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ऐसे शुरू हुआ यहूदियों का नरसंहार, इस एक घटना के बाद सुलगी होलोकॉस्ट की आग

आज की कहानी जर्मनी में यहूदियों को खत्म करने की एक शुरुआती घटना से जुड़ी है. इसके बाद से हिटलर ने इस तरीके से यहूदियों का नरसंहार शुरू किया कि पूरी दुनिया से उनका नामोनिशान खत्म होने के कागार पर पहुंच गया था.

 क्रिस्टलनाचट का इतिहास और प्रभाव  (Getty) क्रिस्टलनाचट का इतिहास और प्रभाव (Getty)
सिद्धार्थ भदौरिया
  • नई दिल्ली,
  • 09 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 8:02 AM IST

आज 9 नवंबर है, आज के दिन जर्मनी में एक ऐसी घटना हुई, जिसने बाद के दिनों में जाकर होलोकॉस्ट जैसी विभत्स नरसंहार को अंजाम देने के लिए नाजियों को प्रेरित किया. आज के दिन  9 नवंबर 1938 को जर्मन नाजियों ने जर्मनी और ऑस्ट्रिया में यहूदी लोगों, उनके घरों और व्यवसायों के खिलाफ आतंक का अभियान शुरू किया. इसका नाम दिया 'क्रिस्टलनाचट'. 

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क्रिस्टलनाचट का मतलब होता है कांच की खिड़कियों को तोड़ देना. 9 नवंबर की रात सुनियोजित तरीके से हजारों यहूदियों के घर, दुकान व अन्य प्रतिष्ठानों पर एक साथ हमला किया गया. उनके घरों के शीशे तोड़ दिये गए. सैकड़ों लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. वहीं हजारों यहूदियों को देश छोड़ देने के लिए मजबूर किया गया. 9 नवंबर की रात को शुरू हुई ये   हिंसा 10 नवंबर तक जारी रही. 

क्या है क्रिस्टलनाचट
इस घटना को क्रिस्टलनाचट या टूटे हुए कांच की रात नाम दिया गया. क्योंकि यहूदियों के घर और प्रतिष्ठानों में कांच की खिड़कियां और दरवाजे होते थे. इन सभी खिड़कियों को तोड़ दिया गया, जिसमें लगभग 100 से ज्यादा यहूदी मारे गए, 7,500 यहूदी व्यवसायों को नुकसान पहुंचा और सैकड़ों सभास्थलों, घरों, स्कूलों और कब्रिस्तानों में तोड़फोड़ की गई.

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हजारों लोगों की गई थी जान
अनुमानतः 30,000 यहूदी पुरुषों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से कइयों को कई महीनों के लिए आइसोलेटेड शिविरों में भेज दिया गया. जब उन्होंने जर्मनी छोड़ने का वादा किया तो उन्हें रिहा कर दिया गया. इस घटना को बाद के दिनों में होलोकास्ट के रूप में हुए यहूदियों का बड़े पैमाने पर नरसंहार किया गया.   ग्रिनस्पैन अपने माता-पिता के जर्मनी से पोलैंड में अचानक निर्वासन का बदला लेना चाहता था.

हिटलर के सत्ता संभालते शुरू हो गया था यहूदियों से भेदभाव
1933 में जिस दिन एडोल्फ हिटलर सत्ता में आया, उसी दिन से नाजी जर्मनी की सरकारी नीतियों में यहूदी-विरोधी भावना घर कर गई थी. कई सालों तक यहूदियों को राज्य प्रायोजित भेदभाव और उत्पीड़न का सामना करना पड़ा और ग्रिनस्पैन ने ये सबकुछ खुद देखा था. पेरिस की घटना के बाद 9 नवम्बर 1938 की देर रात से शुरू होकर अगले दिन तक जर्मनी में यहूदियों पर हिंसा जारी रही.

इस घटना के बाद शुरू हुआ क्रिस्टलनाचट
वोम राथ की मौत के बाद नाजी प्रचार मंत्री जोसेफ गोएबल्स ने जर्मन सैनिकों को यहूदी नागरिकों के खिलाफ स्वतःस्फूर्त प्रदर्शनों के रूप में हिंसक दंगे करने का आदेश दिया. स्थानीय पुलिस और अग्निशमन विभागों को हस्तक्षेप न करने के लिए कहा गया था. इस तबाही के दौरान कुछ यहूदियों ने, जिनमें पूरे परिवार भी शामिल थे, आत्महत्या करके मर गए.

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क्रिस्टलनाचट के बाद नाजियों ने यहूदियों को दोषी ठहराया और उन पर वोम राथ की मौत के लिए 1 बिलियन मार्क (या 1938 डॉलर में $400 मिलियन) का जुर्माना लगाया. इसकी रिकवरी के रूप में, सरकार ने यहूदी संपत्ति जब्त कर ली और यहूदी लोगों को देय बीमा राशि रख ली.

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फिर शुरू हुआ यहूदियों की सामूहिक हत्या का दौर
क्रिस्टलनाचट के बाद 100,000 से ज्यादा यहूदी जर्मनी से भागकर दूसरे देशों में चले गए. 9 और 10 नवंबर की हिंसक घटनाओं से अंतरराष्ट्रीय समुदाय नाराजा था. कुछ देशों ने विरोध में राजनयिक संबंध तोड़ लिए, लेकिन नाजियों को कोई गंभीर परिणाम नहीं भुगतना पड़ा. उन्हें विश्वास हो गया कि वे सामूहिक हत्या करने से बच सकते हैं. इसके बाद ही होलोकॉस्ट शुरू हुआ. इसमें अनुमानित 6 मिलियन यूरोपीय यहूदी मारे गए थे.

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प्रमुख घटनाएं 

9 नवंबर, 2000 को उत्तराखंड राज्य की स्थापना हुई थी. स्थापना के समय इसे उत्तरांचल नाम दिया गया था. 

9 नवंबर, 1918 को कैसर विल्हेम द्वितीय को जर्मनी से भागकर हॉलैंड जाना पड़ा था. ऐसा सैन्य समर्थन खोने और देश में चल रही क्रांति की वजह से हुआ था. 

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9 नवंबर, 1989 को शीत युद्ध का प्रतीक रही बर्लिन की दीवार को पूर्वी जर्मन सरकार ने खोला था. 

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