
ऑफिस, फैक्ट्रियों या किसी अन्य प्रतिष्ठानों में काम करने वाले लोगों को सप्ताह में एक दिन का अवकाश मिलता है और दिन में सिर्फ 8 घंटे ही काम करने होते हैं. धीरे-धीरे अब आठ घंटे के काम के साथ सप्ताह में दो दिनों के अवकाश की व्यवस्था शुरू हो गई है. यानी सप्ताह में 5 कार्य दिवस, और काम के सिर्फ 40 घंटे. आप जानकर हैरान रह जाएंगे कि 40 घंटे काम और दो दिन का आराम वाली व्यवस्था की शुरुआत आज के दिन यानी 25 सितंबर को ही आज से करीब सौ साल पहले हुई थी. आइये जानते हैं इस व्यवस्था की शुरुआत सबसे पहले कहां हुई और किसने यह तय किया?
आठ घंटे का कार्य दिवस और 40 घंटे का सप्ताह मानक कार्य अवधि है जो आज कर्मचारियों को करना चाहिए. काम करने की यह संरचना आज काफी आधुनिक है, लेकिन इसकी शुरुआत एक सदी पहले ही हो चुकी थी और धीरे-धीरे यह लगातार प्रयास के बाद अब व्यापक तौर पर कार्य नीति में बदल गया है. वैसे भी हम बचपन में जब स्कूल जाते हैं, तो वहां 8 घंटे तक रहना पड़ता है. 12 सालों तक स्कूल में 8-8 घंटे पढ़ाई करने के बाद हम ऐसे ढल जाते हैं कि बाद में जब हमें कोई नौकरी करनी होती है तो 8 घंटे काम करने में कोई परेशानी नहीं आती.
पहले 12 से 16 घंटे करना पड़ता था काम
औद्योगिक क्रांति के समय दिन में सिर्फ आठ घंटे के काम के बारे में नहीं सुना गया था. क्योंकि, फैक्ट्रियों को हर समय देखभाल की जरूरत होती थी. इसलिए, कर्मचारी प्रतिदिन लगभग 10 से 16 घंटे काम करते थे. 1890 के दशक में फैक्ट्रियों के मेन्युफैक्चरिंग यूनिटों में काम करने वाले कर्मचारियों को सप्ताह में 100 घंटे तक काम करना पड़ता था. ऐसे में अगर कोई फैक्ट्री प्रबंधन काम करने के लिए दिन में सिर्फ आठ घंटे तय कर दे और सप्ताह में दो दिन का अवकाश भी दे, तो यह बड़ी बात थी. साथ ही आने वाले समय में बड़े बदलाव का संकेत था.
काम करने के घंटों को इस फैक्ट्री मालिक ने किया कम
कहा जाता है कि 1914 की शुरुआत में बढ़ती अशांति और बेरोजगारी के साथ फोर्ड मोटर के संस्थापक हेनरी फोर्ड ने अपने पुरुष कर्मचारियों को हर 8 घंटे के कार्य दिवस के लिए 5 डॉलर का भुगतान करने की घोषणा की. जबकि पहले, नौ घंटे के कार्य दिवस के लिए यह दर 2.34 डॉलर निर्धारित की गई थी. कर्मचारियों के वेतन को दोगुना से ज्यादा करने से दूसरे उद्योगपति हैरान रह गए, लेकिन उत्पादन में तेजी आई और फोर्ड कर्मचारियों में कंपनी के प्रति गर्व की भावना पैदा हुई.
हैनरी फोर्ड का फैसला आज की आधुनिक कार्य नीति के लिए है महत्वपूर्ण
ऐसे ही करते-करते 25 सितंबर, 1926 को फोर्ड मोटर कंपनी के संस्थापक हेनरी फोर्ड ने एक और महत्वपूर्ण फैसला लिया. इसके बाद वह पहली ऐसी महत्वपूर्ण कंपनियों में से एक बन गए, जिन्होंने अपनी कार्य नीति को बदलकर 40 घंटे का सप्ताह कर दिया. इसमें 5 कार्य दिवस थे और वेतन में कोई बदलाव नहीं किया गया.
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इस वजह से दिया गया सप्ताह में दो दिनों का अवकाश
1926 में वर्ल्ड्स वर्क नामक पत्रिका को दिए साक्षात्कार में फोर्ड ने कहा था कि बढ़ते उपभोक्ता बाजार में अवकाश एक जरूरी चीज है, क्योंकि कामकाजी लोगों को ऑटोमोबाइल सहित उपभोक्ता उत्पादों के उपयोग के लिए पर्याप्त खाली समय की आवश्यकता होती है.फोर्ड ने कहा था कि समय आ गया है कि हम इस धारणा से मुक्त हो जाएं कि श्रमिकों के लिए अवकाश या तो 'खोया हुआ समय' है या वर्ग विशेषाधिकार है.
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कहा ये भी जाता है कि हैनरी फोर्ड ने अपने कर्मचारियों की सुविधा या उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए ऐसा नहीं किया. उनकी चिंता ज्यादा पूंजी केंद्रित थी. उन्होंने महसूस किया कि अगर कंपनियों को मुनाफा कमाना है, तो ग्राहकों को खरीदारी करने की जरूरत है और खरीदारी करने के लिए, ग्राहकों को आराम करने और मौज-मस्ती करने का समय चाहिए. इसके लिए उन्हें काम से ज्यादा समय की छुट्टी की जरूरत होती है.
आज की प्रमुख घटनाएं
25 सितंबर को मनाया जाता है विश्व फार्मासिस्ट दिवस
25 सितंबर 1914 को चौधरी देवी लाल भारत के पूर्व उप प्रधानमंत्री का जन्म.
25 सितंबर 1916 दीनदयाल उपाध्याय का जन्म हुआ था.
25 सितंबर 1340 - इंग्लैंड और फ्रांस ने 'निरस्त्रीकरण संधि' पर हस्ताक्षर किये.
25 सितंबर 1524 - वास्कोडिगामा आखिरी बार वायसराय बनकर भारत आए.
25 सितंबर 1639 - अमेरिका में पहली 'प्रिंटिंग प्रेस' की शुरुआत.