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12 अक्टूबर: जब 'इंडिया' की खोज में एक नई धरती पर पहुंचे कोलंबस, ऐसे मिला था अमेरिका

आज 12 अक्टूबर है. आज की तारीख से ऐसी कहानी जुड़ी है, जिसने इस दुनिया का भूगोल बदलकर रख दिया. यह कहानी मौजूदा समय के सबसे शक्तिशाली देश की खोज से जुड़ा है. यह किस्सा है, अमेरिका की खोज का. आज के दिन ही कोलंबस ने अमेरिका की धरती पर कदम रखे थे.

अमेरिका की खोज से जुड़ा किस्सा अमेरिका की खोज से जुड़ा किस्सा
सिद्धार्थ भदौरिया
  • नई दिल्ली,
  • 12 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 8:32 AM IST

12 अक्टूबर, आज के दिन ही क्रिस्टोफर कोलंबस ने अमेरिका की धरती पर कदम रखा था. कहा जाता है कोलंबस भारत की खोज में निकले थे और नई जमीन पर पहुंच गए. यह नई दुनिया ही थी अमेरिका. आइए जानते हैं, कोलंबस और उनकी अमेरिका से जुड़ी खोज की कहानी. 

क्रिस्टोफर कोलंबस इटली के महान नाविक और खोजकर्ता थे. उन्होंने कई समुद्री यात्राएं की थी. उन्होंने सबसे ज्यादा अटलांटिक महासागर में खोज अभियान चलाया था. इसी दौरान उन्होंने अमेरिका की खोज की. इसके अलावा यूरोप के भी कई अनदेखे हिस्सों तक पहुंचे. 

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भारत की खोज पर निकले थे कोलंबस
कोलंबस का जन्म 1451 में इटली के जेनोआ में हुआ था. उनके शुरुआती जीवन के बारे में बहुत कम जानकारी है, लेकिन उन्होंने एक नाविक और फिर समुद्री उद्यमी के रूप में काम किया. उनकी हमेशा से चाह थी कि वह कैथे (चीन), भारत और एशिया के सोने और मसाले के द्वीपों तक पहुंचने वाले पश्चिमी समुद्री मार्ग की खोज करने जाएं. ताकि, उन पूर्वी देशों तक पहुंचा जा सके. 

ऑटोमन साम्राज्य का था कब्जा
उस समय, यूरोपीय लोगों को दक्षिणी एशिया के लिए कोई सीधा समुद्री मार्ग नहीं पता था. वहीं मिस्र और लाल सागर के रास्ते का मार्ग ओटोमन साम्राज्य द्वारा यूरोपीय लोगों के लिए बंद कर दिया गया था. दक्षिण एशिया तक पहुंचने वाले सभी भूमि मार्ग ओटोमन साम्राज्य की सीमा से होकर ही गुजरते थे. 

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दक्षिण एशिया तक पहुंचने का समुद्री मार्ग नहीं था पता
कोलंबस के समय के नाविकों को पृथ्वी की स्थित और महादेशों व सागरों के बारे में पूरी जानकारी नहीं थी. इस वजह से पूरी दुनिया का नक्शा नहीं बन पाया था. कोलंबस और अन्य नाविकों की यही गणना थी कि पूर्वी एशिया लगभग उसी स्थान पर स्थित होना चाहिए जहां उत्तरी अमेरिका ग्लोब पर स्थित है. उन्हें अभी तक यह नहीं पता था कि प्रशांत महासागर भी पृथ्वी पर मौजूद है. 

प्रशांत महासागर के बारे में नही जानते थे कोलंबस
कोलंबस ने सोचा कि यूरोप और ईस्ट इंडीज की समृद्धि के बीच केवल अटलांटिक महासागर ही है, इसलिए कोलंबस ने पुर्तगाल के राजा जॉन द्वितीय से मुलाकात की और उन्हें अपने इंडिया तक जाने के वेंचर का समर्थन करने के लिए मनाने की कोशिश की, लेकिन बात नहीं बनी.तब कोलंबस  स्पेन चले गए. वहां राजा फर्डिनेंड और रानी इसाबेला ने भी पहले उनके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया. फिर बाद में जनवरी 1492 में ग्रेनेडा के मूरिश साम्राज्य पर स्पेनिश विजय के बाद, जीत से उत्साहित स्पेनिश सम्राट ने उनकी यात्रा का समर्थन करने के लिए सहमत हो गए.

ऐसे पहुंचे अमेरिका
3 अगस्त 1492 को, कोलंबस ने तीन छोटे जहाजों, सांता मारिया, पिंटा  और नीना के साथ स्पेन के पालोस से यात्रा शुरू की और 12 अक्टूबर 1492 को वो अमेरिका पहुंच गए. कहा जाता है कि अमेरिका आने के बाद वह बहामास के एक द्वीप पर गए थे. वहां के मूल निवासी उसे गुआनाहानी कहते थे. आज इसे ही क्यूबा और हिस्पानियोला के नाम से जाना जाता है. कहा जाता है कि कोलंबस ने जब क्यूबा को देखा, तो उन्हें लगा कि वह चीन की मुख्य भूमि है और बाद में जब उनका अभियान हिस्पानियोला में उतरा, तो इसके बारे में कोलंबस को लगा कि वह जापान हो सकता है. बाद में उन्होंने अपने 39 आदमियों के साथ वहां एक छोटी सी कॉलोनी स्थापित की.

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अपने जीवनकाल के दौरान, कोलंबस ने "नई दुनिया" के लिए कुल चार अभियानों का नेतृत्व किया. समें विभिन्न कैरिबियाई द्वीपों, मैक्सिको की खाड़ी और दक्षिण और मध्य अमेरिकी मुख्य भूमि की खोज की गई, लेकिन वह कभी भी अपने मूल लक्ष्य - एशिया के महान शहरों के लिए पश्चिमी महासागर मार्ग को पूरा नहीं कर पाए.

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आज की प्रमख घटनाएं
12 अक्टूबर, 1967 को राम मनोहर लोहिया का निधन हो गया था. वे देश में समान नागरिक संहिता (यूनिवर्सल सिविल कोड) के पक्षधर थे. 
12 अक्टूबर, 1999 को दुनिया की आबादी ने छह अरब का आंकड़ा छू लिया था. 
12 अक्टूबर, 2000 को यमन के बंदरगाह अदन में अमेरिका के विध्वंसक पोत पर अलकायदा से जुड़े आतंकवादियों ने हमला किया था. 
12 अक्टूबर, 2011 को भारत ने मानसून के मिजाज़ के अध्ययन के लिए एक उपग्रह अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया था. 
12 अक्टूबर को ग्वालियर की राजमाता विजयाराजे सिंधिया की जयंती भी है. 
संयुक्त राज्य अमेरिका में 12 अक्टूबर को कोलंबस दिवस मनाया जाता है. यह दिन क्रिस्टोफ़र कोलंबस के नई दुनिया में उतरने की याद में मनाया जाता है. 
 

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