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ऐसे हुई पृथ्वी के 'अंतरिक्ष युग' की शुरुआत, जब पहली बार इंसान की बनाई...

आज 4 अक्टूबर है. इतिहास के पन्नों में आज का दिन अंतरिक्ष युग के शुरुआत के लिए जाना जाता है. इसी दिन मानव सभ्यता की विकास यात्रा में एक और अध्याय जुड़ गया था, जब रूस ने धरती से पहला मानव निर्मित उपग्रह (सैटेलाइट) अंतरिक्ष में स्थापित किया था.

पहला मानवनिर्मित उपग्रह स्पुतनिक पहला मानवनिर्मित उपग्रह स्पुतनिक
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 04 अक्टूबर 2024,
  • अपडेटेड 7:34 AM IST

आज का दिन विज्ञान और विकास के लिहाज से काफी महत्वपूर्ण है. आज यानी 4 अक्टूबर को ही दुनिया के पहला मानव निर्मित उपग्रह को अंतरिक्ष में भेजा गया था, जो मानव सभ्यता के विकास में एक अहम क्रांति थी. इस दिन को ही अंतरिक्ष युग की शुरुआत माना जाता है. यह कमाल कर दिखाया था रूस ने, उस समय के सोवियत संघ ने.

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4 अक्टूबर 1957 को ही रूस (सोवियत संघ) ने पहला कृत्रिम  उपग्रह (Satellite) अंतरिक्ष में भेजा था. इसके बाद दुनिया के कई देशों में अंतरिक्ष तक अपनी पहुंच बनाने की होड़ सी मच गई. इस घटना से अंतरिक्ष युग की शुरुआत हुई और अमेरिका और सोवियत संघ के बीच शीत युद्ध की प्रतिस्पर्धा बढ़ गई. इससे पहले किसी ने सोचा तक नहीं था कि धरती से कोई ऐसी चीज अंतरिक्ष में भेजी जा सकती है. 

ऐसे हुई अंतरिक्ष युग की शुरुआत

सोवियत संघ के पहले सैटेलाइट का नाम स्पुतनिक-1 था. इसके प्रक्षेपण के साथ ही "अंतरिक्ष युग" का उद्घाटन हो गया. अंतरिक्ष यान, जिसका नाम रूसी शब्द "साथी यात्री" के नाम पर स्पुतनिक रखा गया था. स्पुतनिक-1 को कजाख गणराज्य के ट्यूरेटम प्रक्षेपण अड्डे से अंतरिक्ष में स्थापित करने के लिए भेजा गया. यह उपग्रह 83.5 किलोग्राम वज़नी था और इसका आकार बीच बॉल जैसा था. यह पृथ्वी की परिक्रमा 98 मिनट में पूरी करता था.

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पहला सैटेलाइट 21 दिनों तक पृथ्वी का चक्कर लगाता रहा

स्पुतनिक-1 पृथ्वी की निचली कक्षा में प्रक्षेपित किया गया था और 21 दिनों तक काम करता रहा. तीन हफ्तों तक रेडियो तरंगों के जरिए वैज्ञानिकों को जानकारी भेजी थी. 26 अक्टूबर, 1957 को इसकी बैटरी खत्म हो गई और इसने सिग्नल भेजना बंद कर दिया. यह सैटेलाइट धातु की गेंद जैसी दिखती थी और इसमें चार एंटीना थे. इसका वज़न करीब 83.6 किलोग्राम था और इसका व्यास 58 सेंटीमीटर था. यह उपग्रह 29,000 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से पृथ्वी की परिक्रमा करता था. यह हर घंटे और 36 मिनट में एक बार पृथ्वी की परिक्रमा करता था.

दूरबीन से भी आराम से दिखाई देता था स्पुतनिक-1

सूर्योदय से पहले या सूर्यास्त के बाद दूरबीन से दिखाई देने वाला, स्पुतनिक पृथ्वी पर वापस रेडियो सिग्नल भेजता था. संयुक्त राज्य अमेरिका में ऐसे उपकरणों तक पहुंच रखने वाले लोगों ने इसे देखा और विस्मय में सुना क्योंकि बीप करने वाला सोवियत अंतरिक्ष यान दिन में कई बार अमेरिका के ऊपर से गुजरता था. जनवरी 1958 में, स्पुतनिक की कक्षा, जैसा कि अपेक्षित था, खराब हो गई और अंतरिक्ष यान वायुमंडल में प्रवेश करते ही जल गया.

एक साल बाद अमेरिका ने भी अंतरिक्ष में रखा कदम

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कई अमेरिकियों को सोवियत संघ की नई रॉकेट और उपग्रह प्रौद्योगिकी के अधिक भयावह उपयोगों की आशंका थी, जो जाहिर तौर पर अमेरिकी अंतरिक्ष प्रयास से एक कदम आगे थी. स्पुतनिक पहले नियोजित अमेरिकी उपग्रह के आकार का लगभग 10 गुना था, जिसे अगले साल तक लॉन्च करने की योजना नहीं थी. सोवियत की तकनीकी उपलब्धि से अमेरिकी सरकार, सेना और वैज्ञानिक समुदाय अचंभित थे. इसके बाद  पहला अमेरिकी उपग्रह, एक्सप्लोरर , 31 जनवरी, 1958 को लॉन्च किया गया था. तब तक, सोवियत संघ ने पहले ही एक और वैचारिक जीत हासिल कर ली थी, जब उन्होंने स्पुतनिक 2 पर एक कुत्ते को कक्षा में लॉन्च किया.

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आर्यभट्ट: भारत का पहला कृत्रिम सैटेलाइट

पहले सैटेलाइट के अंतरिक्ष में भेजे जाने के 18 साल भारत भी अंतरिक्ष अभियानों की दौड़ में शामिल हो गया. इसके साथ ही भारत का पहला स्वदेशी उपग्रह आर्यभट्ट का प्रक्षेपण किया गया. देश का पहला सैटेलाइट 19 अप्रैल, 1975 को लॉन्च किया गया था. इसका निर्माण भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने किया था. इसका नाम 5वीं शताब्दी के भारतीय गणितज्ञ और खगोलशास्त्री आर्यभट्ट के नाम पर रखा गया था. 

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प्रमुख घटनाएं 

4 अक्टूबर, 1535 को अंग्रेज़ी भाषा में पहली संपूर्ण बाइबल छपी थी. इसे माइल्स कोवरडेल ने तैयार किया था. 
4 अक्टूबर को विश्व पशु कल्याण दिवस मनाया जाता है. इस दिन दुनिया भर में पशुओं के अधिकारों और कल्याण के लिए जागरूकता बढ़ाने की कोशिश की जाती है.

4 अक्टूबर को ही हिन्दी साहित्य के प्रमुख आलोचक आचार्य रामचंद्र शुक्ल का जन्म भी हुआ था. 

4 अक्टूबर के दिन  ही  फॉर्मूला वन के बादशाह माइकल शूमाकर ने लिया था संन्यास.

1996 में 4 अक्टूबर को ही पाकिस्तान के बल्लेबाज शाहिद अफरीदी ने वनडे में 37 गेंदों में शतक बनाकर विश्व कीर्तिमान बनाया था.

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