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World Hindi Day 2023: विश्‍व हिंदी दिवस आज, जानें राष्‍ट्रीय हिंदी दिवस से कैसे है अलग

Vishva Hindi Diwas 2023: हिंदी दुनिया भर में 26 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक इंडो-आर्यन भाषा है. यह दुनिया की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. यह भारत सरकार की राजकीय भाषा है और अंग्रेजी के साथ भारत की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक है.

Hindi Diwas 2023 Hindi Diwas 2023
aajtak.in
  • नई दिल्‍ली,
  • 10 जनवरी 2023,
  • अपडेटेड 2:05 PM IST

Vishva Hindi Diwas 2023: विश्‍व आज 10 जनवरी को 'वर्ल्‍ड हिंदी डे' (World Hindi Day)  मना रहा है. हर वर्ष 10 जनवरी को विश्‍व में हिंदी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए जागरुकता फैलाने के उद्देश्‍य से इसे मनाया जाता है. इसके लिए निबंध प्रतियोगिताओं सहित कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इस वर्ष की हिंदी दिवस की थीम है 'हिंदी को जनमत की भाषा बनाना, बगैर उनकी मातृभाषा की महत्‍ता को भूले.'

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हिंदी दुनिया भर में 26 करोड़ से अधिक लोगों द्वारा बोली जाने वाली एक इंडो-आर्यन भाषा है. यह दुनिया की चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है. यह भारत सरकार की राजकीय भाषा है और अंग्रेजी के साथ भारत की दो आधिकारिक भाषाओं में से एक है.

क्‍या है इस दिन का इतिहास?
वर्ष 1975 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन का उद्घाटन किया था. इसके बाद से भारत समेत संयुक्त राज्य अमेरिका, यूनाइटेड किंगडम, मॉरीशस, त्रिनिदाद और टोबैगो जैसे विभिन्न देशों में विश्व हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया गया. विश्व हिंदी दिवस पहली बार 10 जनवरी, 2006 को मनाया गया था. इसके बाद से हर साल 10 जनवरी को विश्व हिंदी दिवस मनाया जाने लगा.

कैसे है राष्‍ट्रीय हिंदी दिवस से अलग?
हिंदी भाषा के प्रचार प्रसार के उद्देश्‍य से ही हर वर्ष 14 सितंबर को राष्‍ट्रीय हिंदी दिवस भी आयोजित किया जाता है. अक्‍सर लोगों को इन दोनो दिनों को लेकर भ्रम रहता है. पहले तो यह जान लें कि राष्‍ट्रीय हिंदी दिवस 14 सितंबर को मनाया जाता है जबकि विश्‍व हिंदी दिवस 10 जनवरी को आयोजित होता है. विश्व हिंदी दिवस भाषा के वैश्विक प्रचार पर केंद्रित है, जबकि हिंदी दिवस विशेष रूप से भारत में हिंदी की मान्यता पर केंद्रित है.

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आजादी मिलने के बाद विविधताओं से भरे देश को जोड़ने के लिए एक भाषा का चुनाव करना मुश्किल था. देश में कई भाषाएं और बोलियां जाती थीं जिसके चलते काफी सोच-विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्‍ट्र की भाषा चुना गया. 

 

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