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आसाराम को मिली पैरोल, राम रहीम को मिली थी फरलो... दोनों में क्या फर्क है?

Asaram Parole: यौन उत्पीड़न के मामले में सजा काट रहे आसाराम को 7 दिन की पैरोल की इजाजत मिली है. इससे पहले राम रहीम 21 दिन की फरलो पर रिहा हुआ है.

आसाराम को पैरोल और राम रहीम को फरलो मिली है. आसाराम को पैरोल और राम रहीम को फरलो मिली है.
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 13 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 5:47 PM IST

डेरा सच्चा सौदा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह के बाद आसाराम को राहत मिली है. दरअसल, यौन उत्पीड़न के मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहे आसाराम को 7 दिन की पैरोल की इजाजत मिली है. इससे पहले राम रहीम को 21 दिन की फरलो मिली थी और मंगलवार सुबह जेल से रिहा कर दिया गया था. अब आसाराम 7 दिन और गुरमीत राम रहीम 21 दिन के लिए जेल से बाहर रहेंगे. आसाराम को पैरोल और राम रहीम को फरलो...ऐसे में सवाल है कि आखिर इन दोनों में क्या फर्क होता है और ये किस आधार पर तय होती है. 

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कितनी तरह से जेल से बाहर आता है कैदी?

जब भी कोई कैदी सजा काट रहा हो या फिर अंडर ट्रायल केस में जेल में हो तो उन्हें कुछ-कुछ वक्त के लिए जेल से बाहर आने की इजाजत होती है. इसमें फरलो, पैरोल, जमानत आदि शामिल हैं, जिनके जरिए कैदी जेल से बाहर आते हैं. 

क्या होती है फरलो?

जब कोई कैदी सजा काट रहा हो और फिर उसे जेल से कुछ दिन की छुट्टी दी जाती है तो उसे फरलो कहा जाता है. दरअसल, पुलिस जांच के बाद जब कोर्ट किसी व्यक्ति को दोषी करार देकर सजा सुना देती है तो उसके बाद फरलो दी जाती है. वहीं, जो अंडरट्रायल कैदी होते हैं, उन्हें फरलो नहीं दी जाती. फरलो में आपकी सजा में से कुछ दिन छुट्टी दी जाती है और इसके बाद कैदी जेल से बाहर रह सकता है. फरलो की खास बात ये है कि ऐसी छुट्टी होती है, जो बिना किसी कारण के मिलती है. 

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फरलो के लिए कोई कारण बताने की जरुरत नहीं होती है और जेल की जिंदगी से कुछ दिन अलग रहने के लिए ये व्यवस्था की गई है. ये समय-समय पर बिना किसी कारण के कैदी को दिया जाता है ताकि कैदी कुछ दिन परिवार और सामाजिक संबंधों को बरकरार रख सके. हालांकि, जिन कैदियों को लेकर ये डर रहता है कि उनका बाहर आना ठीक नहीं है तो उन्हें फरलो नहीं दी जाती है. खास बात ये है कि इससे जुड़े नियम हर राज्य के हिसाब से अलग है, जैसे उत्तर प्रदेश में कैदियों के पास फरलो का ऑप्शन नहीं है.

कई लोगों का मानना है कि ये कानूनी अधिकार है, लेकिन ऐसा नहीं है. ये छुट्टी जेल अधीक्षक की राय के आधार पर ही दिया जाता है और देखा जाता है कि कैदी की रिहाई से सार्वजनिक शांति का उल्लंघन तो नहीं होगा. 

फिर क्या होती है पैरोल?

अब बात करते हैं पैरोल की. दरअसल, पैरोल भी फरलो की तरह ही एक छुट्टी है, जिसमें किसी विशेष कारण से कैदी को जेल से बाहर आने की इजाजत दी जाती है. ये अंडरट्रायल कैदियों की स्थिति में भी मिल जाती है. इसमें कैदी को एक खास कारण बताना होता है कि आपको बाहर क्यों जाना है. जैसे कैदियों को परिवार में किसी की मृत्यु हो जाने या मेडिकल कारणों को लेकर ये छूट दी जाती है, जिसे पैरोल कहते हैं. पैरोल भी दो तरह की होती है, जिसमें एक कस्टडी पैरोल है और रेगुलर पैरोल.

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कस्टली पैरोल में कुछ विशेष परिस्थितियों में जेल से बाहर आने की इजाजत मिलती है, लेकिन वो पुलिस कस्टडी में ही रहता है. जैसे किसी से मिलने की इजाजत मिली है तो कैदी बाहर तो आ सकता है, लेकिन पुलिस साथ रहती है और उससे मिलाकर फिर पुलिस जेल में ले जाती है. जैसे मनीष सिसोदिया को एक बार अपनी पत्नी से हफ्ते में एक बार मिलने के लिए कस्टडी पैरोल दी गई थी. इसके अलावा रेगुलर पैरोल होती है, जिसमें कैदी आजाद कहीं भी घूम सकती है. हालांकि, पेरौल और फरलो दोनों में कुछ शर्तें भी होती हैं, जिनके साथ ही कैदी को कुछ दिन के लिए रिहा किया जाता है.

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