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Chandrayaan-3: ये हैं चंद्रयान-3 के रियल हीरो, जिन्होंने 'मून मिशन' में लगा दिए जिंदगी के 4 साल

Chandrayaan-3 Team: चंद्रयान-2 की विफलता का गम या 'कोरोना काल', देश के वैज्ञानिकों का हौसला और दिन-रात की कड़ी मेहनत का नतीजा ही है कि भारत एक बार फिर चांद पर तिरंगा फहराने से बस चंद कदम दूर है. इसरो के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों ने चंद्रयान-3 मिशन में दिन-रात काम किया. उनकी जिंदगी मून मिशन के इर्द-गिर्द घूमती रही. आइए जानते हैं इस मून मिशन के प्रमुख चेहरे कौन-कौन हैं.

Chandrayaan-3: मिलिए चंद्रयान-3 की टीम के प्रमुख लोगों से (फोटो सोर्स: ऋचीक मिश्रा, aajtak.in) Chandrayaan-3: मिलिए चंद्रयान-3 की टीम के प्रमुख लोगों से (फोटो सोर्स: ऋचीक मिश्रा, aajtak.in)
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 23 अगस्त 2023,
  • अपडेटेड 4:34 PM IST

Chandrayaan-3 Team: चंद्रयान-2 की विफलता के बाद करीब चार साल भारत अंतरिक्ष विज्ञान में इतिहास रचने वाला है. चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त 2023 को शाम 5 बजकर 45 मिनट पर चांद की ओर बढ़ना शुरू करेगा और शाम 6 बजकर 4 मिनट पर इसरो उसकी सॉफ्ट लैंडिंग कराएगा. अगर लैंडिंग सफल रही तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चौथी अंतरिक्ष महाशक्ति बन जाएगा. वहीं दक्षिणी ध्रुव के पास उतरने वाला भारत पहला देश बन जाएगा. यह इसरो की टीम की सालों की कड़ी मेहनत और हार न मानने का जज्बा ही है, जो भारत इतिहास रचने के कगार पर है. आइए जानते हैं इसरो की इस टीम में देश के रियल हीरो कौन-कौन हैं.

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दरअसल, चंद्रयान-2 को लगभग चार साल पहले 22 जुलाई 2019 को चंद्रमा की ओर भेजा गया था, लेकिन 02 सितंबर को चांद की ध्रूवीय कक्षा में चांद का चक्कर लगाते समय लैंडर 'विक्रम' अलग हो गया और सतह से 2.1 किलोमीटर की ऊंचाई पर लैंडर का स्पेस सेंटर से संपर्क टूट गया.

तब इसरो कंट्रोल रूम में मौजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि इसरो पहले समझने की कोशिश करेगा कि क्या हुआ है, उसके बाद अगले कदम पर फैसला करेगा. इसके बाद इसरो के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और तकनीशियनों ने चंद्रयान-3 मिशन में दिन-रात काम किया. उनकी जिंदगी मून मिशन के इर्द-गिर्द घूमती रही, जिनके बारे में हर भारतीय को पता होना चाहिए.

डॉ एस सोमनाथ: इसरो अध्यक्ष
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के अध्यक्ष डॉ एस सोमनाथ का चंद्रयान-3 में सबसे अहम योगदान रहा है. इन्हीं के नेतृत्व में चंद्रयान-3 मिशन आगे बढ़ा है. बतौर एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ एस सोमनाथ ने व्हीकल मार्क 3 डिजाइन किया, जिसे बाहुबली रॉकेट भी कहा गया. बाहुबली रॉकेट ने ही चंद्रयान-3 को चंद्रमा की कक्षा में पहुंचाया. इसरो के अध्यक्ष एस सोमनाथ ने पिछले साल जनवरी में इसरो का नेतृत्व संभाला और भारत के महत्वाकांक्षी चंद्रमा मिशन में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गए.

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इससे पहले, उन्होंने विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) और तरल प्रणोदन प्रणाली केंद्र के निदेशक के रूप में काम किया, ये दोनों इसरो के लिए रॉकेट प्रौद्योगिकियों के विकास के लिए जिम्मेदार प्राथमिक केंद्र है. उनके मार्गदर्शन में, चंद्रयान -3, आदित्य-एल 1 (सूर्य का अध्ययन करने के लिए एक मिशन), और गगनयान (भारत का पहला मानव मिशन) की देखरेख की जा रही है. एस सोमनाथ, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बेंगलुरु से पढ़ाई की है.

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पी वीरमुथुवेल: चंद्रयान-3 के प्रोजेक्ट डायरेक्टर
पी वीरमुथुवेल ने 2019 में चंद्रयान -3 के परियोजना निदेशक के रूप में कार्यभार संभाला. इससे पहले, उन्होंने इसरो के मुख्य कार्यालय में स्पेस इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम कार्यालय में उप निदेशक का पद संभाला था. उन्होंने भारत की महत्वाकांक्षी चंद्रमा अन्वेषण श्रृंखला के दूसरे संस्करण चंद्रयान-2 मिशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. तमिलनाडु के विल्लुपुरम के रहने वाले, वह भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास (IIT-M) के पूर्व छात्र हैं.

एस उन्नीकृष्णन नायर: विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) के निदेशक 
एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ उन्नीकृष्णन अंतरिक्ष में भारत के मानव मिशन की अगुवाई कर रहे हैं. वे रॉकेट के विकास और निर्माण से जुड़े विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर के निदेशक हैं. उनके पास केरल के थुम्बा में स्थित विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (VSSC), जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) मार्क-III को विकसित करने की जिम्मेदारी थी, जिसे अब लॉन्च व्हीकल मार्क-III के रूप में जाना जाता है.

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वीएसएससी के प्रमुख के रूप में, एस उन्नीकृष्णन नायर और उनकी टीम इस महत्वपूर्ण मिशन के विभिन्न महत्वपूर्ण पहलुओं की देखरेख कर रहे हैं. उन्होंने 2019 में नाकाम हुए चंद्रयान-2 मिशन के विक्रम लैंडर की बारीक से बारीक जानकारियों से चंद्रयान-3 मिशन को और पुख़्ता बनाने में मदद की है. वे प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के पूर्व छात्र रहे हैं.

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एम शंकरन: यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (यूआरएससी) के निदेशक 
एम शंकरन ने जून 2021 में यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में निदेशक की भूमिका निभाई है. यूआरएससी को इसरो के लिए भारत के सभी उपग्रहों के डिजाइन और निर्माण का काम सौंपा गया है. वर्तमान में, शंकरन ऐसे उपग्रहों के निर्माण के लिए जिम्मेदार टीम का नेतृत्व करते हैं जो संचार, नेविगेशन, रिमोट सेंसिंग, मौसम पूर्वानुमान और ग्रहों की खोज सहित भारत की विविध आवश्यकताओं को पूरा करते हैं.

एम वनिता, डिप्टी डायरेक्टर, यूआर राव सैटलाइट सेंटर, बेंगलुरु
यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में चंद्रयान-3 मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. एम वनिता चंद्रयान 2 मिशन की प्रोजेक्ट डायरेक्टर रह चुकी हैं. वे इलेक्ट्रॉनिक्स सिस्टम्स इंजीनियर हैं और भारत के किसी भी मून मिशन का नेतृत्व करने वाली पहली महिला हैं.

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कल्पना के: चंद्रयान 3 मिशन की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर
चंद्रयान-3 मिशन में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ कल्पना नारी शक्ति का प्रतीक बनी हैं. कोरोना महामारी के दौरान भी उन्होंने मून मिशन का सपना नहीं छोड़ा, वे बीते चार साल से दिन-रात इसी मिशन को जी रही हैं. वे यू आर राव सैटेलाइट सेंटर (URSC) में डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर की अहम भूमिका निभा रही हैं.

चंद्रयान-3 की ऑनलाइन लाइव स्ट्रीमिंग यहां देखें-
चंद्रयान-3 की लैंडिंग का लाइव प्रसारण 23 अगस्त 2023 की शाम 5 बजकर 27 मिनट से शुरू हो जाएगा. इसे ISRO की वेबसाइट...ISRO की वेबसाइट... isro.gov.in, YouTube पर... youtube.com/watch?v=DLA_64yz8Ss, Facebook पर... Facebook https://facebook.com/ISRO या फिर डीडी नेशनल टीवी चैनल पर देखा जा सकता है.

 

 

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