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143 साल पहले Morbi के राजा ने बनवाया था केबल ब्रिज, जानें काल बने मोरबी पुल की कहानी

Morbi Bridge: मोरबी की शान कहलाए जाने वाला केबल ब्रिज 143 साल पुराना था. 765 फुट लंबा और 4 फुट चौड़ा ये पुल एतिहासिक होने के कारण गुजरात टूरिज्म की लिस्ट में भी शामिल किया गया था. आइए जानते हैं किसने बनवाया था मोरबी पुल और कैसे कई लोगों की मौत का काल बन गया.

Raja Waghji Ravji of Morbi (Credit: Royal Collection Trust/ His Majesty King Charles III 2022)-16:9 Raja Waghji Ravji of Morbi (Credit: Royal Collection Trust/ His Majesty King Charles III 2022)-16:9
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 31 अक्टूबर 2022,
  • अपडेटेड 1:52 PM IST

गुजरात के मोरबी जिले में मच्छु नदी पर बना हैंगिंग ब्रिज टूटकर गिरा और कई लोगों के लिए मौत का 'काल' बन गया. मोरबी की शान कहलाए जाने वाला केबल ब्रिज 143 साल पुराना था जो रविवार, 30 अक्टूबर 2022 को  हादसे का शिकार हुआ. जानकारी के मुताबिक, आजादी से पहले ब्रिटिश शासन में मोरबी ब्रिज का निर्माण किया गया था. मच्छु नदी पर बना यह ब्रिज मोरबी का प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट था.

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कब बना था मोरबी का केबल ब्रिज?
मोरबी के राजा वाघजी रावजी ने केबल ब्रिज (झूलता हुआ पुल) बनवाया था. जिसका उद्घाटन 1879 में किया गया था. ब्रिटिश इंजीनियरों के द्वारा बनाए गए इस पुल के निर्माण में आधुनिकतम तकनीक का इस्तेमाल किया गया था. ब्रिटिश शासन में बना ये ब्रिज अच्छी इंजीनियरिंग का प्रतीक रहा है. राजकोट जिले से 64 किलोमीटर की दूरी पर मच्छु नदी पर बना यह पुल लोगों के आर्कषण का केंद्र था. 765 फुट लंबा और 4 फुट चौड़ा ये पुल एतिहासिक होने के कारण गुजरात टूरिज्म की लिस्ट में भी शामिल किया गया था. 

इंजीनियरिंग का जीता-जागता नमूना था मोरबी ब्रिज
ब्रिटिश इंजीनियरों द्वारा बनाए गए इस पुल को उन्‍नत इंजीनियरिंग का जीता जागता नमूना माना जाता था. बता दें कि गुजरात राज्य का मोरबी ज़िला मच्छु नदी के किनारे बसा हुआ है. उसी नदी पर मोरबी केबल ब्रिज बनाया गया था.
पुल का निर्माण मोरबी के राजा प्रजावत्स्ल्य वाघजी ठाकोर की रियासत के दौरान किया गया था. बताया जाता है कि मोरबी ब्रिज के जरिए ही राजा राजमहल से राज दरबार तक जाते थे.

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मरम्मत के बाद दोबारा खुला था ब्रिज
ब्रिज के मेंटेनेंस की जिम्मेदारी ओरेवा ग्रुप के पास है. इस ग्रुप ने मार्च 2022 से मार्च 2037 यानी 15 साल के लिए मोरबी नगर पालिका के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है. इस ब्रिज को मरम्मत के बाद 5 दिन पहले ही लोगों के लिए खोला गया था. बताया जा रहा है कि पुल पर कैपेसिटी से ज्यादा लोग मौजूद थे, जिसकी वजह से हादसा हुआ. 
 
कब और कैसे टूटा मोरबी ब्रिज?
मोरबी ब्रिज हादसे ने लोगों के छुट्टी के दिन की खुशी को पल भर में ही मातम में बदल डाला. मोरबी ब्रिज हादसा रविवार, 30 अक्टूबर की शाम उस वक्त हुआ जब पुल पर करीब पांच सौ लोग मौजूद थे. नदी के ऊपर बने इस केबिल ब्रिज हादसे में अब तक 130 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि कई लोग अभी लापता हैं, जिनके लिए सर्च ऑपरेशन जारी है. वहीं, दर्जनों घायल लोगों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है. एक झटके में ही तारों पर बंधा मोरबी पुल टूटा और एक साथ कई दर्जन लोग नीचे बहती नदी में जा गिरे.

हादसे के बाद मची चीख पुकार
मोरबी पुल गिरते ही मौके पर अफरा-तफरी और चीख पुकार मच गई. 143 साल पुराने मोरबी का पुल गिरने के बाद रात भर रेस्क्यू अभियान चलाया गया. एनडीआरएफ की दर्जनों टीमों ने रात भर नदी में लोगों की तलाश की. हादसे की जांच के लिए 5 लोगों की SIT का गठन- किया गया है. सवाल है कि मरम्मत के 5 दिन बाद पुल हादसे का शिकार कैसे हुआ और कौन इसके लिए जिम्मेदार है.

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