
एक बार फिर 'बिना परीक्षा IAS' बनाने वाले सिस्टम यानी लेटरल एंट्री प्रोसेस की काफी चर्चा हो रही है. दरअसल, कांग्रेस समेत कई विरोधी पार्टियां लेटरल एंट्री से हो रही 45 नियुक्तियों का विरोध कर रही है. विपक्ष के विरोध के बाद रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इसका पलटवार किया है और कहा है कि लेटरल एंट्री (सीधी भर्ती) का विचार यूपीए के समय में आया था. यूपीए सरकार ने ही लेटरल एंट्री की अवधारणा आगे बढ़ाई थी. क्या आप जानते हैं ये सिस्टम भारत के बाहर भी है? ऐसे में जानते हैं कि ये सिस्टम क्या है और किन देशों में लेटरल एंट्री सिस्टम है...
आखिर है क्या लेटरल सिस्टम?
अगर लेटरल सिस्टम की बात करें तो यूपीएससी लेटरल एंट्री के जरिए सीधे उन पदों पर उम्मीदवारों की नियुक्ति की जाती है, जिन पद पर आईएएस रैंक के ऑफिसर तैनात किए जाते हैं. यानी इन सिस्टम में विभिन्न मंत्रालयों, विभागों और संगठनों में सीधे उपसचिव यानी ज्वाइंट सेक्रेटरी और डायरेक्टर/डिप्टी सेक्रेटरी के पद पर उम्मीदवारों की नियुक्ति होती है. इसमें निजी क्षेत्रों से अलग अलग सेक्टर के एक्सपर्ट्स को सरकार में इन पदों पर नौकरी दी जाती है. इस सिस्टम में यूपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में हिस्सा नहीं लेता है और बिना एग्जाम में इंटरव्यू के जरिए प्राइवेट सेक्टर के एक्सपर्ट्स की इन पदों पर नियुक्ति की जाती है.
किन देशों में है लेटरल सिस्टम?
भारत के अलावा कई ऐसे देश हैं, जो लेटरल एंट्री से अधिकारियों की नियुक्तियों को सपोर्ट करते हैं. सिविल सर्विस मैनेजमेंट के लिए मशहूर देशों में डायरेक्ट और लेटरल एंट्री सिस्टम है, जिनमें ऑस्ट्रेलिया, यूएसए और यूके जैसे देश शामिल हैं. इनके अलावा फ्रांस, बेल्जियम, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया और स्पेन जैसे देशों में भी ये सिस्टम लागू है.
जैसे अमेरिका में कई पदों पर लेटरल एंट्री के जरिए अधिकारियों की नियुक्ति की जाती है और यहां लेटरल एंट्री सिस्टम का पर्मानेंट पार्ट है. अमेरिका में कई पदों पर इसके जरिए एंट्री होती है और अलग अलग एक्सपर्ट खाली पदों के लिए आवेदन करते हैं. हाल ही में US Department of State ने एक नए लेटरल एंट्री पायलट प्रोग्राम का ऐलान किया था. इस बार मिड करियर प्रोफेशनल्स के लिए ये स्कीम शुरू की गई है, जिसमें मिड लेवल फॉरेन सर्विस के लिए अधिकारियों की नियुक्ति की बात कही गई. इसके जरिए ग्रेड FP-03 और FP-02 के अधिकारियों की भर्ती की चर्चा है. फेडरल सिविल सर्विस में भी लेटरल एंट्री के जरिए नियुक्ति होती है.
इसके अलावा कनाडा में भी लेटरल एंट्री प्रोग्राम है और एजुकेशन भी कुछ कोर्स में सीधे एंट्री दिए जाने का प्रावधान है. अगर यूके की बात करें तो वहां के सिस्टम में भी लेटरल एंट्री के जरिए SCS संभव है, लेकिन अभी इनकी संख्या काफी कम है और ये जरूरी है कि लेटरल एंट्री लेने वाले उम्मीदवार को प्राइवेट सेक्टर में काफी अच्छा अनुभव होना चाहिए. वैसे यूके और भारत में सिविल सर्विसेज का सिस्टम लगभग एक जैसा है.
अमेरिका में लेटरल एंट्री सिस्टम काफी कॉमन है और यहां तक वहां डिफेंस में भी इसके जरिए नियुक्तियां की जाती है. इसमें दूसरे देश के डिफेंस एक्सपर्ट को भी चुना जाता है. वहां भी भारत के UPSC की तरह ऑस्ट्रेलिया पब्लिक सर्विस कमीशन है, जिसके जरिए लेटरल एंट्री में भी भर्ती की जाती है. ऐसे ही कई देशों में इसे सिस्टम में शामिल किया गया है.
क्या फायदे बताए जाते हैं
कई एक्सपर्ट लेटरल एंट्री के फायदे भी गिनाते हैं और बताते हैं कि कैसे ये सिस्टम को और भी मजबूत करता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि लेटरल एंट्री सिस्टम से सरकारी सेवाओं में एक्सपर्ट और अनुभव दोनों शामिल होते हैं. इससे कामकाज में सुधार की उम्मीद है और इससे नई सोच और दृष्टिकोण भी शामिल होता है.
इसके साथ ही ब्यूरोक्रेसी में दक्षता और पारदर्शिता बढ़ती है. इंटरव्यू की वजह से चयन होने पर एक्सपर्ट में भी खास लोग चुनकर आते हैं और उन्हें उस फील्ड में काफी लंबा अनुभव होता है, जो नीतियां बनाने में काफी फायदेमंद होता है. साथ ही लेटरल एंट्री से अधिकारियों की नियुक्ति जल्दी होती है और प्रशासनिक कार्यों में तेजी आती है.
भारत में कितनी नियुक्ति हुई?
बता दें कि इस बार 45 पदों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए हैं. इससे पहले 2019 में 8 जॉइंट सेकेट्री पदों पर नियुक्ति की गई थी. इसके बाद 2022 में 30 अधिकारी (3 जॉइंट सेकेट्री, 27 डायरेक्टर) का चयन किया गया था. वहीं, 2023 में 37 पदों के लिए भर्ती की सिफारिश की गई थी, जिसमें 20 अधिकारी (जॉइंट सेकेट्री, डायरेक्टर और डेप्युटी सेकेट्री) भी शामिल थे. रिपोर्ट्स के अनुसार, पिछले पांच साल में इन स्तरों पर अब तक 63 नियुक्तियां लेटरल एंट्री के माध्यम से की गई हैं और वर्तमान में 57 ऐसे अधिकारी तैनात हैं.