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Indian Railways: भारतीय रेलवे में अब अधिकतर ट्रेनें इलेक्ट्रिक इंजन के सहारे चल रही है. ट्रेनों की रफ्तार भी पहले से काफी बढ़ गई है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि ट्रेन के इंजन के ऊपर लगे जिस तार से ट्रेनें चलती है, वो घर्षण के बावजूद भी घिसता क्यों नहीं है? तो चलिए हम आपको बताते हैं इस खासियत के पीछे की वजह. दरअसल, भारतीय रेल (Indian Railways) ने बिजली के तार और इंजन के लगे पेंटोग्राफ के बीच ऐसी तकनीक का इस्तेमाल किया है कि जब ट्रेनें तेज रफ्तार से चलती है तो इसका दबाव इंजन के ऊपर लगे बिजली के तार पर नहीं पड़ता है, बल्कि इंजन में लगे पेंटोग्राफ पर पड़ता है, जिसे हम बिजली ग्रहण करने वाला उपकरण भी कह सकते हैं.
बिजली तार की संरचना को समझिए
रेलवे ने इलेक्ट्रिक से ट्रेन चलाने से पहले इसके संरचना को लेकर काफी मंथन किया था. तार और इंजन में लगे पेंटोग्राफ पर ट्रेन चलने के दौरान घर्षण का दवाब ज्यादा न पड़े, इसको लेकर कई तरह के तकनीक को अपनाया गया है. इसमे लोहे के एंगल के सहारे तार को दौड़ाया जाता है. एक पोल में स्टे-ट्यूब, ब्रैकेट ट्यूब, स्टेडी ट्यूब, रजिस्टर आर्म्स लगे होते है, जिसके सहारे कैटनेरी वायर और कॉन्टेक्ट वायर को एक स्टेशन से दूसरे स्टेशन तक ले जाया जाता है. रेलवे रूट पर लगे तार को OHE ओवर हेड वायर (कैटनेरी सिस्टम) कहा जाता है. इसका उपयोग इंजन में इलेक्ट्रिक सप्लाई के लिए किया जाता है. इस तार में 25 हजार वोल्ट करंट रहता है. उच्च वोल्टेज को नियंत्रित करने के लिए इंसुलेटर का उपयोग किया जाता है. इसके साथ ही ऑटो टेंशन डिवाइस (तीन चकरी) लगा होता है जो तापमान को नियंत्रण करने का काम करता है.
पेंटोग्राफ ग्राफ कैसे काम करता है और तार क्यों नहीं घिसता है?
भारतीय रेल के इंजन में अब दो तरह के पेंटोग्राफ (बिजली ग्रहण करने वाला उपकरण) लगें होते है. सामान्य तौर पर चलने वाली ट्रेनों के इंजन में हाई स्पीड पेंटोग्राफ का उपयोग किया जाता है, तो डबल डेकर पैसेंजर ट्रेन और गुड्स ट्रेन में चलने वाले इंजन में हाई रिच (WBL) पेंटोग्राफ लगा रहता है.अब हम आपको बताते हैं कि बिजली का तार क्यों नहीं घिसता है. इंजन में लगे पेंटोग्राफ का ही कमाल है कि रेलखंड पर लगे तार नहीं घिसते हैं. इसके पीछे की वजह यह है कि पेंटोग्राफ में कार्बन स्ट्रिप (पट्टी) लगे होते हैं, जिसे मुलायम बनाया जाता है. इसके अलावा, पेंटोग्राफ में लगे स्प्रिंग और कम्प्रेस्ड हवा के कारण स्थैतिक बल मात्र 70KN के बराबर हो जाता है.
पेंटोग्राफ का ही कमाल होता है कि पुल-पुलिया के पास ओवर हेड वायर (OHE) का ऊंचाई कम होने के बावजूद बिना रुकावट (स्पार्क) के ट्रेन चलती रहती है और तार पर इसका कोई असर नहीं पड़ता है, न ही तार घिसता है न ही टूटता है. समस्तीपुर रेलमंडल के जानकर बताते हैं कि ओवर हेड वायर (OHE) को ऐसे दौड़ाया जाता है कि पेंटोग्राफ एक ही जगह पर नहीं घिसे. यही कारण है कि इंजन में लगे पेंटोग्राफ धीरे धीरे घिसता है जिसे चार महीने में बदल दिया जाता है.