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Guru Nanak Jayanti: गुरु नानक देव की वो 5 शिक्षाएं जो जीवन में हमेशा दिखाती हैं रास्‍ता

Guru Nanak Jayanti 2022: 1469 में पाकिस्तान के तलवंडी में जन्मे, श्री गुरु नानक देव ने 'इक ओंकार' का संदेश फैलाया, जिसका अर्थ है 'एक ईश्वर' जो अपनी हर रचना में वास करता है और शाश्वत सत्य का गठन करता है. गुरु नानक जयंती के मौके पर आइये जानते हैं उनकी दी वो शिक्षाएं जो अंधकार में भी हमेशा रास्‍ता दिखाती हैं.

Guru Nanak Jayanti 2022 Guru Nanak Jayanti 2022
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 08 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:52 AM IST

Guru Nanak Jayanti 2022: गुरु नानक जयंती, जिसे 'गुरुपुरब', 'गुरु नानक देव प्रकाश पूरब' या 'गुरु नानक आगमन दिवस' के नाम से भी जाना जाता है. कार्तिक मास की पूर्णिमा को देशभर में गुरु पर्व मनाया जा रहा है. इसे सिख धर्म के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक माना जाता है. यह दिन श्री गुरु नानक देव के जन्म का प्रतीक है, जिन्होंने सिख धर्म की नींव रखी थी. 1469 में पाकिस्तान के तलवंडी में जन्मे, श्री गुरु नानक देव ने 'इक ओंकार' का संदेश फैलाया, जिसका अर्थ है 'एक ईश्वर' जो अपनी हर रचना में वास करता है और शाश्वत सत्य का गठन करता है. आज के मौके पर आइये जानते हैं उनकी दी वो शिक्षाएं जो अंधकार में भी हमेशा रास्‍ता दिखाती हैं.

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1. Vaand Chhako: भगवान ने आपको जो कुछ भी दिया, उसे दूसरों के साथ साझा करना और जरुरतमंदों की मदद करना ही गुरु नानक देव जी के जीवन भर का उपदेश रहा. यह सिख धर्म के सिद्धांतों में से एक है.

2. Keerat Karo: कीरत करो यानी ईमानदारी से जीवन यापन करो. आत्म-सुख का आनंद लेने के लिए दूसरों का शोषण नहीं करना चाहिए. उन्होंने बिना धोखे के कमाई और लगन से काम करने का उपदेश दिया.

3. Naam Japo: 'सच्चे भगवान' के नाम का जाप करें. गुरु नानक देव ने पांच बुराइयों पर नियंत्रण पाने के लिए भगवान के नाम पर ध्यान करने पर जोर दिया- काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार.

4. Sarbat Daa Bhalaa: भगवान से सबकी खुशी मांगो. गुरु नानक देव ने सार्वभौमिक भाईचारे की अवधारणा पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि धर्म, जाति और लिंग के बावजूद सभी को दूसरों का भला करना चाहिए और तभी बदले में वह अच्छाई वापस मिल सकती है.

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5. Speak the truth without any fear: गुरु नानक देव ने कहा कि हमेशा बिना किसी डर के सच बोलो. उन्होंने कहा कि असत्य को दबा कर विजय प्राप्त करना अस्थाई है और सत्य पर दृढ़ रहना स्थायी है. सत्य पर अडिग रहना भी गुरु के 'हुकुम' (आदेश) में से एक है.

 

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