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20 ग्राम मैटेरियल और ब्लास्ट का ये स्पेशल मैथड... पेजर अटैक के बाद इन थ्योरी की चर्चा

Pager Attack In Lebanon: लेबनान में हुए पेजर अटैक के बाद सवाल है कि आखिर ये कैसे संभव हुआ. इसके सवाल को लेकर अभी तक कई थ्योरी सामने आ चुकी हैं. तो जानते हैं इनका क्या है जवाब...

पेजर विस्फोट के बाद का मंजर (फोटोः एपी) पेजर विस्फोट के बाद का मंजर (फोटोः एपी)
शिवानी शर्मा
  • नई दिल्ली,
  • 18 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:16 PM IST

लेबनान में जिस तरह पेजर अटैक हुआ है, उसने पूरी दुनिया का हिला कर रख दिया है. अटैक के वीडियो देखने के बाद हर किसी के मन में एक ही सवाल है कि आखिर ये हुआ कैसे? अटैक को लेकर अभी तक कोई पुख्ता जानकारी सामने नहीं आई है, लेकिन कई थ्योरी जरूर सामने आई हैं. इन अलग अलग थ्योरी और रिपोर्ट्स के जरिए अंदाजा लगाया जा रहा है कि आखिर किस तरह एक साथ हजारों पेजर को निशाना बनाया गया और एक एक वक्त पर इस अटैक को अंजाम दिया गया. ऐसे में जानते हैं कि अभी तक कितनी थ्योरी सामने आ चुकी हैं...

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थ्योरी नंबर-1: पेजर्स के अंदर विस्फोटक था

स्काई न्यूज अरेबिक की रिपोर्ट में एक सीनियर इजरायली मिलिट्री सोर्स के हवाले से लिखा गया है कि मोसाद के एजेंट ने हिजबुल्लाह के लोगों की ओर से यूज किए जाने वाले पेजर की बैटरी में विस्फोटक लगा दिए थे. इसके लिए पीईटीएन (पेंटाएरीथ्रिटोल टेट्रानाइट्रेट) का इस्तेमाल किया गया और ये उन लोगों के पेजर की बैटरी में उस वक्त ही लगा दिया था, जब वो हिजबुल्लाह के संपर्क में नहीं आए थे. 

इस हमले में पीईटीएन को इसलिए चुना गया था, क्योंकि वो अपनी स्थिरता और पावर के लिए जाना जाता है और इससे रिमोट कंट्रोल विस्फोट करवाने में मदद मिलती है. 

थ्योरी नंबर-2: बैटरी के तापमान से कंट्रोल हुआ ब्लास्ट

बता दें कि पीईटीएन को दुनिया के सबसे शक्तिशाली विस्फोटकों में से एक माना जाता है, जिसका इस्तेमाल आमतौर पर सैन्य अभियानों में किया जाता है. ये सामान्य परिस्थितियों में स्थिर रहता है, लेकिन गर्मी या दबाव जैसी स्थिति में इसमें आग लगने की क्षमता की वजह से इसे सीक्रेट ऑपरेशन में काम में लिया जाता है. ऐसे में कहा जा रहा है कि पहले बैटरी के तापमान को बढ़ाया गया और उसके बाद पीईटीएन का इस्तेमाल ब्लास्ट करने के तौर पर किया गया. 

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थ्योरी नंबर-3: सिर्फ 20 ग्राम ही था विस्फोटक

अल जज़ीरा के अनुसार, हर एक डिवाइस में 20 ग्राम PETN रखा गया था. हालांकि 20 ग्राम एक छोटी मात्रा लग सकती है, लेकिन PETN की ये मात्रा पर्याप्त से काफी अधिक है. इतने शक्तिशाली विस्फोटक को पेजर जैसे छोटे उपकरण में पैक करने की क्षमता बताती है कि मोसाद टेक्नोलॉजी में कितना आगे काम कर रही है. 

थ्योरी नंबर-4: प्लान के लिए मिला था लंबा वक्त

हिजबुल्लाह ने इन पेजर उपयोग पांच महीने पहले शुरू किया था, जो बताता है कि मोसाद के पास इस ऑपरेशन की योजना बनाने और उसे क्रियान्वित करने के लिए कम से कम आधा साल था. लंबे समय पहले से हो रहे इस्तेमाल की वजह से इजरायल की खुफिया एजेंसी को भी घुसपैठ में काफी वक्त मिला और धीरे-धीरे इस प्लान को अंजाम दिया गया. 

थ्योरी नंबर-5: नए तरीके से विस्फोट

इस बार विस्फोट का तरीका नॉर्मल तरीकों से अलग था और पुराने तरीकों से अटैक करने के बजाय इस बार बैटरी का तापमान बढ़ाकर अटैक किया गया है. साथ ही इस अटैक में पारंपरिक इलेक्ट्रॉनिक संकेतों के बजाय थर्मल हेरफेर पर ध्यान दिया गया है और साथ ही उन सभी टेक्नोलॉजी को पीछे छोड़ दिया, जिससे रेडियो एक्टिव का पता चल सकता है. ऐसे में नए तरीके से विस्फोट को अंजाम दिया गया. हालांकि अभी ये सामने नहीं आया है कि कितने पेजर में विस्फोट का इस्तेमाल किया गया था. 

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थ्योरी नंबर-6: टेक्नोलॉजी से ज्यादा नेटवर्क में सेंध

बता दें कि हिजबुल्लाह लंबे वक्त से एन्क्रिप्टेड फोन, रेडियो और पेजर का इस्तेमाल कर रहा है. लेकिन इस बार टेक्नोलॉजी के साथ ही हिजबुल्लाह के नेटवर्क में सेंध की बात सामने आई है. अब हिजबुल्लाह के लिए चिंता बढ़ गई है और उसे हर तरफ से खुद को स्ट्रॉन्ग करना होगा. इस मिशन की सफलता से हिजबुल्लाह और अन्य विरोधियों के खिलाफ इस तरह के अभियानों को बढ़ावा मिलने की संभावना है.

थ्योरी नंबर-7: हिजबुल्लाह की बढ़ी टेंशन

एक थ्योरी ये भी है कि आखिर किस तरह मोसाद ने हिजबुल्लाह की सप्लाई चेन में एंट्री मारी. कई रिपोर्ट में सामने आ रहा है कि मोसाद ने हिजबुल्लाह से जुड़े लोगों के डिवाइस में विस्फोटक इंसर्ट कर दिए और खास बात ये है कि हिजबुल्लाह को इस बात की जानकारी भी नहीं लगी. हिजबुल्लाह के डिवाइस नेटवर्क में विस्फोटक मिलने के बाद ये साफ हो गया है कि मोसाद ने हिजबुल्लाह नेटवर्क में एंट्री ले ली है. ये हिजबुल्लाह के लिए काफी चिंताजनक साबित हो रहा है. 
 

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