
Demonetisation: आज ही के दिन, साल 2016 की रात 8 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को संबोधित किया और रात 12 बजे 1000 की करेंसी को डिमोनेटाइज़ यानी प्रचलन से बाहर कर दिया. इस ऐतिहासिक फैसले के बाद करेंसी के सबसे अधिक वैल्यू के नोट 1,000/- को बंद कर नया 2,000/- का नोट जारी किया गया था. बता दें कि यह पहला मौका नहीं था जब पुराने नोटों को प्रचलन से बाहर कर नए नोट जारी किए गए हों. देश में इससे पहले भी डिमोनेटाइज़ेशन का फैसला लिया जा चुका है. आइये जानते हैं कब और कैसे-
1946 की नोटबंदी
देश में पहली नोटबंदी अंग्रजी हुकूमत में हुई. 12 जनवरी, 1946 को भारत के वायसराय और गवर्नर जनरल, सर आर्चीबाल्ड वेवेल ने उच्च मूल्य वाले बैंक नोट बंद करने का अध्यादेश प्रस्तावित किया. इसके साथ ही 26 जनवरी रात 12 बजे के बाद से 500 रुपये, 1,000 रुपये और 10,000 रुपये के उच्च मूल्यवर्ग के बैंक नोट अमान्य हो गए.
1978 की दूसरी नोटबंदी
16 जनवरी 1978 को, जनता पार्टी के नेतृत्व वाली सरकार ने काले धन को खत्म करने के लिए 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया था. अपने इस कदम के तहत, सरकार ने घोषणा की थी कि उस दिन बैंकिंग घंटों के बाद 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोटों को लीगल टेंडर नहीं माना जाएगा. इसके अगले दिन 17 जनवरी को लेनदेन के लिए सभी बैंकों और उनकी शाखाओं के अलावा सरकारों के खजाने को बंद रखने का भी फैसला किया गया. उस समय देसाई सरकार में वित्त मंत्री एच.एम. पटेल थे जबकि पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह वित्त सचिव थे.