Advertisement

खट्टा खाओ या फिर मीठा... आखिर स्पेस में क्यों बदल जाता है हर खाने का स्वाद?

क्या अंतरिक्ष में भोजन का स्वाद बदल जाता है? अंतरिक्ष से जुड़े कई रहस्यों में से एक सवाल यह भी है. आखिर इसके पीछे क्या साइंस है, ऐसा क्यों होता है?

Image Source-NASA Image Source-NASA
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 19 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 10:21 AM IST

क्या अंतरिक्ष में भोजन का स्वाद बदल जाता है? अंतरिक्ष से जुड़े कई रहस्यों में से एक सवाल यह भी है. एस्ट्रोनॉट्स के अनुसार, भोजन का स्वाद वास्तव में बदल जाता है. जो खाना धरती पर बहुत स्वादिष्ट लगता है, उसका स्वाद अंतरिक्ष में बिल्कुल उल्टा हो जाता है, यानी फीका और बेस्वाद. आखिर इसके पीछे क्या साइंस है, ऐसा क्यों होता है?

Advertisement

ऑस्ट्रेलिया के रॉयल मेलबर्न इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी विश्वविद्यालय ने इस सवाल का जवाब तलाशने की कोशिश की. इस पर एक रिसर्च पब्लिश की गई जिसमें धरती से अंतरिक्ष में खाने के स्वाद पर शोध किया गया और पता किया गया कि आखिर अंतरिक्ष में खाने का स्वाद क्यों बदल जाता है.

हम स्वाद का अनुभव कैसे लेते हैं

इस सवाल को समझने के लिए हमें स्वाद के पीछे साइंस को समझना होगा. स्वाद का आनंद लेने के लिए कई संवेदनाओं का होना जरूरी है. एक सेब का स्वाद लेने के लिए जिसमें स्वाद (मीठा, खट्टा), गंध (सेब की  सुगंध), बनावट (कुरकुरापन), रंग (हरा, लाल), और स्पर्श (कठोरता) शामिल हैं. अगर इनमें से कोई भी इंद्रिय कमजोर हो जाती है, तो हमारे खाने का आनंद वही नहीं रहेगा. 

क्या ग्रेविटी की कमी खाने के स्वाद पर असर डाल सकती है

Advertisement

इंटरनेशनल जर्नल ऑफ फूड साइंस एंड टेक्नोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार, वैज्ञानिकों ने वीआर और स्पेसशिप के सिम्युलेशन का उपयोग करके अंतरिक्ष जैसा माहौल तैयार किया. इसमें 54 लोगों को वेनिला, बादाम, और नींबू का रस दिया गया. इनका स्वाद वैसा नहीं लगा जैसा धरती पर होता है.

स्वाद में इस अंतर की वजह रिसर्चर्स ने ग्रेविटी की कमी बताया है. अंतरिक्ष जैसे वातावरण में ग्रेविटी की कमी की वजह ये तरल पदार्थ मुंह में ऊपर की ओर चले जाते हैं, जिससे नाक में जकड़न हो जाती है और सुगंध क्षमता पर असर पड़ता है. एस्ट्रोनॉट्स को न तो खाने की खुशबू मिल पाती है और न ही खाने का स्वाद. ऐसे में साफ है कि अंतरिक्ष यात्रियों को कितना भी स्वादिष्ट खाना दिया जाए, लेकिन वो जायकेदार नहीं लगेगा.

स्पेस स्टेशन का माहौल भी है एक फैक्टर

इस रिसर्च में ये भी पता चला कि नाक बंद होने के अलावा खाने का स्वाद महसूस ना होने के पीछे वहां का नीरस माहौल भी एक वजह हो सकती है. दरअसल, स्पेस स्टेशन में बहुत ज्यादा जगह नहीं होती है, इसलिए एस्ट्रोनॉट्स को वहीं खाना भी खाना होता है जहां वो काम कर रहे होते हैं. एक ही जगह पर एक ही जैसा खाना रोज-रोज खाने की वजह से एक समय बाद अंतरिक्ष यात्रियों को खाना बेस्वाद लगने लगता है.

Advertisement

एक ही जगह पर एक ही जैसा खाना रोज-रोज खाने की वजह से भी एक समय बाद खाना बेस्वाद लगने लगता है. ये ठीक उसी तरह है जैसे एक सुंदर पार्क में सैंडविच का आनंद लेना और उसी सैंडविच को जल्दी से अपने काम वाले डेस्क पर खाना है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement