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160 साल पहले जब कोलकाता में आया था भयानक तूफान, 60 हजार लोगों की गई थी जान

5 अक्टूबर 1864 को पश्चिम बंगाल में आए चक्रवाती तूफान ने कोलकाता को भयंकर बाढ़ की चपेट में ले लिया था, जिसमें 60 हजार लोग मारे गए. तूफान के बाद बीमारियों के कारण भी हजारों मौतें हुईं. इस तबाही ने बंदरगाह और शहर को बर्बाद कर दिया, जिसे फिर से बनाने में सालों लगे.

कोलकाता में 160 साल पहले आए तूफान की कहानी कोलकाता में 160 साल पहले आए तूफान की कहानी
सिद्धार्थ भदौरिया
  • नई दिल्ली,
  • 05 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 6:36 AM IST

आज ही के दिन यानी 5 अक्टूबर 1864 को पश्चिम बंगाल में चक्रवाती तूफान ने भारी तबाही मचाई थी. कलकत्ता (कोलकाता) शहर में भीषण बाढ़ आ गई थी. एक अनुमान के मुताबिक इस तूफान ने 60 हजार लोगों की जान चली गई थी. तूफान खत्म होने के बाद बीमारियों और संक्रमण की वजह से भी हजारों जानें चली गई थीं. 

बंगाल की खाड़ी में उठे इस तूफान ने पूरा शहर और बंदरगाह तबाह कर दिया था. इसे फिर से बनाने में कई साल लगे थे. इसके बाद साल 1865 में देश में पहली बार समुद्री तूफानों के लिए चेतावनी सिस्टम बनाया गया था. ऐसे में कलकत्‍ता चेतावनी (साइक्लोन सिग्नल) देने वाला पहला बंदरगाह बना. 5 अक्टूबर 1864 को कोलकाता में आए भयंकर चक्रवात की याद 160 साल बाद भी आज भी बंगाल के लोगों के दिलों में ताजा है.

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तीन शताब्दी में आए डेढ़ सौ से ज्यादा विनाशकारी तूफान
लगभग हर साल बंगाल के निवासियों को कई तरह के चक्रवातों से खतरा बना रहता है. पिछली तीन शताब्दियों में, 1737 से लेकर 2021 तक, बंगाल के लोगों ने डेढ़ सौ से ज्यादा चक्रवात तूफान का सामना किया है. 1737, 1864, 1874, 1876 और 1942 के अक्टूबर में बंगाल की खाड़ी में आए चक्रवात बहुत भयंकर थे और इनसे जान-माल का काफी नुकसान हुआ था.

1864 को आया तूफान था सबसे विनाशकारी
5 अक्टूबर 1864 को कोलकाता में आया चक्रवात बंगाल के सबसे खतरनाक चक्रवातों में से एक था. यह दुनिया के सबसे विनाशकारी चक्रवातों में से एक था. चक्रवात की तबाही बहुत भयानक थी. उस तूफान में तब के अधिकारियों का अनुमान था कि करीब 60 हजार लोगों की जान गई होगी.  कहा जाता है कि बंगाल में जान-माल के नुकसान का आंशिक रूप से ही पता लगाया गया था.

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पूरे कोलकाता में आ गई थी बाढ़
5 अक्टूबर 1864 को भारत के कलकत्ता (वर्तमान कोलकाता ) के अधिकांश क्षेत्र एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात से जलमग्न और नष्ट हो गए थे. चक्रवात ने हुगली नदी के दक्षिण में पश्चिम बंगाल के तट को पार किया, जो गंगा नदी डेल्टा में शामिल धाराओं में से एक है. अधिकांश मौतें डूबने से हुईं और अन्य तूफान से पहले फैली बीमारियों से हुईं. हुगली नदी तूफानी लहर के कारण उफान पर थी. इसके मार्ग में आने वाली हर चीज बह गई. चक्रवात के बाद शहर, आसपास के अन्य क्षेत्रों और कुछ बंदरगाहों का पुनर्निर्माण करना पड़ा.

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उस दौरान करीब 610 मिमी हुई थी बारिश 
बताया जाता है कि इस तूफान के दौरान 610 मिमी वर्षा देखी गई. कोलकाता के बंदरगाह पर खड़े कई जहाज नष्ट हो गए थे. इस विनाशकारी चक्रवात से कोलकाता और मिदनापुर के आसपास के इलाकों में जलजला आ गया था. आज भी लोग इस विनाशकारी तूफान के किस्से कहते सुनाई देते हैं, इस तूफान में जो लोग बच गए, उनके सामने बड़ी त्रासदी थी. आगे जीवन जीने के लिए खाना और बीमारी से बचे रहना एक चुनौती थी. 

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आज की प्रमुख घटनाएं 

5 अक्टूबर 1796 में स्पेन ने इंग्लैंड के खिलाफ युद्ध की घोषणा की.
5 अक्टूबर 1805 में भारत में ब्रिटिश राज के दूसरे गवर्नर जनरल व कमांडर इन चीफ लार्ड कार्नवालिस का गाजीपुर में निधन हो गया था. 
5 अक्टूबर 1910 में पुर्तगाल में हुई क्रांति के बाद, सदियों पुरानी राजशाही को उखाड़ फेंका गया और पहला पुर्तगाली गणराज्य बना. 

5 अक्टूबर 1813 में थेम्स की लड़ाई हुई थी, जिसमें अमेरिका के सैनिकों ने ब्रिटिश सेना को हराया था. इस लड़ाई में ब्रिटिश सेना में करीब 1,000 भारतीय सैनिक थे.

5 अक्टूबर 1892 में ट्रेन डकैतियों के लिए कुख्यात डाल्टन गैंग को कैंसस के कॉफ़ीविले में दो बैंकों को लूटने की कोशिश करते समय लगभग खत्म कर दिया गया था. 

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