तो यह दौरा ठीक रहा, लेकिन अगले दिन, जब रयान का प्रतिनिधिमंडल जाने वाला था, तो जोन्सटाउन के कई लोग उनके पास पहुंचे और उनलोगों को गुयाना के जंगल से बाहर निकालने में मदद करने को कहा. 

जोन्स को जब ये बात पता चली कि उसके कुछ अनुयायियों ने प्रतिनिधिमंडल से बातचीत की है, तो वह परेशान हो गया.  इसके बाद जब रयान और उनके साथ आया प्रतिनिधिमंडल वापस लौट रहा था , तब जोन्स ने  हवाई पट्टी पर घात लगाकर हमला करने का आदेश दिया. जब वे भागने की कोशिश कर रहे थे. इस घटना में रयान और चार अन्य लोगों की हत्या तब की गई जब वे अपने चार्टर विमानों में सवार हो रहे थे.

हजारों लोगों को साइनाइड मिला जहर पीने को किया मजबूर
जोन्सटाउन में वापस आकर जोन्स ने सभी को मुख्य मंडप में इकट्ठा होने और एक क्रांतिकारी कार्य करने का आदेश दिया. पीपल्स टेम्पल के सबसे कम उम्र के सदस्य सबसे पहले मारे गए, क्योंकि माता-पिता और नर्सों ने बच्चों के गले में साइनाइड, शामक और पाउडर वाले फलों के रस का एक शक्तिशाली मिश्रण उन्हें पीने दिया. फिर वयस्कों ने कतार में खड़े होकर उस जहर को पीया. इस दौरान रयान के सशस्त्र गार्डों ने मंडप को घेर रखा था.

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जब गुयाना के अधिकारी अगले दिन जोन्सटाउन परिसर में पहुंचे, तो उन्होंने पाया कि वहां सैकड़ों शव पड़े थे. कई लोग एक-दूसरे का हाथ थामे हुए थे. आत्महत्या के समय कुछ लोग जंगल में भागने में सफल रहे, जबकि कई दर्जन पीपल्स टेम्पल के सदस्य बच गए क्योंकि वे उस समय गुयाना के दूसरे हिस्से में थे.

यह भी पढ़ें: जब गोलीबारी और धमाकों से दहल उठा फ्रांस, दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार मची थी ऐसी तबाही

1975 में धार्मिक पंथ के नेता और नागरिक अधिकार कार्यकर्ता रेव. जिम जोन्स ने आने वाली घटनाओं का संकेत दिया. सैन फ्रांसिस्को में अपने पीपल्स टेम्पल चर्च में एक धर्मोपदेश के दौरान उन्होंने कहा कि मुझे समाजवाद पसंद है, और मैं इसे लाने के लिए मरने को तैयार हूं. अगर मैं ऐसा करता हूं, तो मैं अपने साथ एक हजार लोगों को ले जाऊंगा.

सिर्फ दो साल बाद 18 नवंबर, 1978 को, वे शब्द तब हकीकत बन गए जब 900 से ज़्यादा लोग, जिनमें से एक तिहाई बच्चे थे, जोन्सटाउन नरसंहार के दौरान मारे गए, जो अमेरिकी इतिहास में सबसे भयानक सामूहिक हत्याओं में से एक था.

प्रमुख घटनाएं 


18 नवंबर 1727 - महाराजा जय सिंह द्वितीय ने जयपुर शहर की स्थापना की। शहर के वास्तुकार बंगाल के विद्याधर चक्रवर्ती थे.

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18 नवंबर  1738 - फ्रांस और आस्ट्रिया के बीच शांति समझौते पर हस्ताक्षर.

18 नवंबर  1833 - हॉलैंड और बेल्जियम के बीच जोनहोवेेन संधि पर हस्ताक्षर.

18 नवंबर  1918 - उत्तरपूर्वी यूरोपीय देश लातविया ने रूस से स्वतंत्रता की घोषणा की.

18 नवंबर  1948 - बिहार की राजधानी पटना के निकट स्टीमर ‘नारायणी’ दुर्घटनाग्रस्त होने से पांच सौ लोग डूबे.

18 नवंबर  1956 - मोरक्को ने स्वतंत्रता हासिल की.

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