
1947 वह साल था जब भारत को ब्रिटिश राज से आजादी मिली तो दूसरी तरफ पाकिस्तान के रूप एक भारत का प्रतिद्वंदी मुल्क मिल गया. धर्म के आधार पर भारत के दो हिस्से हो गए और पाकिस्तान ने जन्म लिया. भारत ने आजादी के 75 वर्ष पूरे कर दिए हैं लेकिन आज वही सवाल पूछा जाता है जो विभाजन के दिन पूछा गया था- आखिर इस विभाजन की जरूरत क्यों पड़ी? भारत-पाकिस्तान के बीच अक्सर तनातनी का माहौल रहा है, जो 1971 के बाद और बढ़ गई. 1971 भारत-पाकिस्तान युद्ध के दो साल बाद आज ही की तारीख यानी 28 अगस्त को दिल्ली समझौता, प्रिजनर ऑफ वॉर (POW) के तहत साइन हुआ था. आइए जानते हैं क्या है दिल्ली समझौता.
अग्रेंजों ने 1947 में भारत छोड़ा लेकिन अपनी शासन नीति 'फूट डालो राज करो' की नीति की चोट दे गए. पहले पाकिस्तान और 1971 में बांग्लादेश के रूप में भारत से अलग हो गए. भारत-पाकिस्तान बंटवारे के बाद पाकिस्तान पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों में बंट गया था लेकिन बांग्लादेश लिबरेशन वॉर के रूप में भारत-पाकिस्तान के बीच 1971 का युद्ध हुआ था. पूर्वी पाकिस्तान (आज बांग्लादेश) के हिस्से में पाकिस्तानी सेना की बर्बरता के चलते 03 दिसंबर 1971 को भारतीय सेना ने पाकिस्तान की सेना पर हमला कर दिया था. इसके बाद समझौतों का दौर शुरू हुआ. इन्हीं में से एक दिल्ली समझौता था.
क्या है दिल्ली समझौता?
28 अगस्त 1973 को भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश के बीच दिल्ली समझौता हुआ था. इसे दिल्ली समझौता इसलिए कहा जाता है कि क्योंकि यह समझौता दिल्ली में हुआ था और उस समय तीनों देशों के विदेश मंत्रियों ने दिल्ली में ही इस समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इसे Trilateral Agreement भी कहा जाता है.
दिल्ली समझौते का आशय यही था कि जो सैनिक युद्ध के समय दूसरे देश ने बंदी बना लिए थे, उन्हें रिहा करना होगा और अपने देश भेजना होगा. यह समझौता प्रिजनर ऑफ वॉर (POW) ट्रीटी के तहत किया गया था. एक रिपोर्ट के मुताबिक, उस समय इस समझौते की खूब आलोचना भी हुई थी. इस समझौते की वजह से बंग्लादेश (वर्तमान में) के जिन क्षेत्रों में भारतीय सेना का कब्जा था और पाकिस्तानी सैनिक बंदी थी, उन्हें बिना किसी मुकदमे के पाकिस्तान भेजना पड़ा था. एक रिपोर्ट के मुताबिक, उस वक्त बांग्लादेश (उस समय पाकिस्तान) का लगभग 5 हजार वर्ग मील क्षेत्र भारत के कब्जे में था और भारत ने करीब साढ़े 6000 पाकिस्तानियों को पीओडब्ल्यू के तहत रिहा करके पाकिस्तान भेज दिया था.