Advertisement

जब पाकिस्तान की इस पूर्व महिला PM की हो गई हत्या, हमलावरों ने बम और गोलियों से बनाया था निशाना

आज के दिन भारत के पड़ोसी देश पाकिस्तान में एक ऐसी घटना घटी, जिसने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया. जब एक बम विस्फोट में पूर्व प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की हत्या कर दी गई.

बेनजरी भुट्टो (फाइल फोटो - AFP) बेनजरी भुट्टो (फाइल फोटो - AFP)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 27 दिसंबर 2024,
  • अपडेटेड 7:53 AM IST

27 दिसंबर 2007 को पाकिस्तान की पूर्व प्रधानमंत्री और मुस्लिम देश की पहली लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई महिला नेता बेनजीर भुट्टो की 54 साल की उम्र में पाकिस्तान के शहर रावलपिंडी में हत्या कर दी गई. देश और विदेश में एक ध्रुवीकरण करने वाली शख्सियत भुट्टो ने पाकिस्तानी राजनीति में बने रहने के लिए तीन दशक संघर्ष किया.

अपने कई समर्थकों के लिए, वह राजनीतिक भ्रष्टाचार और इस्लामी चरमपंथ से अछूते देश में लोकतांत्रिक और समतावादी नेतृत्व की सबसे मजबूत उम्मीद का प्रतिनिधित्व करती थीं. 1953 में एक धनी ज़मींदार परिवार में जन्मी भुट्टो पाकिस्तान के राजनीतिक अभिजात वर्ग के विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग में पली-बढ़ीं. उन्होंने हार्वर्ड और ऑक्सफ़ोर्ड से डिग्री प्राप्त की.

Advertisement

पिता से विरासत में मिली थी सियासत
उनके पिता, ज़ुल्फिकार अली भुट्टो ने 1967 में लोकलुभावन झुकाव वाली पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) की स्थापना की. इसके बाद उन्होंने 1971 से 1977 तक राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया, जब उन्हें जनरल मोहम्मद जिया उल-हक के नेतृत्व में रक्तहीन सैन्य तख्तापलट में हटा दिया गया और उन पर एक राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी की हत्या कराने का आरोप लगाया गया.

पिता को फांसी दिये जाने के बाद सुर्खियों में आई थीं भुट्टो
अप्रैल 1979 में अपने पिता को अपदस्थ करने और उसके बाद फांसी दिए जाने के बाद युवा बेनजीर भुट्टो राजनीतिक सुर्खियों में आ गईं. वह और उनकी मां नुसरत, जिनके बाद वह 1982 में पीपीपी की अध्यक्ष बनीं, ने जनरल जिया का गिरफ्तारी के लिए विरोध करने और उनके खिलाफ अभियान चलाने के लिए कई साल हिरासत में और बाहर बिताए.

Advertisement

सबसे कम उम्र की पहली महिला पीएम बनीं
अगस्त 1988 में जिया की विमान दुर्घटना में मृत्यु हो गई. तीन महीने बाद भुट्टो ने आम चुनाव जीता और सरकार बनाई, जो आधुनिक समय में मुस्लिम राज्य का नेतृत्व करने वाली पहली महिला और 35 साल की उम्र में सबसे कम उम्र की पीएम बनीं. प्रधानमंत्री के रूप में आधे से भी कम कार्यकाल के बाद 1990 में बर्खास्त कर दिया गया.

दो बार बनीं पाकिस्तान की प्रधानमंत्री
वह 1993 में फिर से चुनी गईं और 1996 तक फिर से सेवा की. दोनों बार, उन्हें भ्रष्टाचार और अक्षम शासन के आरोपों के बीच मौजूदा राष्ट्रपति - 1990 में गुलाम इशाक खान और 1996 में फारूक लेघारी द्वारा पद से हटा दिया गया था. पद से दूसरी बार बर्खास्त होने के बाद, भुट्टो और उनके पति, आसिफ अली जरदारी पर कई तरह के वित्तीय कदाचार के आरोप लगे, जिसमें कई मिलियन डॉलर की रिश्वत लेना और स्विस बैंकों के ज़रिए धन शोधन करना शामिल था.

कई साल निर्वासन में रहीं भुट्टो
जरदारी ने आठ साल जेल में बिताए, जबकि भुट्टो अपने तीन बच्चों के साथ लंदन और दुबई में निर्वासन में रहीं. 2007 में अमेरिकी सरकार के भीतर भुट्टो के समर्थकों के दबाव में, राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भुट्टो, जरदारी और अन्य पाकिस्तानी राजनेताओं को भ्रष्टाचार के लंबित आरोपों के साथ माफी दे दी. 

Advertisement

आतंकवादियों से बेनजीर भुट्टो को मिली थी धमकी
उस वर्ष 18 अक्टूबर को, इस्लामी आतंकवादियों से मौत की धमकियों के बावजूद, भुट्टो 2008 के आम चुनाव में भाग लेने की योजना के साथ पाकिस्तान लौट आईं. अपने आगमन के दिन, वह अपने काफिले पर हुए एक आत्मघाती बम हमले से बाल-बाल बच गईं, जिसमें कम से कम 136 लोग मारे गए और 450 से ज़्यादा लोग घायल हो गए.

एक रैली के दौरान गोलीबारी और बम विस्फोट में हुई मौत
27 दिसंबर, 2007 को जब भुट्टो रावलपिंडी में पीपीपी की रैली में भीड़ को हाथ हिलाकर संबोधित कर रही थीं, तो एक बंदूकधारी ने उनकी बुलेटप्रूफ गाड़ी पर गोलियां चला दीं. फिर कार के पास एक बम विस्फोट हुआ, जिसमें 20 से ज़्यादा लोग मारे गए और भुट्टो समेत 100 अन्य घायल हो गए. उस रात बाद में उन्हें मृत घोषित कर दिया गया और अगले दिन उनके गृहनगर गरदी खुदा बख्श में उनके पिता की कब्र के बगल में उन्हें दफना दिया गया.

यह भी पढ़ें: आज ही हुआ था इस तानाशाह का अंत, कभी अपने देश के कहलाते थे नायक

 उनकी मौत का सही कारण विवाद में है
ब्रिटेन के स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा की गई एक बाद की जांच ने फैसला सुनाया कि भुट्टो की मौत विस्फोट की ताकत के कारण सिर में लगी चोटों से हुई, जबकि पीपीपी ने कहा कि उनकी मौत गोली लगने से हुई.

Advertisement

भुट्टो की मौत के बाद पाकिस्तान में जमकर हुई हिंसा
भुट्टो की मौत ने पूरे पाकिस्तान में व्यापक हिंसा को जन्म दिया, दंगों और प्रदर्शनों के कारण हिंसक पुलिस कार्रवाई हुई. राजनीतिक उथल-पुथल ने पहले से ही इस्लामी चरमपंथियों के खिलाफ लड़ाई में उलझे परमाणु-सशस्त्र राष्ट्र में अस्थिरता की अंतरराष्ट्रीय आशंकाओं को जन्म दिया.

यह भी पढ़ें: 22 नवंबर: जब अमेरिकी राष्ट्रपति जेएफ कैनेडी की हुई थी हत्या, वर्षों तक बनी रही पहेली

भुट्टो की मौत के बाद के हफ्तों और महीनों में, पाकिस्तानी उदारवादी और पश्चिमी नेता उत्सुकता से इंतजार कर रहे थे कि उनका उत्तराधिकारी कौन बनेगा. अपनी पत्नी की हत्या के बाद पीपीपी की कमान संभालने वाले जरदारी सितंबर 2008 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति चुने गए.

भुट्टो की हत्या के आरोपी को अमेरिका ने ड्रोन हमले में मार गिराया
भुट्टो की हत्या के अगले महीने में, अमेरिकी केंद्रीय खुफिया एजेंसी और पाकिस्तानी अधिकारियों ने अल-कायदा से जुड़े पाकिस्तानी आतंकवादी बैतुल्लाह महसूद को हत्या के पीछे का मास्टरमाइंड बताया. महसूद ने इस आरोप से इनकार किया और अगस्त 2009 में अमेरिकी ड्रोन हमले में मारा गया.

यह भी पढ़ें: 4 नवंबर: आज के दिन ही इजरायल के प्रधानमंत्री की हत्या हुई थी, यहूदी छात्र ने मारी थी गोली

प्रमुख घटनाएं 

Advertisement

27 दिसंबर 1934 - पर्सिया के शाह ने पर्सिया का नाम बदलकर ईरान करने की घोषणा की.

27 दिसंबर  1911 - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के कलकत्ता (अब कोलकाता) अधिवेशन के दौरान पहली बार ‘जन गण मन’ गाया गया.

27 दिसंबर  1861 - कलकत्ता (अब कोलकाता) में पहली बार चाय की सार्वजनिक बोली संपन्न.

27 दिसंबर 1975 - झारखंड के धनबाद जिले स्थित चासनाला कोयला खदान दुर्घटना में 372 लोगों की मौत.
 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement