
मिजोरम और असम के बीच लंबे समय से चले आ रहे अंतरराज्यीय सीमा विवाद को सुलझाने के लिए आज, 17 नवंबर को तीसरे दौर की वार्ता की जाएगी. यह वार्ता पहले 04 नवंबर को होने वाली थी, लेकिन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मिजोरम यात्रा के कारण इसे स्थगित कर दिया गया था. मिजोरम के अतिरिक्त गृह सचिव लल्हरियतपुइया ने जानकारी दी है कि सीमा वार्ता 17 नवंबर को गुवाहाटी में आयोजित की जा रही है. मिजोरम के एक पांच सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने कल, 16 नवंबर को पड़ोसी राज्य का दौरा किया और अब बैठक में सीमा विवाद को शांति से सुलझाने का प्रयास होगा.
कई बार हो चुकी हैं झड़पें
दोनों राज्यों के सीमावर्ती निवासियों के बीच कई मौकों पर हिंसक झड़प हुई हैं. मार्च 2018 में मिज़ोरम के शीर्ष छात्र निकाय 'मिज़ो ज़िरलाई पावल' (MZP) ने असम के कोलासिब जिले के ज़ोफाई क्षेत्र में एक लकड़ी के शेड का निर्माण करने का प्रयास किया था. इसके विरोध में मिजोरम के छात्रों और असम पुलिस के बीच झड़प हुई, जिसमें 60 से अधिक लोग घायल हो गए.
विवाद पिछले वर्ष जुलाई 2021 में फिर उठा, जब दोनों राज्यों की पुलिस बलों ने अंतरराज्यीय सीमा पर एक दूसरे पर गोलीबारी कर दी थी. इसमें असम के छह कर्मियों और एक नागरिक की मौत हो गई थी. इसके बाद अगस्त 2021 से दोनों राज्यों ने दो दौर की वार्ता और पांच मौकों पर वर्चुअल बैठकें की हैं. दोनों राज्य सीमा पर शांति बनाए रखने और विवादों को बातचीत के जरिए सुलझाने पर सहमत हुए हैं.
क्या है दोनों राज्यों के बीच विवाद?
असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद मिजोरम के गठन के बाद से ही शुरू हो गया था. वर्ष 1972 में मिजोरम एक केंद्र शासित प्रदेश के रूप में, और फिर 1987 में एक पूर्ण राज्य के रूप में असम की सीमा से अलग किया गया. वर्तमान असम और मिजोरम के बीच सीमा विवाद औपनिवेशिक काल से ही है. अलग प्रदेश बनने से पहले, मिजोरम को असम के एक जिले लुशाई हिल्स के रूप में जाना जाता था.
ब्रिटिश काल में असम राज्य की सीमाओं को अंग्रेज शासन की प्रशासनिक आवश्यकताओं के अनुसार सीमांकित किया गया था. इसके लिए 2 अधिसूचनाएं पारित की गईं जो विवाद की असल जड़ हैं. सबसे पहले, 1875 की अधिसूचना, जिसने लुशाई हिल्स को कछार के मैदानों से अलग कर दिया. दूसरा, 1933 की अधिसूचना, जिसमें लुशाई हिल्स और मणिपुर के बीच एक सीमा खींच दी गई.
अलग-अलग अधिसूचनाओं को मानते हैं दोनों राज्य
मिजोरम का मानना है कि सीमा का निर्धारण 1875 की अधिसूचना के आधार पर किया जाना चाहिए, जो बंगाल ईस्टर्न फ्रंटियर रेगुलेशन (बीईएफआर) अधिनियम, 1873 से प्राप्त हुई है. मिजो नेता 1933 में अधिसूचित सीमांकन के खिलाफ हैं. उनके अनुसार सीमांकन के दौरान मिजो समाज से परामर्श नहीं किया गया था. दूसरी ओर, असम सरकार 1933 के सीमांकन को मानती है. परिणामस्वरूप, दोनों राज्यों की सीमा के बारे में अलग-अलग धारणा बनी हुई है और यही संघर्ष का कारण है.
असम और मिजोरम को अलग करने वाली 164.6 किलोमीटर लंबी अंतर्राज्यीय सीमा है. असम के तीन जिले कछार, हैलाकांडी और करीमगंज मिजोरम के कोलासिब, ममित और आइज़ोल जिलों के साथ सीमा साझा करते हैं. इसके अलावा, मिजोरम और असम के बीच की सीमा पहाड़ियों, घाटियों, नदियों और जंगलों की बनावटों से बंटी है. सीमा विवाद कई वर्षों से हिंसक रूप लेता जा रहा है, जिसका हल वार्ता से निकालने के प्रयास जारी हैं.