आज कोरोना की दूसरी लहर ने पूरे देश की नींद उड़ा रखी है. ऐसे में नवजात बच्चों की मांएं अपने बच्चे की देखरेख को लेकर काफी चिंतित हैं. उनके मन में सबसे बड़ा सवाल यह है कि वो अपने बच्चे को दूध पिला सकती हैं या नहीं. अगर वो स्तनपान कराती हैं तो ये उनके बच्चे के लिए कितना सुरक्षित है. आइए विशेषज्ञ से जानें कि स्तनपान कराने वाली मांएं क्या करें. कोरोना के दौर में बच्चे को दूध पिलाना कितना सेफ है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के प्रमुख डॉक्टर टेड्रोस एडहॉनम गीब्रिएसुस का कहना है कि कोरोना पॉज़िटिव मांओं को अपने नवजात शिशु को स्तनपान कराना जारी रखना चाहिए. इसके लिए वो कई तर्क भी देते हैं. वो कहते हैं कि बच्चों में कोरोना वायरस संक्रमण के जोखिम की तुलना में स्तनपान के फायदे ज्यादा ही हैं.
दुनिया भर की तमाम स्टडीज में सामने आया है कि कोविड-19 का जोखिम बच्चों में काफी कम है. वहीं कई बीमारियां हैं जिससे नवजात बच्चों को अधिक ख़तरा होता है लेकिन छह माह के जरूरी स्तनपान से इन बीमारियों से बच्चों को बचाया जा सकता है. मौजूदा प्रमाण के आधार पर डब्ल्यूएचओ का कहना है कि मांएं अपने बच्चों को सुरक्षा मानकों के साथ स्तनपान करा सकती हैं.
सरोजनी नाएडू मेडिकल कॉलेज आगरा में स्त्री व प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ निधि कहती हैं कि ऐसा देखने में आ रहा है कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद मांओं को उनके बच्चों से दूर रखा जा रहा है. मांओं को आइसोलेट करके रखा जा रहा है जिसके चलते बच्चे स्तनपान से वंचित रह जाते हैं.
डॉ निधि कहती हैं कि अगर मां भी कोरोना पॉजिटिव है तो बच्चे की देखभाल परिवार कर सकता है लेकिन इस दौरान बच्चे को मां का ही दूध दिया जाना चाहिए. इसके लिए मां का दूध अलग से लेकर भी बच्चे को दिया जा सकता है या फिर मांएं कोविड-19 प्रोटोकॉल का फॉलो करते हुए मास्क और ग्लव्स पहनकर बच्चे को फीड करा सकती हैं.
वो कहती हैं कि अगर मां की हालत गंभीर है और वो अस्पताल में भर्ती है. तब भी अगर उसे अगर प्रॉपर लैक्टेशन हो रहा है यानी कि उसका दूध बच्चे के लिए पर्याप्त बन पा रहा है तो डॉक्टर उसका दूध निकालकर सुरक्षित तरीके से बच्चे तक पहुंचा सकते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन में रिप्रोडक्टिव हेल्थ मामलों के सलाहकार डॉक्टर अंशु बनर्जी ने मीडिया को दिए बयान में कहा है कि अभी तक डॉक्टर्स या शोधकर्ता इस बात का पता नहीं लगा पाए हैं कि मां के दूध यानी ब्रेस्टमिल्क में कोई लाइव वायरस मिल रहा है. कई मामले हैं जिनमें ब्रेस्टमिल्क में वायरस के आरएनए के टुकड़े पाए गए हैं (कोरोना वायरस आरएनए यानी एक प्रोटीन मॉलीक्यूल से बना है) लेकिन अब तक असल में ब्रेस्टमिल्क में कोई लाइव वायरस नहीं मिला है. इस कारण मां से बच्चे में कोरोना संक्रमण फैलने का जोखिम साबित नहीं किया जा सका है.
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) ने कहा है कि कोरोना पॉज़िटिव मांएं जब नवजात शिशु को दूध पिलाएं तो इससे पहले उन्हें साबुन से अच्छे से हाथ धोने और मुंह पर एन 95 मास्क लगाना चाहिए. दूध पिलाने के बाद बच्चे की देखभाल वो लोग करें जो पॉजिटिव नहीं हैं, या उनमें लक्षण नहीं हैं.
एक चिकित्सीय अध्ययन में शुरुआती तौर पर ये भी सामने आया है कि मां का दूध नवजात की कोरोना वायरस से सुरक्षा कर रहा है. इसके अलावा कोविड पॉजिटिव बच्चों के लिए कई अस्पतालों में अलग से एनआईसीयू और ऑपरेशन थियेटर बनाया गया है. वैसे देखा जाए तो ये किसी आश्चर्य से कम नहीं है कि एक दूसरे के संपर्क में आने से फैलने वाला कोरोना वायरस मां से उसके नवजात शिशु तक ब्रेस्टफीडिंग के जरिये बिल्कुल नहीं पहुंच रहा.