
World Suicide Prevention Day 2023: आज दुनियाभर में सुसाइड बड़ी समस्या बनती नजर आ रही है. सपने संजोए छात्र छोटी उम्र में सुसाइड जैसा जानलेवा कदम उठा रहे हैं. इसी साल अगस्त तक कोटा में 22 छात्रों ने जीवन से छुटकारा पाने के लिए सुसाइड का रास्ता अपना लिया. छात्र आत्महत्या के बढ़ते मामलों को देखते हुए कई कदम भी उठाए जा रहे हैं- हॉस्टल के पंखों पर काम किया जा रहा, कोचिंग इंस्टीट्यूट्स को छात्रों का दबाव कम करने की हिदायतें दी जा रही हैं, कोचिंग और हॉस्टल की दीवारों पर मोटिवेशनल पोस्टर लगाए जा रहे हैं, मेस और टिफिन देने वालों को भी मदद ली जा रही है. लेकिन इन सभी से ज्यादा सुसाइड के पीछे की सामाजिक, आर्थिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक वजहों को समझकर ये उलझन समझाना बहुत जरूरी है.
आप कोचिंग हब कोटा का ही उदाहरण देखें तो यहां 11वीं क्लास से ही छात्रों पर बड़ी परीक्षाओं की तैयारी करने का प्रेशर बना दिया जाता है, जो बच्चे पर सामाजिक दबाव डालता है. स्टूडेंट्स की सक्सेस से माता-पिता की उम्मीदें जुड़ी होती हैं, यह कहीं न कहीं बच्चे पर भावनात्मक दबाव डालती है. जब बच्चे को परिवार की सबसे ज्यादा जरूरत होती है उस छोटी उम्र में बच्चा उनसे अलग होकर एक अलग दुनिया में कदम रखता है, जहां हर तरफ सिर्फ कॉम्पिटिशन ही कॉम्पिटिशन है, इससे छात्र खुद को अलग-थलग और पिछड़ा मान लेता है. इसपर वो गरीब बच्चे जिनके माता-पिता ने जमीन बेचकर या कर्ज लेकर पढ़ने भेजा है उनपर अपने आप आर्थिक दबाव बन जाता है. खुद से निराश होकर वे खतरनाक कदम उठाते हैं. छात्रों को उस माहौल से निकलना बेहद जरूरी हो गया है. उन्हें यह समझाने की जरूरत है कि उनके सामने कितने ऑप्शन हैं.
वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ सत्यकांत त्रिवेदी कहते हैं कि आत्महत्या के पीछे सिर्फ खराब मानसिक स्वास्थ्य ही जिम्मेदार नहीं है. इसके पीछे पूरा सामाजिक आर्थिक ढांचा जिम्मेदार है. बच्चों को उनकी परवरिश में ही सफलता के साथ एक कंपटीशन जोड़ दिया जाता है. साथ ही आर्थिक वजहें भी बालमन को प्रभावित करती है. फिर चाहे किसानों की आत्महत्या हो या छात्रों की अगर नीतिगत व्यवस्थाएं बदली जाएं तो आत्महत्या की दर नीचे आ सकती है. यही सही वक्त है जब बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा में ही मानसिक स्वास्थ्य के प्रति जागरूक किया जा सकता है. स्कूल करीकुलम में मानसिक स्वास्थ्य और आत्महत्या के प्रति जागरूकता जरूरी है. साथ ही समाज के तौर पर हम सबको स्वस्थ और सुखी जीवन की परिभाषाओं पर पुनर्विचार की जरूरत है.
आत्महत्या रोकथाम दिवस
दुनियाभर में बढ़ते सुसाइड मामलों के देखते हुए आज यह महसूस होता है कि हमें आत्महत्या को रोकने के लिए रणनीतियां तैयार करने की कितनी जरूरत है. इसलिए हर साल 10 सितंबर को वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे की शुरुआत की गई. 10 सितंबर को विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस (World Suicide Prevention Day) का वार्षिक आयोजन एक मार्मिक वार्षिक कार्यक्रम है जो इस ओर इशारा करता है कि किसी का साथ होना या समर्थन होना इससे कई ज्यादा अहम है जितना हम समझते हैं. चाहे वह किसी भरोसेमंद दोस्त, रिश्तेदार या पेशेवर क्यों न हो.
आत्महत्या दूरगामी सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक परिणामों वाली एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या है. अनुमान है कि वर्तमान में दुनियाभर में हर साल 7 लाख से ज्यादा आत्महत्याएं होती हैं, और हम जानते हैं कि प्रत्येक आत्महत्या कई और लोगों को भी प्रभावित कर सकती है. साल 2021 में, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) ने डराने वाले आंकड़े शेयर किए थे, जिसमें भारत में 1.64 लाख लोगों ने दुखद रूप से अपनी जान ले ली. आत्महत्या की दर 2020 में 11.3 से बढ़कर 2021 में चिंताजनक 12 हो गई है. ये आंकड़े मानसिक स्वास्थ्य के मुद्दों और आत्महत्या को रोकने के लिए रणनीतियों की जरूरत को दर्शाते हैं.
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विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का महत्व
ऐसी दुनिया में जहां मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताएं हैं जिनपर लोगों का बहुत कम ध्यान जाता है. विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस हमें उसे मुख्य धारा में लाने का मौका देता है. यह कदम मानसिक स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं पर चुप्पी तोड़ने और किसी जरूरतमंद के लिए जीवन रेखा बनने के लिए प्रेरित करता है. यह हमें याद दिलाता है कि संबंध, करुणा और सामूहिक कार्रवाई के माध्यम से, हम एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जहां आशा निराशा पर विजय पाती है.
क्योंकि आत्महत्या एक ऐसा मुद्दा है, जो अकसर मानसिक स्वास्थ्य चुनौतियों, बाहरी तनावों और व्यक्तिगत लड़ाइयों से उलझा रहता है. कोविड-19 महामारी के हालिया हमले ने इन समस्याओं को और बढ़ा दिया हैं. इससे वैश्विक स्तर पर पीड़ा और निराशा की भावनाएं तेज हो गई हैं. ऐसे बुरे समय में कोई अपना लाइफ लाइन की तरह होता है.
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वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे 2023 थीम
"Creating Hope Through Action" यानी ऐसी योजना तैयार करना जो आशा पैदा करे", वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) द्वारा दी गई इस वर्ल्ड सुसाइड प्रिवेंशन डे 2023 थीम का मतलब है कि एक कार्ययोजना से ही सुससाइड जैसी सामाजिक समस्या से निपटा जा सकता है. यह विषय कार्ययोजना के लिए एक शक्तिशाली आह्वान और अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है कि हम आशा को प्रोत्साहित कर सकते हैं और आत्महत्या रोकथाम को मजबूत कर सकते हैं. हम उन लोगों को आशा दे सकते हैं जिन्हें आत्महत्या जैसे जानलेवा विचार आते हैं.
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस का इतिहास
विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस पहली बार 2003 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के सहयोग से इंटरनेशनल एसोसिएशन फॉर सुसाइड प्रिवेंशन (आईएएसपी) द्वारा मनाया गया था. इस का उद्देश्य एक वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य मुद्दे के रूप में आत्महत्या के बारे में जागरूकता बढ़ाना और दुनिया भर में आत्महत्या रोकथाम प्रयासों को बढ़ावा देना है.