
कोई हिंदू है तो कोई मुसलमान या फिर सिख, ईसाई या कुछ और... लेकिन शायद ही ऐसे कम लोग मिलते होंगे, जो कहे कि हमारा कोई धर्म नहीं है. भारत में अभी ये चलन नहीं है, लेकिन दूसरे देशों में 'मेरा कोई धर्म नहीं है, मैं नास्तिक हूं' कहने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है. अब लोगों में खुद को नास्तिक कहने का चलन बढ़ रहा है. दुनिया में करीब 450 से 500 मिलियन लोग ऐसे हैं, जो किसी भी धर्म में आस्था नहीं रखते हैं, जो दुनिया की कुल जनसंख्या का 7 फीसदी है. ऐसे में सवाल है कि भारत में किसी का नास्तिक होना संभव है?
तो जानते हैं कि क्या भारत में कोई व्यक्ति अपना धर्म छोड़कर नास्तिक बन सकता है? अगर ऐसा है तो फिर नास्तिक बनने का प्रोसेस क्या होता है. साथ ही जानते हैं भारत में कितने लोग नास्तिक हैं, जो किसी भी धर्म में विश्वास नहीं करते हैं...
क्या कोई नास्तिक बन सकता है?
अगर भारत के संदर्भ में बात करें तो इस सवाल का जवाब हां और नहीं दोनों ही है. दरअसल, आर्टिकल 15 के अनुसार, हर व्यक्ति किसी भी धर्म को फॉलो करने के लिए आजाद है. सरकार किसी भी व्यक्ति को किसी भी धर्म का पालन करने के लिए दबाव नहीं डाल सकती है. ऐसे में हर व्यक्ति अपने हिसाब से धर्म का पालन कर सकता है और ये उसकी खुद की इच्छा है कि वो किसी भी धर्म को मानें या नहीं. वो बिना किसी धर्म को माने नास्तिक बनकर भी रह सकता है.
दिल्ली हाईकोर्ट के एडवोकेट प्रेम जोशी बताते हैं कि जहां तक किसी को नास्तिक डिक्लेयर करने की बात है, तो ऐसा कोई प्रावधान नहीं है, जिसमें किसी को सर्टिफिकेट जारी कर नास्तिक घोषित किया जा सके. सीधे शब्दों में कहें तो कोई भी व्यक्ति अपनी इच्छा अनुसार नास्तिक बन सकता है, लेकिन उसे नास्तिक डिक्लेयर नहीं किया जा सकता है.
कुछ लोगों को मिले भी है सर्टिफिकेट...
लेकिन, ऐसा नहीं है कि किसी को आजतक इसका सर्टिफिकेट नहीं मिला है. कुछ लोगों ने लंबे वक्त कोर्ट में इसके लिए लड़ाई लड़ी है, जिसके बाद कोर्ट ने उन्हें किसी भी धर्म का व्यक्ति ना होने का प्रमाण दिया है. जैसे वेल्लोर की एक वकील स्नेहा पार्थीबराजा को नौ साल की अदालती लड़ाई के बाद आधिकारिक तौर पर 'कोई धर्म नहीं, कोई जाति नहीं' का प्रमाण पत्र मिला था.
इसके साथ ही 29 अक्टूबर 2013 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने संजय साल्वे नामक एक नास्तिक स्कूल के पक्ष में फैसला सुनाया, जो नासिक के शिक्षक हैं. 23 सितंबर 2014 को बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा था कि किसी भी नागरिक को यह घोषित करने का अधिकार है कि वह किसी भी धर्म से संबंधित नहीं है.
कोर्ट ने सर्टिफिकेट देने से किया था मना
वहीं, एक केस में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा है कि अगर कोई व्यक्ति नास्तिक बनना चाहता है और किसी जाति या वर्ग में विश्वास नहीं करता है, तो उसे इस तरह का प्रमाणपत्र जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी. हाईकोर्ट ने ये भी कहा था कि कोर्ट अधिकारियों को किसी को भी ‘नास्तिक’ या किसी जाति, धर्म या ईश्वर से रहित व्यक्ति होने का प्रमाणपत्र जारी करने का निर्देश नहीं दे सकतीं.