
सुप्रीम कोर्ट के अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर और कोटा में कोटा लागू करने के फैसले के खिलाफ आज भारत बंद का आह्वान किया गया है. भारत बंद के बाद कई शहरों में स्कूल-कॉलेज बंद हैं और कुछ जगह बाजार भी बंद हैं. दलित-आदिवासी संगठन भारत बंद के जरिए विरोध दर्ज करवा रहे हैं जबकि कई बार लोग हड़ताल, चक्काजाम, धरना, रैली के जरिए भी प्रदर्शन करते हैं. ऐसे में सवाल है कि आखिर इन विरोध प्रदर्शन के तरीकों में क्या अंतर है और कौनसा विरोध परमिशन लेकर किया जाता है...
आज क्यों है भारत बंद?
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने अनुसूचित जाति एवं जनजाति आरक्षण में क्रीमीलेयर और कोटा के भीतर कोटा लागू करने का फैसला दिया था. जिसका दलित-आदिवासी संगठन विरोध कर रहे हैं. अब नेशनल कन्फेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी ऑर्गेनाइजेशंस नामक संगठन ने इस फैसले के खिलाफ 14 घंटे का भारत बंद का ऐलान किया है. दलित और आदिवासी संगठन कोर्ट के फैसले को संवैधानिक अधिकारों के खिलाफ बता रहे हैं और इसे रद्द करने की मांग की जा रही है.
क्या होता है बंद?
बंद और हड़ताल में प्रदर्शन का तरीका एक जैसा ही होता है, लेकिन फिर भी दोनों में फर्क होता है. जब कोई एक संगठन या कोई एक वर्ग या फिर कुछ संगठन मिलकर बंद का आह्वान करते हैं तो वो कामकाज नहीं करते. बंद में भी जो संगठन या वर्ग बंद करवाता है वो काम करना बंद करता है, लेकिन बंद में उस संगठन या वर्ग से जुड़े अन्य लोग भी साथ में होते हैं. इसके बाद वे भी काम करना बंद कर देते हैं, उसे बंद कहा जाता है.
जैसे मान लीजिए किसी ज्वैलर्स के संगठन ने बंद का आह्वान किया तो उस स्थिति में ज्वैलरी संगठन तो काम नहीं करेगा, लेकिन उनके साथ ही अन्य वर्ग के लोग भी अपना कामकाज बंद कर उसका समर्थन करेंगे. ये हड़ताल का व्यापक रुप होता है.
हड़ताल में क्या होता है?
हड़ताल भी किसी एक वर्ग या संगठन की ओर से की जाती है, जिसमें वो लोग अपना कामकाज बंद कर देते हैं. लेकिन, इसमें सिर्फ हड़ताल कर रहे लोग ही काम नहीं करते हैं, जबकि अन्य लोग कामकाज बंद नहीं करते हैं. जैसे अगर बैंक कर्मचारी हड़ताल कर रहे हैं तो उसमें सिर्फ बैंक कर्मचारी ही अपना काम रोकेंगे और बाकी लोग अपना काम करेंगे. हड़ताल सिर्फ वो वर्ग करता है जो विरोध प्रदर्शन करता है.
क्या होता है धरना?
अब बात करते हैं धरने की. धरना सिर्फ एक ही जगह पर होता है, जहां लोग इकट्ठा होकर विरोध प्रदर्शन करते हैं. भारत में अलग अलग तरीके से प्रदर्शन करने की परंपरा है और लोग कई तरह से धरना प्रदर्शन करते हैं. धरने में लोग एक जगह जमा होते हैं और सरकार आदि को संदेश देने की कोशिश करते हैं.
क्या होता है चक्का जाम?
चक्का जाम भी काम काज ठप करने जैसा ही है, लेकिन ये अक्सर सड़कों पर होता है. इसके जरिए कामकाज आदि को रोकने की कोशिश की जाती है और व्यवस्था को ठप करने की कोशिश होती है. जब शहर की सड़कों पर काफी लोग इकट्ठा होकर सड़कों को जाम कर देते हैं, जिससे हर तरफ मूवमेंट रुक जाता है और ये ट्रेन के साथ भी है. ये आप नाम भी समझ सकते हैं कि चक्का जाम में किसी भी शहर की रफ्तार को रोकने की कोशिश होती है, जिससे हर वर्ग प्रभावित होता है और उसके जरिए प्रदर्शन किया जाता है. चक्का जाम में अक्सर किसी और व्यक्ति के आजादी के अधिकार का हनन होता है, जिससे ये चर्चा में रहते हैं.
कब चाहिए पुलिस परमिशन?
बता दें कि जब कोई विरोध प्रदर्शन करता है तो इसके लिए पुलिस से परमिशन लेने की जरुरत होती है. विरोध प्रदर्शन में किए जाने वाले धरने, रैली, हड़ताल आदि के लिए पहले प्रशासन से परमिशन लेनी होती है. अब कई राज्यों में प्रदर्शन के लिए ऑनलाइन भी आवेदन किया जा सकता है.