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देश की आजादी से कुछ दिन पहले... ऐसे 22 जुलाई को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज बना था तिरंगा

तिरंगे को पहली बार 22 जुलाई, 1947 को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था. एक सरकारी वेबसाइट के अनुसार, 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के डोमिनियन के राष्ट्रीय ध्वज और उसके बाद भारत गणराज्य के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया.

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aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 22 जुलाई 2023,
  • अपडेटेड 1:58 PM IST

National Flag Tiranga Adoption Day: हमारे देश का तिरंगा जब शान से लहराता है तो हर भारतीय का सीना गर्व से फूल कर चौड़ा हो जाता है, यह पल गर्व से भर देने वाला होता है. इसलिए हर भारतीय के लिए आज की तारीख (22 जुलाई) के इतिहास के बारे में जरूर पता होना चाहिए. आज की तारीख भारत की आजादी के इतिहास में खास दिन है, जिसे साकार करने के लिए देश के अनेक वीर सपूतों ने हंसते-हंसते अपनी जान कुर्बान कर दी थी, वीरांगनाएं भी बलिदान देने से पीछे नहीं हटीं.

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22 जुलाई 1947 को मिला था राष्ट्रीय ध्वज
तिरंगे को पहली बार 22 जुलाई, 1947 को भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया था. एक सरकारी वेबसाइट के अनुसार, 15 अगस्त 1947 और 26 जनवरी 1950 के बीच भारत के डोमिनियन के राष्ट्रीय ध्वज और उसके बाद भारत गणराज्य के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया. 

ऐसे हुई थी राष्ट्रीय ध्वज की रचना
1916 में स्वतंत्रता सेनानी आंध्र प्रदेश के पिंगली वेंकैया ने एक ऐसे झंडे के बारे में सोचा जो सभी भारतवासियों को एक धागे में पिरोकर रखे. उनकी इस पहल को एस.बी. बोमान जी और उमर सोमानी का साथ मिला और इन तीनों ने मिल कर "नेशनल फ्लैग मिशन" की स्थापना की. वहीं वैकेंया महात्मा गांधी से काफी प्रेरित थे. ऐसे में उन्होंने राष्ट्रीय ध्वज के लिए उन्हीं से सलाह लेना बेहतर समझा. महात्मा गांधी ने उन्हें इस ध्वज के बीच में अशोक चक्र रखने की सलाह दी जो संपूर्ण भारत को एक सूत्र में बांधने का संकेत बनेगा.

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पहले ऐसा था राष्ट्रीय ध्वज
पिंगली वेंकैया ने सबसे पहले जो राष्ट्रीय ध्वज डिजाइन किया था उसमें लाल और हरे रंग के की पृष्ठभूमि पर अशोक चक्र था. इसमें लाल रंग हिंदू और हरा रंग मुस्लिम समुदाय का प्रतिनिधित्व करता था. वहीं इसमें सफेद रंग और चरखा गांधी जी के सुझाव पर ही शामिल किया गया था. कांग्रेस ने अगस्त 1931 को अपने वार्षिक सम्मेलन में तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने का प्रस्ताव पारित किया.

देश की आजादी से कुछ दिन पहले...
देश की आजादी की घोषणा से कुछ दिन पहले कांग्रेस के सामने ये प्रश्न आ खड़ा हुआ कि अब राष्ट्रीय ध्वज को क्या रूप दिया जाए इसके लिए फिर से डॉ. राजेंद्र प्रसाद के नेतृत्व में एक कमेटी बनाई गई. 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने जो तिरंगा देश के राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया वह पूरी तरह 1931 का तिरंगा नहीं था. देश के नए झंडे में लाल रंग की जगह केसरिया रंग हो गया. ऊपर केसरिया रंग तो सबसे नीचे हरा रंग तो वहीं बीच में सफेद रंग रखा गया. केसरिया रंग देश की धार्मिक और आध्यात्मिक संस्कृति का, सफेद रंग शांति का तो हरा रंग प्रकृति का प्रतीक माना गया.

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झंडे की चौड़ाई और उसकी लंबाई का सरकार द्वारा निर्धारित अनुपात दो से तीन है. सफेद पट्टी के केंद्र में एक गहरे नीले रंग का पहिया होता है जो चक्र का प्रतिनिधित्व करता है. इसका डिज़ाइन उस पहिये का है जो अशोक के सारनाथ सिंह राजधानी (जिसे धर्म चक्र कहा जाता है) के अबैकस पर दिखाई देता है. इसका व्यास लगभग सफेद पट्टी की चौड़ाई के बराबर है और इसमें 24 तीलियां हैं.

15 अगस्त 1947 को तिरंगा हमारी आजादी और हमारे देश की आजादी का प्रतीक बन गया. बता दें कि भारत के राष्ट्रीय ध्‍वज तिरंगे का डिजाइन बनाने वाले पिंगली वेंकैया के सम्मान में भारत सरकार ने उनके नाम पर डाक टिकट जारी किया था. राष्ट्रीय ध्वज बनाने के बाद पिंगली वेंकैया का झंडा "झंडा वेंकैया" के नाम से लोगों के बीच लोकप्रिय हो गया.

 

 

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