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Chandrayaan-3: ये है टीम चंद्रयान-3... मिलिए- उन नायकों से जिनकी वजह से चांद पर पहुंचे हम, देश कह रहा शुक्र‍िया

Chandrayaan-3: 'चार साल से इसी मिशन के लिए जी रहे हैं, खाते-पीते, सोते-जागते बस यही मिशन चल रहा है. इसके लिए इसरो की टीम ने जो प्रयास किए हैं, वो अकल्पनीय हैं. मुझे इसरो का हिस्सा होने पर गर्व है.' चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग होने के बाद, इसरो टीम के एम शंकरन ने कुछ यूं अपनी खुशी जाहिर की.

Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 मिशन में इसरो के प्रमुख चेहरे (फोटो सोर्स: ISRO) Chandrayaan-3: चंद्रयान-3 मिशन में इसरो के प्रमुख चेहरे (फोटो सोर्स: ISRO)
अमन कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 11:52 PM IST

Chandrayaan-3 Team: अब दूर के नहीं, चंदा मामा टूर के... चांद पर सफल लैंडिंग के साथ ही भारत ने इतिहास रच दिया है. चंद्रयान-3 आज शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा की सतह पर सॉफ्ट लैंड हुआ. देशभर में चंद्रयान-3 की कामयाबी के जश्न का माहौल है. पूरे देश और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) की टीम को बीते चार साल से इस गौरवान्वित पल का ही इंतजार था. चांद के दक्षिणी ध्रुप पर लैंड करने वाला भारत पहला देश बन गया है. इसके पीछे इसरो टीम की कड़ी मेहनत और प्रतिज्ञा है, जिन्होंने अपनी जिंदगी के चार साल चांद पर तिरंगा फहराने में लगा दिए. उनकी जिंदगी के हर क्षण में मून मिशन रहा. आइए जानते हैं इस कामयाबी के बाद इसरो चीफ डॉ एस सोमनाथ के साथ देश को संबोधित करते हुए मंच पर नजर आए वो प्रमुख चेहरे कौन-कौन से हैं.

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डॉ एस सोमनाथ: इसरो अध्यक्ष
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ के नेतृत्व में चंद्रयान-3 मिशन कामयाब हुआ. इस मिशन की सफलता को लेकर उन्होंने कहा कि मैं सभी भारतीयों और उन सभी को धन्यवाद देना चाहता हूं जिन्होंने हमारे लिए प्रार्थना की. मैं किरण कुमार सर, श्री कमलाधर, कोटेश्वर राव को धन्यवाद देना चाहता हूं, वे बहुत मदद कर रहे हैं और टीम का भी हिस्सा हैं. हमें टीम के सभी साथियों से विश्वास मिला. यह कार्य या पीढ़ी नेतृत्व और इसरो वैज्ञानिक हैं. चंद्रयान 3 के साथ खूब संचार हो रहा है.

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बतौर एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ एस सोमनाथ ने व्हीकल मार्क 3 डिजाइन किया, जिसे बाहुबली रॉकेट भी कहा गया. बाहुबली रॉकेट ने ही चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाया. उनके मार्गदर्शन में, चंद्रयान -3 के बाद अब आदित्य-एल 1 (सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक मिशन), और गगनयान (भारत का पहला मानव मिशन) की देखरेख की जा रही है. 

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एम शंकरन: यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) के निदेशक 

चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग होने के बाद, भारत के सभी उपग्रहों के डिजाइन और निर्माण करने वाली टीम का नेतृत्व करने वाले एम शंकरन ने कहा, 'चार साल से इसी मिशन के लिए जी रहे हैं, सोते खाते जागते बस यही मिशन चल रहा है. इसके लिए इसरो की टीम ने जो प्रयास किए हैं, वो अकल्पनीय हैं. मुझे इसरो का हिस्सा होने पर गर्व है. भविष्य में हम वीनस, मार्स में भी जाने का प्रयास करेंगे.'

उन्होंने जून 2021 में यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में निदेशक की भूमिका निभाई है. वर्तमान में, शंकरन ऐसे उपग्रहों के निर्माण के लिए जिम्मेदार टीम का नेतृत्व करते हैं जो संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम पूर्वानुमान और ग्रहों की खोज सहित भारत की विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हैं.

कल्पना के: चंद्रयान 3 मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर
चंद्रयान-3 की सफल लैंडिंग के बाद इसरो चीफ के साथ जो दूसरा चेहरा नजर आया वो हैं इस मून मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ कल्पना के. वे देश की नारी शक्ति का प्रतीक बन गई हैं. कोरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने मून मिशन का सपना नहीं छोड़ा, वे बीते चार साल से दिन-रात इसी मिशन को जी रही हैं. वे यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर की अहम भूमिका निभा रही हैं.

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पी वीरमुथुवेल: चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर
पी वीरमुथुवेल ने 2019 में चंद्रयान -3 के परियोजना निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला. इससे पहले, उन्होंने इसरो के मुख्य कार्यालय में स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उप निदेशक का पद संभाला था. उन्होंने भारत की महत्वाकांक्षी चंद्रमा अन्वेषण श्रृंखला के दूसरे संस्करण चंद्रयान-2 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तमिलनाडु के विल्लुपुरम के रहने वाले, वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT-M) के पूर्व छात्र हैं.

एस उन्नीकृष्णन नायर: विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक 
एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ उन्नीकृष्णन अंतरिक्ष में भारत के मानव मिशन की अगुवाई कर रहे हैं. वे रॉकेट के विकास और निर्माण से जुड़े विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक हैं. उनके पास केरल के थुम्बा में स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-III को विकसित करने की जिम्मेदारी थी, जिसे अब लॉन्च व्हीकल मार्क-III के रूप में जाना जाता है.

वीएसएससी के प्रमुख के रूप में, एस उन्नीकृष्णन नायर और उनकी टीम इस महत्वपूर्ण मिशन के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं की देखरेख कर रहे हैं. उन्होंने 2019 में नाकाम हुए चंद्रयान-2 मिशन के विक्रम लैंडर की बारीक से बारीक जानकारियों से चंद्रयान-3 मिशन को और पुख़्ता बनाने में मदद की है. वे प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के पूर्व छात्र रहे हैं.

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