
जब आप कहीं बाहर हों और पानी की बोतल ले जाना भूल जाएं तो दुकानों पर प्लास्टिक की बोतलों में बिक रहा पानी खरीदते हैं. क्या आपने कभी इस बात पर गौर किया है कि पानी की इन बोतलों पर एक्सपायरी डेट दी होती है? क्या पानी भी एक्सपायर होता है? अगर नहीं, तो आखिर बोतलों पर एक्सपायरी डेट क्यों लिखी होती है?
क्या पानी होता है एक्सपायर?
ये सच है कि पानी की बोतलों पर एक्सपायरी डेट लिखी होती है, लेकिन ये डेट पानी के लिए नहीं बल्कि बोतलों के लिए होती है. लाइव साइंस की रिपोर्ट के मुताबिक, पानी को स्टोर करने के लिए जिन प्लास्टिक बोतलों का इस्तेमाल किया जाता है, एक तय समय के बाद वो प्लास्टिक पानी में घुलना शुरू हो जाती है. इसलिए पानी को बहुत लंबे वक्त तक प्लास्टिक की बोतलों में रखने से उसमें महक आने लगती है. साथ ही, उसके स्वाद पर भी असर पड़ता है. इसलिए एहतियात के तौर पर बोतलों पर मैन्यूफैक्चरिंग डेट से 2 साल तक की एक्सपायरी डेट लिखी जाती है.
दुकानों पर बिक रहीं बोतलें अक्सर सीधे सूरज की रोशनी में रखी जाती हैं. ऐसे में प्लास्टिक की बोतल से कैमिकल निकल कर पानी में मिक्स हो सकते हैं. इस कारण से पानी के स्वाद और महक पर असर पड़ता है. इसी के साथ कुछ ऐसे केमिकल भी होते हैं जो आपकी बॉडी के लिए हानिकारक हो सकते हैं. यही कारण है कि पानी की बोतलों पर एक्सपायरी डेट होती है.
International Bottled Water Association (IBWA) के मुताबिक, कुछ कंपनियां पानी की बोतलों पर तारीख के हिसाब से लॉट कोड डालती हैं. इससे डिस्ट्रिब्यूशन के लिए स्टॉक रोटेशन मैनेज करने में मदद मिलती है. ये लॉट कोड पानी के दूषित होने, प्रोडक्ट रिकॉल और बॉटलिंग की गड़बड़ियों का पता लगाने में भी मदद करते हैं. आईबीडब्ल्यूए का कहना है कि पानी को सही रखने के लिए बोतलबंद पानी को सीधे धूप में नहीं रखें, बल्कि ठंडी जगह पर स्टोर करना चाहिए.