
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाले से जुड़े सीबीआई मामले में जमानत मिल गई है. केजरीवाल 156 दिन से जेल में है, जिसमें उन्हें 21 दिन के लिए रिहा भी किया गया था. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल को जमानत तो दी है, लेकिन कुछ शर्तें भी तय की गई हैं. ऐसे में दिल्ली सीएम जेल से बाहर आने के बाद भी कुछ काम नहीं कर सकेंगे. इससे पहले केजरीवाल को अंतरिम जमानत मिली थी. ऐसे में जानते हैं कि आरोपियों को कितनी तरह की जमानत दी जाती है और इस बार केजरीवाल को कौनसी जमानत मिली है?
कितनी तरह की होती है जमानत?
भारतीय न्याय व्यवस्था में किसी भी मामले के आरोपियों को कई तरह से जमानत दी जाती है. इन जमानतों में अग्रिम जमानत, अंतरिम जमानत, साधारण जमानत, थाने से जमानत आदि शामिल है.
अग्रिम जमानत- अग्रिम जमान को एंटीसिपेटरी बेल कहा जाता है और ये जमानत किसी भी आरोपी को गिरफ्तार करने से पहले ही दे दी जाती है. जब ये आशंका रहती है कि किसी आरोपी को पुलिस गिरफ्तार कर सकती है तो उसके लिए अग्रिम जमानत की याचिका दी जाती है और कोर्ट इसके लिए राजी होती है तो अरेस्ट होने से पहले जमानत मिल जाती है.
अंतरिम जमानत- जब कोई आरोपी जेल में बंद होता है और जमानत के लिए अर्जी देता है तो कोर्ट की ओर से कई बार अंतरिम जमानत दी जाती है. इसका मतलब है कि आरोपी को कुछ दिन के लिए ही जमानत मिलती है और वो कुछ दिन के लिए जेल से बाहर आ सकता है. इसमें कोर्ट को कुछ तय के लिए ही बाहर आने की इजाजत होती है और समय सीमा के बाद फिर से जेल में सरेंडर करना होता है.
बता दें कि इससे पहले अरविंद केजरीवाल को ये ही जमानत दी गई थी, जब वो 21 दिन के लिए बाहर आए थे. 10 मई को 21 दिन के लिए आम चुनाव में प्रचार के लिए रिहा किया गया था. ये रिहाई 51 दिन जेल में रहने के बाद मिली थी. सुप्रीम कोर्ट ने केजरीवाल की एक जून तक की रिहाई मंजूर की थी. 2 जून को केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में सरेंडर कर दिया था. यानी केजरीवाल 21 दिन बाहर रहकर फिर से जेल में चले गए थे.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 12 जुलाई को भी अरविंद केजरीवाल को अंतरिम जमानत दी थी और ये बड़ी बेंच की सुनवाई होने तक थी. लेकिन, उस वक्त केजरीवाल इसलिए जेल से बाहर नहीं आ पाए, क्योंकि केजरीवाल को सीबीआई ने एक अलग मामले में भी गिरफ्तार किया हुआ था.
साधारण जमानत – दरअसल, जब कोई मामला कोर्ट में विचाराधीन होता है, उस वक्त आरोपी को ये जमानत भी दी जाती है. साधारण जमानत में आरोपी को जेल से बाहर आने की इजाजत मिल जाती है और कोर्ट मामले के आधार पर तय करता है कि जमानत मिलनी चाहिए या नहीं. इस जमानत में कोर्ट जमानत के साथ कई शर्ते भी लगा सकता है, जिसमें थाने में हाजिरी, विदेश ना जाने की शर्त, कोई और काम ना करने की शर्त हो सकती है. इसमें कोर्ट बेल बॉन्ड आदि को लेकर भी फैसला कर सकता है, जमानत के दौरान जमा करना होता है.
थाने से जमानत- एक जमानत थाने से भी मिलती है. थाने के पास भी कोर्ट की तरह जमानत के कुछ अधिकार होते हैं और कुछ सामान्य मामलों में आरोपी को थाने से ही जमानत मिल जाती है.ये बहुत ही मामूली मामलों में संभव है. जैसे किसी से गाली गलौच करने का मामला.
फाइल पर दस्तखत नहीं कर पाएंगे, दफ्तर नहीं जा पाएंगे... जानें- किन शर्तों पर मिली केजरीवाल को जमानत
केजरीवाल को कौनसी जमानत मिली है?
अरविंद केजरीवाल को सीबीआई मामले में सामान्य जमानत मिली है, लेकिन कोर्ट ने उनकी जमानत के साथ कुछ कंडीशन भी तय की है. इस स्थिति में वे जेल से बाहर आने के बाद भी कई काम नहीं कर पाएंगे. दरअसल, इस मामले में मिली जमानत के साथ उन पर वो शर्ते रहेंगी, जो ईडी के मामले में जमानत देते हुए लगाई गई थीं. यानी जेल से बाहर आने के बाद केजरीवाल किसी भी फाइल पर दस्तखत नहीं कर पाएंगे. इसके साथ ही उनके दफ्तर जाने पर भी पाबंदी रहेगी. इतना ही नहीं, इस मामले में वो कोई बयान या टिप्पणी भी नहीं कर सकेंगे.