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ब्रिटिश ऑफिसर का कत्ल करके क्यों उदास थे राजगुरु? पढ़ें पूरा किस्सा

Shivaram Rajguru 114th Birth Anniversary: आज राजगुरु की 114वीं जयंती है, उनका जन्म 24 अगस्त 1908 को खेड़, वर्तमान में महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था. शिवराम राजगुरु को ब्रिटिश सरकार में असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉन सॉन्डर्स  के कत्ल के लिए भगतसिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को लाहौर की जेल में फांसी दी गई थी.

Shivaram Rajguru 114th anniversary Shivaram Rajguru 114th anniversary
अमन कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 24 अगस्त 2022,
  • अपडेटेड 2:15 PM IST

Shivaram Rajguru 114th Anniversary: भारत ने इस वर्ष आजादी के 75 वर्ष पूरे कर लिए हैं. भारत को स्वतंत्रत बनाने के लिए अनेक वीर सपूतों और वीरांगनाओं का योगदान शामिल है. इनमें एक नाम शिवराम राजगुरु का भी शामिल है, जिन्होंने बहुत कम उम्र में ब्रिटिश सरकार की रातों की नींद उड़ा दी थी और बड़ा खतरा बन गए थे. ब्रिटिश सरकार ने असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉन सॉन्डर्स  के कत्ल के इल्जाम में राजगुरु को महज 22 वर्ष की उम्र में फांसी दे दी थी. लेकिन क्या आप जानते हैं जब पूरे भारत में जॉन सॉन्डर्स की मौत का जश्न मना रहे थे तब उन्हें एक ही गोली से ढेर करने वाले राजगुरु बेहद उदास थे, वे सॉन्डर्स के परिवार और अनाथ हुए बच्चों के बारे में सोच रहे थे.

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आज राजगुरु की 114वीं जयंती है, उनका जन्म 24 अगस्त 1908 को खेड़, वर्तमान में महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में हुआ था. उनके पिता का नाम हरिनारायण राजगुरु और माता का नाम पार्वती देवी था. शिवराम राजगुरु को ब्रिटिश सरकार में असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस जॉन सॉन्डर्स  के कत्ल के लिए भगतसिंह और सुखदेव के साथ 23 मार्च 1931 को लाहौर की जेल में फांसी दे दी गई थी.

जे पी सॉन्डर्स की हत्या के बाद क्यों उदास थे राजगुरु?
17 दिसंबर, 1927 यह वो तारीख थी जब क्रांतिकारियों भगत सिंह और शिवराम राजगुरु ने सहायक पुलिस अधीक्षक जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी. लेखक प्रवीन भल्ला  की बुक शहीद-ए-वतन राजगुरु के अनुसार, राजगुरु ने एक ही गोली में सॉन्डर्स को मार गिराया था. हर कोई उनकी तारीफ कर रहा था, लेकिन उस वक्त उनके चेहरे पर उदासी थी. भगवानदास ने उनके चेहरे पर उदासी देखी तो खुद को इसकी वजह पूछे बिना रोक नहीं पाए. उन्होंने राजगुरु से पूछा, "राजगुरु! इतनी बड़ी उपलब्धि के बाद भी आप इतने परेशान क्यों हैं? आपको खुश होना चाहिए, खुशी से नाचना चाहिए." राजगुरु ने उदास स्वर में कहा, "अगर तुम मेरी जगह होते तो तुम भी परेशान होते. हमारा पीछा करने वाला पुलिसकर्मी बेकार में ही मर गया. उनका परिवार बहुत दुखी है. उसके बच्चे अब अनाथ हो गए हैं." 

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पंडित जी समझाया- आपने हम सभी को बचाया है
तब पंडित जी ने समझाया, "राजगुरु! उस समय वह अपनी ड्यूटी कर रहा था, जबकि हमें अपनी करनी थी, इसलिए उसे मारना कोई गलती नहीं थी. अगर आप ऐसा नहीं करते तो हम सब मर चुके होते. आपने हमें बचाने के लिए उसे मारा और वैसे भी, बहुतों को बचाने के लिए एक को मारना गलत नहीं है." राजगुरु समझ गए और उनका चेहरा हल्का हो गया. जॉन सॉन्डर्स के कत्ल उनके हमवतन सुखदेव थापर और चंद्रशेखर आजाद ने उनका समर्थन किया. हालांकि, उस वक्त भारतीय क्रांतिकारियों का टारगेट सॉन्डर्स नहीं बल्कि पुलिस अधीक्षक जेम्स स्कॉट थे, जो राष्ट्रवादी नेता लाला लाजपत राय की मौत के जिम्मेदार थे, जिन्होंने लाठीचार्ज का आदेश दिया था.

 

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