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UNICEF Day 2022: जानिए क्यों मनाया जाता है यूनिसेफ डे, भारत में क्या हैं बच्चों के अधिकार?

UNICEF Day 2022: यूनिसेफ डे, बच्चों के विकास के बारे में जागरूकता बढ़ाने के मकसद से मनाया जाता है. इसका उद्देश्य भुखमरी, बच्चों के अधिकारों का हनन और नस्ल, क्षेत्र या धर्म के खिलाफ भेदभाव को खत्म करना है. यूनिसेफ बच्चों और किशोरों को हिंसा और शोषण से बचाने का भी काम करता है. आइए जानते हैं भारत में बच्चों को कौन से अधिकार मिलते हैं?

यूनिसेफ डे हर साल 11 दिसंबर को मनाया जाता है. यूनिसेफ डे हर साल 11 दिसंबर को मनाया जाता है.
अमन कुमार
  • नई दिल्ली,
  • 11 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 6:58 AM IST

UNICEF Day 2022 & Child Rights in India: हर साल 11 दिसंबर को यूनिसेफ डे (UNICEF Day) मनाया जाता है. यूनिसेफ यानी संयुक्त राष्ट्र अंतरराष्ट्रीय बाल आपातकालीन फंड, हर जगह हर बच्चे के अधिकारों की रक्षा करता है, ताकि बच्चों की रक्षा करके और उनकी इच्छाओं को पूरा करने में मदद करके उनके जीवन को बचाने के बारे में जागरूकता बढ़ाई जा सके. यह दुनिया के 190 से अधिक देशों और क्षेत्रों में हर बच्चे के अधिकारों की रक्षा के लिए काम करता है.

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'कोरोना काल' के दौरान यूनिसेफ, वैक्सीन देने के मामले में दुनिया के सबसे बड़े प्रोवाइडर्स में से एक था. यह बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, सुरक्षित पानी और स्वच्छता, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और कौशल निर्माण, एचआईवी की रोकथाम और माताओं और बच्चों के उपचार को लेकर जरूरी कदम उठाता है. साथ ही, यूनिसेफ बच्चों और किशोरों को हिंसा और शोषण से बचाने का भी काम करता है.

यूनिसेफ का इतिहास
यूनिसेफ का मतलब यूनाइटेड नेशंस इंटरनेशनल चिल्ड्रन इमरजेंसी फंड है. यूनिसेफ की स्थापना संयुक्त राष्ट्र द्वारा 11 दिसंबर, 1946 को युद्ध के बाद यूरोप और चीन में बच्चों की आपातकालीन जरूरतों को पूरा करने के लिए की गई थी. हर जगह विकासशील देशों में बच्चों और महिलाओं की जरूरतों से निपटने के लिए यूनिसेफ के जनादेश को 1950 में बनाया गया था. 1953 में, यह संयुक्त राष्ट्र प्रणाली का हिस्सा बन गया.

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यूनिसेफ दिवस 2022 का महत्व
यह दिन बच्चों के विकास के बारे में जागरूकता बढ़ाने के मकसद से मनाया जाता है. इसका उद्देश्य भुखमरी, बच्चों के अधिकारों का हनन और नस्ल, क्षेत्र या धर्म के खिलाफ भेदभाव को खत्म करना है.

भारत में बच्चों को क्या-क्या अधिकार हैं?
अंतरराष्ट्रीय कानून के अनुसार, 18 साल से कम उम्र के शख्स को बच्चा माना जाता है. इसे दुनिया भर में मंजूरी मिल चुकी है. आइए जानते हैं भारत में बच्चों के लिए पांच सबसे महत्वपूर्ण अधिकार कौन से हैं-

1. मुफ्त शिक्षा का अधिकार: 68वें संविधान संशोधन अधिनियम 2002 के द्वारा भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21-ए को मौलिक अधिकार में शामिल किया गया है. इसके तहत 6 से 14 वर्ष के बच्चों को मुफ्त शिक्षा का अधिकार है.

2. बाल यौन उत्पीड़न अधिनियम 2012 या POCSO Act: इसका मुख्य उद्देश्य 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को विभिन्न यौन संबंधी अपराधों से बचना है, तुरंत फैसले के लिए विशेष अदालत का गठन करना है, ताकि यौन अपराधियों को सख्त सजा मिल सके.

3. बाल श्रम: भारत में 14 वर्ष से कम उम्र के बच्चों से काम देना गैर-कानूनी माना गया है. हालांकि, 'बाल श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986' पर बहुत वाद-विवाद है और अपवाद भी हैं जैसे परिवारिक व्यवायों में बच्चे स्कूल से वापस आकर या छुट्टियों में काम कर सकते हैं. इसी तरह फिल्मों-टीवी सीरियल्स और खेल से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेने की अनुमति है.

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4. बाल विवाह: यूनिसेफ द्वारा शादी के लिए लड़कियों की उम्र 18 वर्ष और लड़कों की उम्र 21 वर्ष होनी चाहिए. भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम-2006 को 01 नवंबर 2007 में लागू किया गया था.

5. बाल तस्करी: बाल संरक्षण अधिनियम 2012 को 14 नवंबर 2012 को लागू किया गया था. यह बच्चों को यौन अपराधों, यौन शोषण और किसी भी व्यक्ति को किसी भी देश के अंदर या बाहर शोषण के मकसद से लाना-ले जाना, आश्रय देना बाल तस्करी के अपराध के अंतर्गत माना जाता है.

 

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