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रोमन काल से चली आ रही ऑनर किलिंग, 'मर्यादा' तोड़ने पर खुलेआम की जाती थी हत्या!

एक लड़की की सूटकेस में लाश मिलने के बाद मामले में पिता को आरोपी बनाया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मृतका आयुषी यादव के पिता ने ही उसे मारा है, ये ऑनर किलिंग की घटना है. इस घटना के साथ ही ऑनर किलिंग पर बहस छिड़ गई है. आइए ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में ऑनर किलिंग के बारे में जानते हैं.

प्रतीकात्मक फोटो (Getty) प्रतीकात्मक फोटो (Getty)
मानसी मिश्रा
  • नई दिल्ली ,
  • 22 नवंबर 2022,
  • अपडेटेड 4:13 PM IST

साल 2012 में अमेरिका के फीनिक्स शहर में रहने वाली नूर की रोड एक्सीडेंट में मौत हो गई. 20 साल की नूर अपने 43 साल के ब्वॉयफ्रेंड के साथ कार में जा रही थीं. तभी सामने से उनके पिता की कार जोर से टकराई. कार उनके पिता ही ड्राइव कर रहे थे. हादसे में नूर के ब्वॉयफ्रेंड की जान बच गई, लेकिन नूर ने अस्पताल में दम तोड़ दिया. इस घटना की हॉनर किलिंग के एंगल से जांच हुई और नूर के पिता फलेह अल-मालेकी को बाद में अपनी बेटी की हत्या का दोषी ठहराया गया. 

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अमेरिका जैसे विकसित देश में ऑनर किलिंग की इस घटना ने नई बहस को जन्म दिया. लेकिन भारतीय उपमहाद्वीप के लिए ये विषय नया नहीं है. यहां जातिपात, धर्म, संप्रदाय और अलग-अलग समुदायों में बंटे समाज में इस तरह की घटनाएं अक्सर सुनने को मिलती हैं. मिडिल ईस्ट और नॉर्थ अफ्रीकी देशों में ऑनर किलिंग की घटनाएं सबसे ज्यादा दर्ज की जाती हैं. भारत और फिलिपींस में इनके मामले सबसे ज्यादा है, लेकिन अन्य संस्कृतियों में भी इस तरह की घटनाएं होती हैं पर उनका औसत इतना अध‍िक नहीं है.

स्त्र‍ियां ही नहीं पुरुष भी होते हैं श‍िकार 

कभी विजातीय प्रेम विवाह तो कभी समलैंगिक संबंधों के कारण पुरुष भी ऑनर किलिंग का श‍िकार हाते हैं. ह्यूमन राइट्स वाच की परिभाषा के अनुसार ऑनर किलिंग एक ऐसी हिंसा है जो अपनों द्वारा की जाती है. ऑनर किलिंग आमतौर पर पुरुष परिवार के सदस्यों द्वारा महिला परिवार के सदस्यों के खिलाफ की जाती है. ऐसी लड़कियां या महिलाएं जिनके बारे में मान लिया जाता है कि वे परिवार के साथ दगा या धोखा कर रही हैं. वो अपने कृत्यों से परिवार का स्वघोष‍ित बड़ा नाम और सम्मान डुबो रही हैं. उन्हें मारकर परिवार का मान बचाया जाता है. 

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यह कैसा सम्मान?

एक महिला को उसके परिवार द्वारा कई कारणों से मौत दी जा सकती है. इसमें उनका परिवार की मर्जी से अरेंज्ड मैरिज करने से मना कर देना या बाहर अलग धर्म, जाति समुदाय में प्रेम कर लेना मुख्य कारण है. भारतीय प‍ितृसत्तात्मक समाज में हर धर्म के लोगों में विवाह से इतर सेक्स संबंध पूरी तरह वर्जित माने गए हैं, ऐसे में शादी के संबंध के अलावा यौन संबंधों में लिप्तता भी इसका कारण बन जाती है. कई मामलों में यौन उत्पीड़न का शिकार होने, तलाक की मांग करने, किसी एब्यूजिव रिलेशन से निकलने की मांग करना भी व्यभिचार में शामिल कर लिया जाता है. जैसा कि ऊपर बताया गया है कि इसमें सिर्फ महिलाएं नहीं है, पुरुष भी ऑनर किलिंग के शिकार हो सकते हैं. ऐसे मामलों में वो महिला के परिवार के सदस्यों द्वारा या समलैंगिकता के मामलों में अपने ही परिवार द्वारा इसका श‍िकार हो जाते हैं. 

कभी रोम में था ये कानून 

प्राचीन रोमन काल से फीमेल सेक्सुअलिटी को लेकर सामाजिक तानाबाना जट‍िल रहा है. महिलाओं की यौन इच्छाओं को लेकर अघोष‍ित कानून तब घोष‍ित और मान्य थे. एक वो दौर था जब पितृ आधारित परिवार को ये अध‍िकार था कि वो अविवाहित लड़की या पत्नी को बाहर यौन संबंधों में लिप्त होने पर मार सकते हैं. इसी तरह मध्यकालीन यूरोप में, शुरुआती यहूदी कानून में व्यभिचारी पत्नी और उसके साथी पर पत्थर बरसाए जाते थे. 

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क्यों नहीं है मर्जी से जीने का हक 

बिरजित विश्वविद्यालय में एंथ्रोपोलॉजी के प्रोफेसर शरीफ कनाना के एक बयान के अनुसार, पितृसत्तात्मक समाज में परिवार, कबीले या जनजाति के पुरुष महिला की प्रजनन शक्त‍ि पर नियंत्रण चाहते हैं. इन जनजातियों में महिलाएं पुरुष बनाने का कारखाना मानी जाती थीं. ऐसे में उनकी यौनिक इच्छाओं का कहीं कोई स्थान नहीं था. आज भी भले की कानून व्यक्त‍ि को हर तरह की स्वतंत्रता देते हैं लेकिन समाज के अलिख‍ित कानून तोड़ना सामाजिक अपराध की श्रेणी में रख दिया गया है.

आज भी कई समुदायों में इस तरह की घटनाएं रिपोर्ट नहीं होतीं, क्योंकि आज भी समाज का एक वर्ग ऐसा है जो मन ही मन इस तरह की हिंसा को सही ठहराता है. ऐसे में हमें सोचना यह है कि आज जब हम मानवाधिकारों की खुले मंचों से वकालत करते हैं, फिर क्यों अपने ही घर में हम दूसरे संबंध‍ियों को मर्जी से जीने की इजाजत नहीं दे सकते. 

 

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