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उत्तर प्रदेश के अमरोहा में पैदा हुए और पाकिस्तान में जाकर बसे मशहूर (बदनाम) शायर जौन एलिया की 91वीं बरसी मनाई जा रही है. 14 दिसंबर 1931 को जौन एलिया का जन्म हुआ था, बंटवारे के बाद वो पाकिस्तान में जा बसे थे. सोशल मीडिया के इस मौजूदा दौर में भी जौन एलिया को वो तमगा हासिल है, जिसे हासिल करने के लिए कई शायर बस ख्वाब ही देखते हैं.
ऐसा तब है जब जौन एलिया, इंटरनेट की जेनरेशन के शायर नहीं रहे हैं. लेकिन यूट्यूब पर जौन एलिया के पुराने वीडियो वायरल होते हैं. जहां वो अपने बाल नोंच रहे हैं, स्टेज पर सिगरेट पी रहे हैं और किसी से शराब भी मंगा रहे हैं. जौन एलिया का अल्हड़पन, पागलपन और दर्द को कहने का ये तरीका ही शायद आजकल की जेनरेशन को अच्छा भी लगता है.
जौन एलिया की जयंती के मौके पर उनके कुछ यादगार शेर ज़रूर पढ़े जाने चाहिए, जो जौन एलिया को हर शायर से अलग करते हैं और उन्हें सबका खास बनाते हैं.
#शायद मुझे किसी से मुहब्बत नहीं हुई,
लेकिन यकीन सबको दिलाता रहा हूं मैं.
#जौन,तुम्हें ये दौर मुबारक, तुम ग़मों-आलम से दूर हो,
एक लड़की के दिल को दुखाकर तुम बड़े आराम से हो.
#ये मुझे चैन क्यों नहीं पड़ता,
एक ही शख्स था जहान में क्या.
#तुम ख़ून थूकती हो ये सुन कर ख़ुशी हुई
इस रंग इस अदा में भी पुरकार ही रहो
#एक ही हादसा तो है और वो ये कि
आज तक बात नहीं कही गई बात नहीं सुनी गई
#कितनी दिलकश हो तुम कितना दिल-जू हूँ मैं
क्या सितम है कि हम लोग मर जाएँगे
#तू भी चुप है मैं भी चुप हूँ ये कैसी तन्हाई है
तेरे साथ तिरी याद आई क्या तू सच-मुच आई है
#मेरे कमरे को सजाने की तमन्ना है तुम्हें,
मेरे कमरे में किताबों के सिवा कुछ भी नहीं.
#वो जो ना आने वाला है उससे हमको मतलब था,
आने वालों का क्या, आते हैं आते होंगे
#तेरा फ़िराक़ जान-ए-जाँ ऐश था क्या मिरे लिए,
या'नी तिरे फ़िराक़ में ख़ूब शराब पी गई.
#हम वो हैं जो ख़ुदा को भूल गए,
तू मेरी जान किस गुमान में हैं
जौन एलिया के लिए इतनी दीवानगी देखकर सवाल उठता है कि आखिर जौन में ऐसा क्या है जो किसी और में नहीं. दरअसल, जौन ने जिस तरह अपनी बेवफाई, टूटे दिल की बात की. शायद वो युवाओं को भा गई. तभी ट्विटर, फेसबुक या अब कहें कि इंस्टाग्राम रील्स में जौन एलिया के शेर छाए रहते हैं. जौन एलिया ने अपनी शायरी के बारे में भी कुछ कहा है. जौन ने कहा है कि अपनी शायरी का जितना मुन्किर मैं हूं, उतना मुन्किर कोई बदतरीन दुश्मन भी न होगा. कभी-कभी मुझे अपनी शायरी, बुरी और बेतुकी लगती है.
मैं जो हूं जौन एलिया हूं जनाब,
इसका बेहद लिहाज़ कीजिएगा.