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21 सितंबर: कभी अलग रियासत थी.. ऐसे बना भारत का हिस्सा, जानें मणिपुर की कहानी

आज 21 सितंबर है. कैलंडर के अनुसार वर्ष का 265 वां (लीप वर्ष) दिन. इस तारीख से कई ऐसी घटनाएं हैं, जिनका इतिहास में अलग स्थान है. इस दिन देश-दुनिया में घटित कई ऐसे किस्से हैं, जो काफी दिलचस्प हैं. उनमें से ही एक कहानी के बारे में यहां जिक्र किया जा रहा है, जो भारत के लिहाज से काफी अहम है.

मणिपुर कैसे बना भारत का हिस्सा मणिपुर कैसे बना भारत का हिस्सा
सिद्धार्थ भदौरिया
  • नई दिल्ली,
  • 21 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 11:22 AM IST

21 सितंबर का दिन भारत के उत्तर-पूर्वी राज्य मणिपुर के लिए एक खास दिन है. इन दिनों मणिपुर के जो हालात हैं, वहां जो कुछ भी चल रहा है. ऐसे में आज के दिन यहां मणिपुर के इतिहास से जुड़ी एक ऐसी रोचक कहानी की बात करेंगे, जिनके बारे में ज्यादा कहा-सुना नहीं गया है. क्योंकि कभी एक अलग रियासत रही मणिपुर इसी दिन भारत का हिस्सा बना था.   

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भारत के साथ मणिपुर के जुड़ने की कहानी 1947 से शुरू होती है. जब अंग्रेजों ने मणिपुर छोड़ा तब मणिपुर का शासन महाराजा बोधचन्द्र के पास आ गया. मणिपुर ने 21 सितम्बर 1949 को भारत के साथ विलय संधि की. इसके बाद 15 अक्टूबर 1949 से मणिपुर भारत का अंग बन गया.

पहले एक केंद्रशासित प्रदेश था मणिपुर
26 जनवरी 1950 को भारतीय संविधान लागू होने पर यह एक मुख्य आयुक्त के अधीन भारतीय संघ में भाग ‘सी’ के राज्य के रूप में शामिल हुआ. यहां बाद में एक प्रादेशिक परिषद गठित की गई, जिसमें 30 चयनित तथा दो मनोनीत सदस्य थे. इसके बाद 1962 में केंद्रशासित प्रदेश अधिनियम के अंतर्गत 30 चयनित तथा तीन मनोनीत सदस्यों की एक विधानसभा स्थापित की गई.

1972 में मिला पूर्ण राज्य का दर्जा
फिर 19 दिसंबर 1969 से यहां प्रशासक का दर्जा मुख्य आयुक्त से बढ़ाकर उपराज्यपाल कर दिया गया. अंतत: 21 जनवरी 1972 को मणिपुर को पूर्ण राज्य का दर्जा मिला और 60 निर्वाचित सदस्यों वाली विधानसभा गठित की गई. इस तरह मणिपुर एक भारतीय राज्य बन गया. 

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मणिपुर का इतिहास
मणिपुर का सन 33 से लिखित इतिहास उपलब्ध है.  यहां के राजवंशों की कहानी सन 33 ई. में पाखंगबा के राज्याभिषेक के साथ शुरू होता है. वह यहां के प्रथम शासक थे और 120 वर्षों (33-154 ई ) तक शासन किया. उसके बाद अनेक राजाओं ने मणिपुर पर शासन किया. आगे जाकर मणिपुर के महाराज कियाम्बा ने 1467, खागेम्बा ने 1597, चराइरोंबा ने 1698, गरीबनिवाज ने 1714, भाग्यचन्द्र (जयसिंह) ने 1763, गम्भीर सिंह ने 1825 को यहां का शासन संभाला.  इन राजाओं ने शासन कर मणिपुर की सीमाओं की रक्षा की.

19वीं सदी के अंत में अंग्रेजों के अधीन आ गया था मणिपुर
मणिपुर की स्वतंत्रता और संप्रभुता 19वीं सदी के आरम्भ तक बनी रही. उसके बाद सात वर्ष (1819 से 1825 तक) बर्मी लोगों ने यहां पर कब्जा कर लिया.  24 अप्रैल 1891 के खोंगजोम युद्ध (अंग्रेज-मणिपुरी युद्ध ) हुआ. इसमें मणिपुर के वीर सेनानी पाउना ब्रजबासी अंग्रेजों के साथ लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए.  इस तरह 1891 में मणिपुर ब्रिटिश शासन के अधीन आ गया और 1947 में शेष देश के साथ स्वतंत्र हुआ.

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कई नामों से जाना जाता था मणिपुर
मणिपुर के नामाकरण के सन्दर्भ में जहां पौराणिक कथाओं से उसका संबंध जोड़ा जाता है. वहीं प्राप्त तथ्यों से यह प्रतीत होता है कि प्राचीन काल में पड़ोसी राज्यों द्वारा मणिपुर को विभिन्न नामों से पुकारा जाता था. इनमें बर्मियों द्वारा 'कथे', असमियों द्वारा 'मोगली', 'मिक्ली' आदि नाम थे. इतिहास से यह भी पता चलता है कि मणिपुर को मैत्रबाक, कंलैपुं या पोंथोक्लम आदि नामों से भी जाना जाता था.

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अन्य प्रमुख घटनाएं 

21 सितंबर  1964 में माल्टा ने ब्रिटेन से आज़ादी हासिल की. 

21 सितंबर  1985 में उत्तर और दक्षिण कोरिया ने परिवारों की मुलाकात के लिए सीमाएं खोलीं. 

21 सितंबर  1991 में आर्मेनिया को सोवियत संघ से आज़ादी मिली. 

21 सितंबर  2004 में अमेरिका ने लीबिया से आर्थिक प्रतिबंध हटाए. 

21 सितंबर  2011 में ऑस्ट्रेलिया विश्वविद्यालय के नेतृत्व में वैज्ञानिकों ने उच्च रक्तचाप के लिए ज़िम्मेदार 16 जीनों की खोज की. 

21 सितंबर  1979 को मध्य अफ़्रीकी गणराज्य के तथाकथित सम्राट बोकासा सैनिक क्रान्ति में अपदस्थ हुए

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