
देश में जब भी मौसम तेजी से करवट लेता है तब कुछ खास तरह के शब्द आपको अखबार में जरूर पढ़ने या टीवी पर सुनने को मिलते होंगे. गर्मियों में 'लू' तो सर्दियों में 'शीतलहर' का कहर शुरू हो जाता है. यूं तो हम इन शब्दों का मतलब अपने हिसाब से निकाल लेते हैं, लेकिन सारे शब्द ऐसे नहीं होते. इसी तरह का एक शब्द होता है, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस यानी पश्चिमी विक्षोभ. मौसमी फेरबदल में आपने इस लफ्ज को जरूर सुना होगा. खासकर इन दिनों इसका खास इस्तेमाल देखा जा रहा है, लेकिन वेस्टर्न डिस्टर्बेंस है क्या? आइये जानते हैं.
पहले मौसम की बात कर लेते हैं, उत्तर भारत से पिछले दिनों एक पश्चिमी विक्षोभ की वापसी हुई है और ताजा पश्चिमी विक्षोभ यानी वेस्टर्न डिस्टर्बेंस 18 जनवरी की रात से एक्टिव हो रहा है और दूसरा 20 जनवरी को आएगा. इसके असर से ठंड से कुछ राहत मिलने के आसार हैं. साथ ही पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी और मैदानी इलाकों में बारिश की संभावना है. आइये जानते हैं, आखिर क्या है पश्चिमी विक्षोभ यानी वेस्टर्न डिस्टर्बेंस.
तापमान में होती है वृद्धि
सर्दियों के मौसम में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस ठंडी हवाएं लेकर आता है जो कि मेडिटरेनियन सी यानी मध्य सागर से आती है क्योंकि वहां पर कम दबाव का क्षेत्र बनता है. वहां से वह पश्चिम से पूरब की तरफ बढ़ती हैं और हिमालय की ऊंचाई की वजह से यह हवाएं रुककर बर्फबारी या फिर बारिश करवाती हैं. इसी वजह से हवाओं का एक एंटीसाइक्लोनिक सर्कुलेशन बनता है. ऐसे में जब तक यह विक्षोभ एक्टिव रहता है तब तक हवा की दिशा पश्चिम से पूरब की बजाय पूरब से पश्चिम की तरफ हो जाती है. इससे मैदानी इलाकों में तापमान बढ़ जाता है.
वहीं, जैसे ही यह डिस्टर्बेंस दूर होता है दोबारा हवाओं का रुख पश्चिम से पूरब की तरफ हो जाता है जो बर्फीली सर्द हवाओं को पहाड़ों से मैदानों की तरफ लाता है और इसलिए वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के जाने के बाद दोबारा मैदानी इलाकों में ठंड अचानक से बढ़ जाती है.
अचानक होती है बारिश-बर्फबारी
अन्य शब्दों में, वेस्टर्न डिस्टर्बेंस भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तरी इलाक़ों में सर्दियों के मौसम में आने वाले ऐसे तूफ़ान को कहते हैं, जो वायुमंडल की ऊंची तहों में भूमध्य सागर, अन्ध महासागर और कुछ हद तक कैस्पियन सागर से नमी लाकर उसे अचानक वर्षा और बर्फ़ के रूप में उत्तर भारत, पाकिस्तान व नेपाल पर गिरा देता है.
अन्य शब्दों का मतलब
कोल्ड डे: मौसम विभाग के अनुसार, एक ठंडा दिन तब माना जाता है जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम रहे और अधिकतम तापमान सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री सेल्सियस कम दर्ज किया जाए.
हल्का और घना कोहरा: बहुत घना कोहरा तब कहा जाता है, जब दृश्यता शून्य से 50 मीटर के बीच होती है. 51 से 200 मीटर के बीच दृश्यता को घना कोहरा, 201 से 500 को मध्यम और 501 से 1,000 मीटर के बीच दृश्यता को हल्का कोहरा कहा जाता है.
शीतलहर: मैदानी इलाकों में जब न्यूनतम तापमान 4 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है तो IMD शीतलहर की घोषणा करता है. शीतलहर की घोषणा तब भी की जाती है जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस या उससे कम हो और सामान्य से 4.5 डिग्री कम हो. वहीं , "गंभीर" शीतलहर तब होती है जब न्यूनतम तापमान दो डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है या फिर तापमान सामान्य से 6.4 डिग्री सेल्सियस कम हो.
प्रदूषण का पैमाना: प्रदूषण वायु गुणवत्ता सूचकांक यानी एक्यूआई द्वारा मापा जाता है. शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को 'अच्छा', 51 से 100 के बीच को 'संतोषजनक', 101 से 200 को 'मध्यम', 201 से 300 को 'खराब', 301 से 400 को 'बहुत खराब' और 401 से 500 के बीच एक्यूआई को 'गंभीर' माना जाता है.