
Pooja Khedkar Trainee IAS Issue: ट्रेनी आईएएस अधिकारी पूजा खेडकर विवादों में है और उन पर लगे कई आरोपों के चलते पूजा की उम्मीदवारी वेरिफाई करने के लिए सिंगल मेंबर कमेटी का गठन भी किया है. विवादों के बीच उनका तबादला महाराष्ट्र के वाशिम में कर दिया गया है. ऐसे में सवाल है कि आखिर पूजा खेडकर के खिलाफ क्या-क्या आरोप हैं और किस वजह से ट्रेनी आईएएस खबरों में आ गई हैं. तो समझते हैं पूरा मामला...
कौन हैं पूजा खेडकर?
सबसे पहले आपको बताते हैं कि पूजा खेडकर हैं कौन? पूजा खेडकर 2023 बैच की आईएएस अधिकारी हैं. पूजा खेडकर पहले भी सिविल सेवा परीक्षा पास कर चुकी हैं. पहले उन्होंने साल 2021 में मल्टीपल डिसेबिलिटी कैटेगरी में ही परीक्षा पास की थी और उस वक्त खेडकर को भारतीय खेल प्राधिकरण में सहायक निदेशक के तौर पर पोस्टिंग मिली थी. इसके बाद वो फिर से आईएएस अधिकारी बनीं. साल 2022 की परीक्षा में उन्हें 821वीं रैंक मिली थी. उनके पिता दिलीप खेडकर भी महाराष्ट्र सरकार में वरिष्ठ अधिकारी थे.
अपनी मांगों से भी चर्चा में रहीं
दरअसल, आईएएस नियुक्ति से पहले ट्रेनी को जिला कलेक्टर की देखरेख में ट्रेनिंग लेनी होती है. ऐसा ही पूजा के साथ हुआ, लेकिन आरोप है कि उन्होंने जॉइनिंग से पहले ही कई मांगें करना शुरू कर दिया. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कार्यभार ग्रहण करने से पहले कलेक्टर और डिप्टी कलेक्टर से मिलने वाली सुविधाओं के बारे में जानकारी मांगी. खेडकर अपनी पसंद की जगह ऑफिस मांग रही थीं और अटैच वॉशरूम ना होने की वजह से उन्होंने वहां जॉइन नहीं किया. इसके साथ ही उन्होंने ऑफिस को लेकर भी कई डिमांड की, जिससे उनकी शिकायत हुई.
कई मुद्दों पर हो गया बवाल?
अब पूजा पर आरोप है कि उन्होंने दिव्यांगता और OBC आरक्षण कोटे का दुरुपयोग किया और IAS की नौकरी हासिल की. कहा जा रहा है कि उन्होंने दावा किया था कि वो दिव्यांग हैं और उन्हें आंखों की भी परेशानी है. हालांकि मेडिकल में शामिल ना होने की वजह से विवाद बढ़ा. साथ ही उन पर ओबीसी आरक्षण कोटे का दुरुपयोग का आरोप भी है. इसके साथ ही ज्यादा चर्चा उनकी ऑडी कार को लेकर हुई, जिस पर उन्होंने लाल बत्ती लगाई थी. यहीं से पूरे विवाद की शुरू हुई थी. ऐसे में समझते हैं कि लाल बत्ती लगाने को लेकर क्या नियम हैं और उन पर क्या आरोप हैं?
आरोप है कि पुणे में अपने तैनाती के दौरान पूजा खेडकर एक ऑडी से आती जाती थीं, जिस पर उन्होंने लाल-नीली बत्ती लगाई थी. पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, ‘लाल और नीली’ बत्ती लगाने के मामले में पुणे पुलिस कार्रवाई करेगी. पुलिस अधिकारी के अनुसार, खेडकर द्वारा इस्तेमाल की गयी ऑडी कार एक निजी कंपनी के नाम से पंजीकृत है और अतीत में इस वाहन के खिलाफ चालान काटे गये हैं. ऑडी कार से संबंधित कथित उल्लंघन के सिलसिले में मोटर वाहन अधिनियम के तहत कार्रवाई की जाएगी.
क्या है लाल-नीली बत्ती का नियम?
आपको बता दें कि भारत सरकार ने साल 2017 में वीआईपी कल्चर को हटाते हुए वीआईपी को गाडियों के ऊपर लाल और नीली बत्ती लगाने की अनुमति ने देने का फैसला किया था. सरकार ने फैसला लिया था कि एक मई 2017 के बाद कोई भी अपने वाहन के ऊपर लाल बत्ती नहीं लगा सकेगा और यहां तक पीएम और राष्ट्रपति भी ऐसा नहीं करेंगे. इसके लिए सेन्ट्रल मोटर वेहिकल रूल 1989 में बदलाव किया गया, जिसके जगह लाल बत्ती लगाने की अनुमति थी.
भारत में लाल, पीली और नीली बत्ती लगाने का नियम है. अब सिर्फ ये बत्तियां एंबुलेंस, फायर ब्रिगेड और पुलिस, सेना जैसी इमरजेंसी सेवाओं की गाड़ियों में ही लगाई जा सकती हैं. पहले नियम था कि भारत में सेंट्रल मोटर व्हीकल्स रूल्स 1989 के नियम 108 की धारा (III) के तहत कुछ व्यक्ति ड्यूटी के दौरान इन बत्तियों को लगा सकते हैं. प्राइवेट गाड़ियों पर इनका इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है.
केंद्र सरकार और राज्य सरकारें ये तय करेंगी कि किन गाडियों के ऊपर लाल और नीली बत्ती लग सकती हैं. ऐसे में कई राज्यों ने लाल बत्ती वाले कल्चर को खत्म किया है. अब सिर्फ इमरजेंसी सेवाओं से जुड़े वाहनों पर बत्ती लगी होती है.
कितनी तरह की होती थी बत्तियां?
सिर्फ कलर के अलावा इन बत्तियों में कैटेगरी होती है, जिसमें वाहन में लाल बत्ती फ्लैशर के साथ, वाहन में लाल बत्ती बिना फ्लैशर के साथ, पीली बत्ती, वाहन में नीली बत्ती फ्लैशर के साथ आदि शामिल हैं.