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पार्टनर के साथ प्राइवेट टाइम के लिए कैदी को मिलती है छूट? जेल में भी मिलता है अलग कमरा

जब कोई व्यक्ति जेल में सजा काट रहा हो तो उसके भी कई अधिकार होते हैं और कानून के हिसाब से उनका ख्याल रखा जाता है. ऐसे में कैदियों को अपने पार्टनर के साथ टाइम स्पेंड करने के लिए छूट भी दी जाती है.

सजा काट रहे कैदियों के अधिकारों का भी ध्यान रखा जाता है. सजा काट रहे कैदियों के अधिकारों का भी ध्यान रखा जाता है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 03 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 1:54 PM IST

आप भी हेडलाइन पढ़कर सोच रहे होंगे कि क्या ये सही में संभव है? दरअसल, कानून में जेल में सजा काट रहे व्यक्ति के भी अधिकारों और आवश्यकताओं का ख्याल रखा जाता है. इसमें किसी भी कैदी का अपने पार्टनर के साथ प्राइवेट टाइम स्पेंड करना भी शामिल है. अब ये जानकर आपके मन में कई सवाल उठ रहे होंगे कि आखिर किस आधार पर कैदियों को प्राइवेट टाइम के लिए छूट दी जाती है? साथ ही अगर जेल में इसके लिए व्यवस्था होती है तो कहां ये व्यवस्था की जाती है और इसके क्या नियम हैं. तो जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब...

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क्या है नियम?

इस नियम को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट के एडवोकेट और कानून के जानकार प्रेम जोशी ने बताया, 'वैसे तो भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो कैदियों को वैवाहिक मुलाकात (Conjugal Visit)  की अनुमति देता हो. ये एक तरह से वो मुलाकात होती है, जिसमें एक कैदी को कुछ अवधि के लिए अपने जीवनसाथी के साथ समय बिताने की अनुमति दी जाती है और इस दौरान वे अपने पार्टनर के साथ संबंध बना सकते हैं और इसके लिए इजाजत होती है. हालांकि, कुछ मामलों में कोर्ट ने इसके लिए अनुमति दी है और जीवनसाथी के साथ टाइम स्पेंड करने के लिए छूट दी है.' 

हालांकि, उन्होंने ये भी बताया कि इसका संबंध एक अधिकार से है और इस प्रीविलेज के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है. वैसे कुछ देशों जैसे कनाडा, जर्मनी, रूस, स्पेन, बेल्जियम, स्पेन, सऊदी अरब, डेनमार्क, अमेरिका में इस तरह की मीटिंग्स के लिए कानून है और उन्हें छूट दी जाती है. 

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कोर्ट ने अपने फैसलों में क्या कहा है?

प्रेम जोशी के अनुसार, साल 2015 में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कैदियों को पार्टनर के साथ टाइम बिताने और प्रेग्नेंसी को लेकर अनुमति दी थी. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कैदी जेल में रहने के दौरान प्रेग्नेंट करने के अधिकार के हकदार थे और यह एक मौलिक अधिकार था. 

इसके साथ ही एक बार मद्रास हाईकोर्ट ने भी एक कैदी को अस्थायी छुट्टी दी थी, जो आजीवन कारावास की सजा काट रहा था. हालांकि जेल मैनुअल में कोई ऐसा प्रावधान नहीं होने पर जेल अधिकारियों ने इसके विपरीत तर्क दिया था और मगर कोर्ट ने आर्टिकल 21 के आधार पर पत्नी की याचिका पर इजाजत दी थी. बता दें कि सिर्फ कोर्ट की इजाजत के बाद ही अनुमति मिलती है और इसमें कोर्ट की ओर से समय, स्थान आदि की अनुमति मिलती है. 

जेल में कैसे होती है कमरों की व्यवस्था

बीबीसी की रिपोर्ट के हिसाब से पंजाब के कई जेलों में प्राइवेट टाइम के लिए कमरों की सुविधा दी गई है, जहां कैदी अनुमति मिलने के बाद अपने पार्टनर से मिल सकते हैं. इस रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में कुछ जेल में ये कमरे बनाए गए हैं और कमरे में डबल बेड और वॉशरूम होता है.

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साथ ही एक मेज, दो कुर्सी और स्टूल, पानी आदि की व्यवस्था होती है. जब पति-पत्नी की मुलाक़ात होती है तो कमरा बाहर से बंद रहता है. इस दौरान जोड़े को दो घंटे तक अंदर रहने की अनुमति होती है.हालांकि ये सुविधा हर जेल में नहीं है और अनुमति पर कोर्ट आखिरी फैसला लेता है. 
 

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