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क्या है वो सिस्टम, जिसमें एक गलती से एक ही पटरी पर आकर टकरा जाती हैं दो ट्रेन! ऐसे करता है काम

West Bengal Train Accident: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन को टक्कर मार दी, जिससे कई बोगियां रेलवे ट्रैक से नीचे उतर गए.

Train accident in West Bengal Train accident in West Bengal
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 17 जून 2024,
  • अपडेटेड 11:36 AM IST

पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में एक मालगाड़ी और सियालदाह जाने वाली कंचनजंगा एक्सप्रेस में भिड़ंत हो गई. बताया जा रहा है कि कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से मालगाड़ी ने टक्कर मारी, जिसके बाद ट्रेन की बोगियां कई फीट हवा में उछल गईं. लेटेस्ट जानकारी के मुताबिक, अब तक पांच लोगों के मारे जाने की खबर है. पिछले साल ओडिशा में हुए रेल हादसे की तरह ही इस बार भी एक ट्रैक पर दो गाड़ियों के आने से ये हादसा हुआ है. 

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इसके बाद कई सवाल उठ रहे हैं कि आखिर किस गलती की वजह से ऐसा होता है और किन कारणों से दो ट्रेन एक ट्रैक पर आ जाती हैं. ऐसे में आपको बताते हैं कि आखिर रेलवे का ये सिस्टम कैसे काम करता है और किस तरह एक ट्रैक पर दो ट्रेनों को आने से रोका जाता है, जिसमें गलती की वजह से इस तरह के हादसों का सामना करना पड़ता है...

क्यों होते हैं हादसे?

अक्सर एक ट्रैक पर दो ट्रेन भिड़ने से होने वाले हादसों की वजह सिग्नल फॉल्ट या इंलेक्टॉनिक इंटरलॉकिंग चेंज में कोई गलती होना होती है. रेलवे में हर ट्रेन और उसके रुट के हिसाब इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम सेट होता है, जिसकी वजह से हर ट्रेन अलग ट्रैक पर होती है और दुर्घटना की कोई संभावना नहीं होती है. 

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कैसे काम करता है सिस्टम?

बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, रेलवे ट्रेक में इलेक्ट्रिकल सर्किट इंस्टॉल लगाए जाते हैं और जैसे ही ट्रेन ट्रैक सेक्शन पर आती है तो इस सर्किट के जरिए ट्रेन के आने का पता चलता है. ट्रेन के आने का पता चलने के साथ ही ट्रैक सर्किट इसकी जानकारी आगे फॉरवर्ड करता है और इसके आधार पर EIC कंट्रोल सिग्नल आदि को कंट्रोल करता है. 

इसके साथ ही इस जानकारी के आधार पर ये सूचना दी जाती है कि अब ट्रेन को किस तरफ जाना है. आपने देखा होगा कि कई जगह सीधी पटरी होती है, लेकिन कुछ जगह पटरियों का जाल होता है, जिसके जरिए किसी भी ट्रेन का ट्रैक चेंज किया जाता है और यह ट्रेन की किसी दूसरी तरफ मोड़ना है. 

बता दें कि अब कंट्रोल रुम के जरिए ही ट्रेन के रुट को तय कर दिया जाता है. लेकिन, कई बार टेक्निकल कारणों से या फिर मानवीय गलती की वजह से ट्रैक चेंज नहीं हो पाता है और ट्रेन तय रुट से अलग ट्रैक पर चली जाती है. इसका नतीजा ये होता है कि वो ट्रेन उस ट्रैक पर आ रही ट्रेन से टकरा जाती है. 
 
कैसे चेंज होती हैं पटरियां?

बता दें कि दो पटरियों के बीच एक स्विच होता है, जिसकी मदद से दोनों पटरियां एक दूसरे जु़ड़ी हुई होती हैं. ऐसे में जब ट्रेन के ट्रैक को बदलना होता है तो कंट्रोल रूम में बैठे कर्मचारी कमांड मिलने के बाद पटरियों पर लगें दोनों स्विच ट्रेन की मूवमेंट को राइट औ लेफ्ट की तरफ मोड़ते हैं और पटरियां चेंज हो जाती हैं. 
 

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