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Radcliffe Line History And Interesting Facts: आज ही के दिन सन 1947 में भारत और पाकिस्तान एक सरहद से बंट गए. दोनो देशों के बीच खिंची सीमा रेखा को हम रेडक्लिफ लाइन के नाम से जानते हैं. इसका नाम सर सिरिल रेडक्लिफ (Cyril Radcliffe) के नाम पर रखा गया है, जिन्होंने भारत में से मुस्लिम बहुल पाकिस्तान को निकालकर अलग करने का काम किया.
12 अगस्त को पूरा हुआ सीमांकन का काम
सर रेडक्लिफ को दोनो देशों के सीमा आयोगों का संयुक्त अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. उन्हें दोनों देशों के बीच 175,000 वर्ग मील क्षेत्र को समान रूप से विभाजित करने की जिम्मेदारी दी गई थी. भारत की स्वतंत्रता से तीन दिन पहले 12 अगस्त 1947 को सीमांकन रेखा को अंतिम रूप दिया गया था, लेकिन इसे विभाजन के दो दिन बाद, यानी 17 अगस्त 1947 को लागू किया गया.
रेडक्लिफ रेखा का पश्चिमी भाग भारत-पाकिस्तान सीमा के रूप में जाना जाता है, जबकि पूर्वी भाग भारत-बांग्लादेश सीमा के रूप में जाना जाता है. सीमारेखा 2900 किलोमीटर लंबी है जिसमें केवल 5 क्रॉसिंग प्वाइंट्स हैं. उन्होंने एक महीने से कुछ अधिक के समय में अपना काम पूरा किया.
केवल एक महीने का मिला था समय
8 जुलाई, 1947 को भारत आने के बाद सिरिल को काम पूरा करने के लिए सिर्फ एक महीने का समय दिया गया था. उन्होंने और उनकी टीम ने जनगणना रिपोर्ट और कुछ नक्शों का उपयोग करके सीमा रेखा पर काम किया और धार्मिक जनसांख्यिकी के आधार पर सीमांकन किया. सीमाएं विभाजित करते हुए उन्होंने रोड सिस्टम और सिंचाई पैटर्न जैसे कारकों को भी ध्यान में रखा.
सर रेडक्लिफ के नेतृत्व वाले आयोग ने मुसलमानों और गैर-मुसलमानों के निकटवर्ती बहुसंख्यक क्षेत्रों का पता लगाया और उसी के आधार पर पंजाब के दो हिस्सों की सीमाओं का सीमांकन किया. हालांकि, प्राकृतिक सीमाएं, संचार माध्यम, जलमार्ग और सिंचाई प्रणाली, साथ ही साथ सामाजिक-राजनीतिक विचारों को भी ध्यान में रखा गया था.
दोनो देशों ने रखी थीं अपनी मांगें
कम समय की अवधि की वजह से उनकी टीम को सर्वेक्षण और क्षेत्रीय जानकारी इकट्ठा करने का पर्याप्ता समय नहीं मिल पाया. सीमा विभाजन को अंतिम रूप दिए जाने से पहले मुस्लिम लीग और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस दोनों ने अपनी मांग उनके सामने रखी थीं. हालांकि, इस सीमा विभाजन में दोनों देश कुछ जीते, कुछ हारे.