देश में कोरोना की स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने सिर्फ 19 प्रमुख विषयों की सीबीएसई बोर्ड की 12वीं की परीक्षाएं कराने का प्रस्ताव राज्यों के सामने रखा है. इस पर कई राज्यों ने केंद्र सरकार से शिक्षकों और छात्रों की सुरक्षा को महत्वपूर्ण बताया है. इसे सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकारों ने केंद्र से प्राथमिकता के आधार पर पहले छात्रों और शिक्षकों के कोरोना टीकाकरण करने का आग्रह किया है.
सीबीएसई के जुलाई-अगस्त में संक्षिप्त प्रारूप में केवल 19 प्रमुख विषयों के लिए कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा कराने के प्रस्ताव का अधिकांश राज्यों ने समर्थन किया है. वहीं केरल, असम, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, हरियाणा और मेघालय जैसे कई राज्यों ने केंद्र सरकार से शिक्षकों और छात्रों को परीक्षा केंद्र पर उनकी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्राथमिकता के आधार पर टीकाकरण करने का आग्रह किया है.
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में रविवार को हुई राज्य के शिक्षा मंत्रियों और शिक्षा सचिवों की बैठक में शामिल एक अधिकारी का कहना है कि दिल्ली और महाराष्ट्र सहित कुछ राज्यों को छोड़कर अन्य ने सरकार के परीक्षाओं के प्रस्ताव का समर्थन किया है. बता दें कि राजनाथ सिंह ने बैठक के बाद कहा कि सरकार की प्राथमिकता सभी परीक्षाओं को सुरक्षित माहौल में आयोजित करना है. इसके लिए कल यानी 25 मई तक लिखित में सभी राज्यों को अपनी प्रतिक्रिया देने को कहा गया है.
बता दें कि इस बैठक के बाद कम से कम ये स्पष्ट हो चुका है कि सीबीएसई कक्षा 12 की परीक्षा कैंसिल नहीं की जाएगी. महामारी की दूसरी लहर के कारण कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा पहले ही रद्द कर दी गई है. सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, गुजरात, उत्तर प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, चंडीगढ़, असम और तमिलनाडु आदि राज्यों ने संक्षिप्त प्रारूप में बोर्ड परीक्षा आयोजित करने का समर्थन किया था.
वहीं पंजाब राज्य एक ऐसा राज्य था जिसने व्यक्तिगत रूप से परीक्षा आयोजित करने पर जोर दिया, भले ही वह कुछ विषयों के लिए ही क्यों न हो. वहीं कर्नाटक और पुडुचेरी केंद्र सरकार के निर्णय के साथ साथ चलने पर सहमत हुए. लेकिन दिल्ली के शिक्षामंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा है कि पहले छात्र व परीक्षा केंद्र पर ड्यूटी देने वाले छात्रों का टीकाकरण हो तभी यह परीक्षा कराई जानी चाहिए. इस तरह राज्यों की अलग अलग प्रतिक्रिया ने सरकार के प्रस्ताव को फिलहाल अधर में लटका दिया है.
इससे पहले बोर्ड ने सरकार के आगे परीक्षाएं आयोजित कराने के दो प्रस्ताव रखे थे. पहला प्रस्ताव था कि परीक्षाओं का पैटर्न बदल दिया जाए और केवल 1.5 घंटे का पेपर लिया जाए. दूसरा प्रस्ताव था कि केवल महत्वपूर्ण विषयों के एग्जाम लिए जाएं और बाकी सब्जेक्ट्स में बच्चों को इंटर्नल असेसमेंट के आधार पर पास कर दिया जाए. अधिकांश राज्यों ने परीक्षाएं आयोजित करने पर ही सहमति दिखाई.
बता दें कि CBSE बोर्ड कक्षा 12 के छात्रों के लिए 176 विषयों की पढ़ाई का ऑप्शन होता है. इनमें लैंग्वेज या Group L, इलेक्टिव या Group A और अन्य शामिल होते हैं. इनमें से Group A के सब्जेक्ट्स महत्वपूर्ण माने जाते हैं जिनके आधार पर आगे विश्वविद्यालयों में एडमिशन मिलता है. सरकार के संक्षिप्त परीक्षाओं के प्रस्ताव में इनमें से उन 19 सब्जेक्टस को शामिल करने को कहा गया है जो कि आगे विश्वविद्यालय में प्रवेश के लिए बहुत जरूरी माने जाते हैं.
केंद्र सरकार ने प्रस्ताव दिया है कि कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए विशेष तैयारी के साथ सीबीएसई बोर्ड की ओर से 19 विषयों के एग्जाम आयोजित कराए जा सकते हैं. इसमें भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित, जीव विज्ञान, इतिहास, राजनीति विज्ञान, बिजनेस स्टडीज, अकाउंट्स, भूगोल, अर्थशास्त्र और अंग्रेजी शामिल हैं. ये वो विषय हैं जो भविष्य में विश्वविद्यालयों में मेरिट से प्रवेश प्रक्रिया में मददगार होंगे.