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Army Dogs Salary, Recruitment and Training: जम्मू-कश्मीर में 30 जुलाई को राष्ट्रीय राइफल्स बटालियन के साथ तलाशी अभियान में हिस्सा लेने के दौरान सेना के दो वर्षीय कुत्ते 'एक्सल' को ड्यूटी के दौरान मार दिया गया. एक्सल को आर्मी डॉग यूनिट में दफनाने से पहले सेना द्वारा एक औपचारिक गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया गया है. जानकारी के अनुसार, सेना के पास फिलहाल 25 फुल डॉग यूनिट और दो हाफ यूनिट हैं. एक फुल डॉग यूनिट में 24 कुत्ते होते हैं जबकि आधे यूनिट में 12 कुत्ते होते हैं. आइये जानते हैं आर्मी डॉग्स की भर्ती और ट्रेनिंग कैसे होती है, और डॉग्स ऑफिसर की सैलरी को लेकर क्या नियम हैं
किस ब्रीड के डॉग्स होते हैं आर्मी में शामिल?
भारतीय सेना की कुत्तों की कई नस्लें हैं. इनमें लैब्राडोर, जर्मन शेफर्ड, बेल्जियम मालिंस और ग्रेट माउंटेन स्विस डॉग शामिल हैं. एक्सल बेल्जियम मालिंस नस्ल का कुत्ता था.
कौन सी ड्यूटीज़ करते हैं डॉग्स?
सेना के कुत्तों द्वारा कई तरह की ड्यूटीज़ की जाती हैं. इसमें गार्ड ड्यूटी, पेट्रोलिंग, इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइसेस (IED) सहित विस्फोटकों को सूंघना, खाने का पता लगाना, ड्रग्स सहित प्रतिबंधित वस्तुओं को सूंघना, संभावित लक्ष्यों पर हमला करना, हिमस्खलन के मलबे का पता लगाना, छिपे हुए भगोड़ों और आतंकवादियों का पता लगाने के लिए तलाशी अभियान करना शामिल है.
कौन होता है डॉग हैंडलर?
सेना के प्रत्येक कुत्ते की देखरेख की पूरी जिम्मेदारी एक डॉग हैंडलर की होती है. उसे कुत्ते के खाने-पीने से लेकर साफ-सफाई का ध्यान रखना होता है और ड्यूटी के समय सभी कार्य कराने के लिए हैंडलर ही उत्तरदायी होता है.
कहां होती है ट्रेनिंग?
सेना के कुत्तों को मेरठ स्थित रिमाउंट एंड वेटरनरी कोर सेंटर और स्कूल में प्रशिक्षित किया जाता है. 1960 में किसी समय इस स्थान पर एक डॉग ट्रेनिंग स्कूल खोला गया था. कुत्तों की नस्ल और योग्यता के आधार पर उन्हें शामिल किए जाने से पहले विभिन्न कौशलों में प्रशिक्षित किया जाता है.
सेना के कुत्ते कब तक सेवा देते हैं?
सेना के कुत्ते सेवानिवृत्त होने से पहले लगभग आठ साल सेवा में रहते हैं. आर्मी डॉग्स को उनकी सेवाओं के लिए सम्मानित भी किया जाता है.