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क्या है मानसून- प्री मानसून में अंतर? ऐसे होती है मानसून की बारिश की पहचान

देश में मॉनसून की आहट हो चुकी है. बारिश का मौसम करीब है. इससे मौसम की तपिश कम होगी. लेकिन सवाल यह है कि आख‍िर यह मॉनसून तय कैसे होता है. क्या होता है प्री-मॉनसून, दोनों में क्या अंतर है.

प्रतीकात्मक फोटो प्रतीकात्मक फोटो
कुमार कुणाल
  • नई दिल्ली ,
  • 06 जून 2023,
  • अपडेटेड 7:27 PM IST

ये कुदरत जितनी खूबसूरत है, उतनी ही जादुई. इस जादू का ही हिस्सा अलग-अलग मौसम हैं. कभी तेज धूप, कभी कड़ाकेदार ठंड तो कभी बारिश की बूंदें... लेकिन कभी आपने सोचा है कि कुदरत का भी एक तरीका है. इसे आप पैटर्न भी कह सकते हैं. इसी पैटर्न में मौसम अपने रंग बदलते हैं. गर्मी- सर्दी, बारिश की ऋतुओं के साथ ही बसंत और पतझड़ का मौसम हरेक को नयेपन का अहसास कराता रहता है. 

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कुदरत का रवैया एकदम बोरिंग नहीं है. इन दिनों गर्मी से उकताए लोग मानसूनका इंतजार कर रहे हैं. मानसूनएक तरह से बारिश के मौसम के आगाज को कह सकते हैं. बारिश के मौसम से लोगों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद होती है. इस मानसून से पहले देश में प्री मानसून आता है. आपमें से ज्यादातर लोगों ने इसका नाम सुना होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि प्री मानसून और मानसून में अंतर क्या है?

क्या होता है मानसून- प्री मानसून में अंतर 
मिनिस्ट्री ऑफ अर्थ साइंसेज में मानसूनघोषणा करने वाले मेट साइंटिस्ट पूर्व सचिव एम राजीवन नैय्यर का कहना है कि मानसून को प्री-मानसून में अंतर बताने वाले दो पैरामीटर हैं. यदि नीचे की दो स्थितियां एक साथ होती हैं, तो मानसून घोषित किया जाता है. 
1) पछुआ हवा 4-5 किमी प्रति घंटे से अधिक की सीमा में होनी चाहिए
2) ज्यादातर इलाकों में व्यापक तौर पर बारिश रिपोर्ट की जाए. 

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आईएमडी ( India Meteorological Department) के आरके जेनामणि  बिंदु संख्या 2 की व्याख्या करते हुए कहते हैं कि व्यापक बारिश मतलब लगभग 15 निगरानी स्टेशनों में से कम से कम 60% को कवर किया जाना चाहिए. ये बारिश कम से कम 2 दिनों तक जारी रहनी चाहिए. वहीं प्री-मानसून सीमित अवधि के लिए ही बारिश और आंधी है. 

कब है मानसून का समय 
भारत में मानसून आने का समय एक जून से है. ये वो वक्त है जब मानसून देश में दस्तक देता है. ये मानसून सबसे पहले केरल में बौछारें देते हुए धीरे-धीरे ये पूरे देश में फैलता है. मानसून से पहले प्री मानसून का सामना करना पड़ता है. भारत में मई और जून में भीषण गर्मी पड़ती है. नॉर्थ के मुकाबले साउथ का तापमान कम होता है. ऐसे में प्रेशर की वजह से बारिश के बादल नॉर्थ की तरफ सरकते जाते हैं, मानसून के देश में सक्रि‍य होने से पहले जो बारिश होती है वो प्री मानसून कहलाती है. इस समय गर्मी और आद्रता अपनी चरम पर होता है. लेकिन कभी कभी चलने वाली तेज हवा और बारिश की छीटों से राहत पहुंचती है. साथ ही तापमान में भी गिरावट होती है. मानसून और प्री मानसून में कई तरह के अंतर भी देखने को मिलते हैं.

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मानसून और प्री मानसून के बादल होते हैं अलग 
प्री मानसून के बाद ऊपर की तरफ जाते हैं. ये अधिक तापमान की वजह से बनते हैं. जबकि मानसूनी बादल एक से दूसरे स्थान तक दूरी तय कर जाते हैं. इस वजह से इन बादलों में नमी ज्यादा होती है और बारिश काफी ज्यादा होती है. प्री मानसून तेज आंधी के साथ बारिश और धुंध की तरह छाता है. लेकिन ये बारिश काफी ज्यादा मात्रा में होती है. भले ही ये  बारिश तुरंत शुरू होकर खत्म हो जाती है. वहीं मानसूनी बारिश लंबे समय तक होती रहती है. इसके अलावा दोनों में हवाओं का भी फर्क होता है. जहां प्री मानसून में हवाएं काफी तेज चलती है वहीं मानसून में सिर्फ तेज बारिश होती है. हवा की स्पीड इसमें कम होती है.

 

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