अफगानिस्तान में तालिबान शासन आए एक महीने से अधिक का समय हो गया है. तालिबान शासन का असर अब प्रमुख सार्वजनिक विश्वविद्यालयों पर अभी से देखने को मिल गया है. नये शासन की जेंडर अलगाव नीति नये शासन की विस्तृत योजनाओं में से एक है. यूनिवर्सिटी क्लासेज में अस्पतालों की तरह कमरे को विभाजित करने वाले पर्दे, जाली वाले पर्दे वाले लगाकर क्यूबिकल में लड़कियों को अलग बैठाना और महिलाओं और पुरुषों के लिए अलग-अलग शिफ्ट इसी नीति का एक हिस्सा है.
अफगानिस्तान में सार्वजनिक विश्वविद्यालय जैसे काबुल विश्वविद्यालय 1932 में स्थापित हुआ था. जहां लगभग 12 हजार महिला छात्राएं हैं, वहीं कुल करीब 26 हजार छात्र है. वहीं तीन दशक पुराना कंधार विश्वविद्यालय है जहां करीब 10,000 छात्रों के साथ 1000 महिलाएं पढ़ रही हैं. महिलाओं की हायर एजुकेशन के भविष्य पर तालिबान शासन के स्पष्ट रोडमैप के अभाव में अब ये बदलाव साफ दिखने लगा है.
कंधार विश्वविद्यालय के चांसलर अब्दुल वहीद वासिक ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सार्वजनिक विश्वविद्यालय केवल तभी खुल सकते हैं जब उनके पास पैसा हो. हमें यह भी याद रखना होगा कि सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में निजी विश्वविद्यालयों की तुलना में एक कक्षा में अधिक छात्र होते हैं. निजी विश्वविद्यालयों में, प्रत्येक कक्षा में केवल 10 से 20 छात्र होते हैं और इसलिए ऐसी कक्षाओं में पुरुषों और महिलाओं को अलग करना बहुत आसान होता है. हमारी एक कक्षा में लगभग 100 से 150 छात्र होते हैं. इसलिए यह हमारे लिए इतना आसान नहीं है, खासकर ऐसे मामलों में जहां एक कक्षा में बहुत कम महिलाएं हैं.
अफगानिस्तान में लगभग 40 सार्वजनिक विश्वविद्यालय हैं. तालिबान के को-एजुकेशन पर प्रतिबंध के आदेश के बाद उच्च शिक्षा मंत्रालय द्वारा सार्वजनिक विश्वविद्यालयों को स्थानीय वास्तविकताओं के आधार पर फिर से खोलने की अपनी योजना प्रस्तुत करने के लिए कहा गया था. अभी के लिए, अधिकांश विश्वविद्यालयों ने प्रस्ताव दिया है कि महिलाओं को पर्दे या क्यूबिकल के पीछे से कक्षाओं में भाग लेने की अनुमति दी जाए, या उन प्रांतों में संस्थानों में स्थानांतरित किया जाए जहां से वे आती हैं.
तखर विश्वविद्यालय के चांसलर खैरुद्दीन खैरखा ने बताया कि ये विश्वविद्यालय 30 साल पहले स्थापित किया गया था. हमारी योजना पुरुषों और महिलाओं के लिए अलग-अलग कक्षाएं आयोजित करने की है जहां एक कक्षा में 15 से अधिक महिलाएं हैं. ऐसा करने के लिए, हम सुबह और दोपहर की अलग अलग शिफ्ट शुरू करने की योजना बना रहे हैं. यदि 15 से कम महिलाएं हैं, तो उन्हें क्लास में पुरुषों से अलग रखने के लिए हम डिवाइडर खरीदेंगे, जैसा कि अस्पतालों में उपयोग करते हैं.
कंधार विश्वविद्यालय के चांसलर ने कहा कि इस मुद्दे पर संस्थान की अकादमिक परिषद में विचार किया गया है, जिसके बाद सरकार को एक योजना भेजी गई, जिसमें महिला छात्रों को अपने प्रांतों में संस्थानों में स्थानांतरित करने की अनुमति देने का अनुरोध भी शामिल है. उन्होंने कहा कि हमने यह प्रस्ताव इसलिए दिया है क्योंकि हमारी कुछ छात्राओं ने ट्रांसफर लेने की रुचि जताई है. लेकिन, जो लोग कंधार विश्वविद्यालय में कक्षाएं जारी रखना चाहते हैं, उनके लिए हम कक्षा के अंदर एक ऐसा कोना बनाएंगे जो एक पर्दे से अलग हो. ये दो या तीन या चार महिलाएं इस कोने में, पर्दे के पीछे बैठ सकती हैं और हम पर्दे में लगभग 30 से 50 सेंटीमीटर माप की कुछ जाली (जाली का एक पैच) सिलेंगे ताकि वे शिक्षक, कक्षा और क्लास बोर्ड देख सकें.
बता दें कि अफगानिस्तान के सार्वजनिक विश्वविद्यालयों में स्नातक शिक्षा निशुल्क है. छात्रों से कोई शिक्षण शुल्क नहीं लिया जाता है, और छात्रावासों और छात्रावासों में रहने वालों को मुफ्त भोजन और आवास प्रदान किया जाता है. अब नये बदलावों के साथ ही टीचर्स को भी मेल-फीमेल के अनुसार अलग अलग करने की तैयारी हो रही है. कंधार और हेलमंड विश्वविद्यालय के कुलपतियों ने हालांकि कहा है कि अभी पुरुषों द्वारा महिलाओं को पढ़ाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है.