सीबीएसई बोर्ड कक्षा-12वीं के स्टूडेंट्स के एग्जाम के लिए सरकार और बोर्ड दोनों ही तैयार है. सरकार कोरोना के सभी प्रोटोकॉल मानते हुए संक्षिप्त फॉर्मेट पर परीक्षा कराने का प्रस्ताव राज्यों के सामने ला चुकी है, इस पर राज्यों को आज जवाब देना है. राज्यों से प्रस्ताव पर सहमति पर चर्चा के बाद सरकार एक जून को परीक्षा का टाइम टेबल जारी कर देगी. इसलिए छात्रों को सलाह है कि वो तैयारी करते रहें, क्योंकि सरकार किसी भी तरह बारहवीं बोर्ड परीक्षा को रद्द करने पर विचार नहीं कर रही है.
12वीं की बोर्ड परीक्षाओं को कैंसिल कराने की मांग लगातार सोशल मीडिया पर जारी है. लेकिन सरकार ने इस परीक्षा को कैंसिल न करने की बात लगभग स्पष्ट कर दी है. सरकार ने संक्षिप्त शेड्यूल के साथ ये परीक्षा कराने का प्रस्ताव राज्यों के पास भेजा है, हालांकि करीब दिल्ली, हरियाणा, महाराष्ट्र समेत आठ राज्यों ने परीक्षाओं से पहले छात्रों और परीक्षा ड्यूटी में तैनात शिक्षकों के वैक्सीनेशन का मुद्दा उठाया है.
बता दें कि शिक्षा मंत्रालय ने रविवार को बैठक में बारहवीं कक्षा के सीबीएसई और अन्य राज्य बोर्डों के लिए आयोजित होने वाली परीक्षाओं पर चर्चा के साथ ही प्रवेश परीक्षाओं पर भी चर्चा की. हालांकि बैठक में कई राज्यों के शिक्षामंत्रियों ने सिर्फ वैक्सीनेशन के अलावा बाकी चीजें जैसे परीक्षा की प्रक्रिया, अवधि और समय पर आम सहमति जाहिर की है.
भले ही कई राज्य सरकारें अभी कोरोना के बिगड़ते हालात और तीसरी लहर के संभावित खतरों को देखते हुए एग्जाम पोस्टपोन करने और वैक्सीनेशन की मांग कर रही हैं. लेकिन विशेषज्ञ एग्जाम न कराने के फैसले को सही नहीं बता रहे हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि बारहवीं की बोर्ड परीक्षा न कराने से भविष्य में बच्चों के सामने कई मुश्किलें होंगी. खासकर केंद्रीय मदद से संचालित होने वाले प्रतिष्ठित उच्च शिक्षण संस्थानों और केंद्रीय विश्वविद्यालयों के दाखिले में दिक्कत आएगी.
दिल्ली पेरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अपराजिता गौतम ने aajtak.in से कहा कि पेरेंट्स एग्जाम तो चाहते हैं, लेकिन उनके भीतर डर है कि एग्जाम के दौरान छात्रों को किसी तरह का संक्रमण न हो. इसलिए अभिभावक चाहते हैं कि या तो सरकार ये सुनिश्चित करे कि एग्जाम पूरी तरह सुरक्षित माहौल में होगा या सरकार एग्जाम से पहले छात्रों का वैक्सीनेशन करके सुरक्षा प्रदान करे.
बता दें कि सरकार की बैठक के बाद कम से कम ये स्पष्ट हो चुका है कि सीबीएसई कक्षा 12 की परीक्षा कैंसिल नहीं की जाएगी. महामारी की दूसरी लहर के कारण कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा पहले ही रद्द कर दी गई है. सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, असम और तमिलनाडु आदि राज्यों ने संक्षिप्त प्रारूप में बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का समर्थन किया था.
वहीं पंजाब राज्य एक ऐसा राज्य है जिसने व्यक्तिगत रूप से परीक्षा आयोजित करने पर जोर दिया है, भले ही वह कुछ विषयों के लिए ही क्यों न हो. वहीं कर्नाटक और पुडुचेरी केंद्र सरकार के निर्णय के साथ साथ चलने पर सहमत हुए. लेकिन दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि पहले छात्र व परीक्षा केंद्र पर ड्यूटी देने वाले छात्रों का टीकाकरण हो तभी यह परीक्षा कराई जानी चाहिए. इस तरह राज्यों की अलग अलग प्रतिक्रिया ने सरकार के प्रस्ताव को फिलहाल अधर में लटका दिया है.
इससे पहले बोर्ड ने सरकार के आगे परीक्षाएं आयोजित कराने के दो प्रस्ताव रखे थे. पहला प्रस्ताव था कि परीक्षाओं का पैटर्न बदल दिया जाए और केवल 1.5 घंटे का पेपर लिया जाए. दूसरा प्रस्ताव था कि केवल महत्वपूर्ण विषयों के एग्जाम लिए जाएं और बाकी सब्जेक्ट्स में बच्चों को इंटर्नल असेसमेंट के आधार पर पास कर दिया जाए. अधिकांश राज्यों ने परीक्षाएं आयोजित करने पर ही सहमति दिखाई.